September 12, 2022

राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता : भारत विकास परिषद रामपुर इकाई

मुझे एक पुरानी फिल्म "गंगा-जमुना" के गाने की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं :
        इंसाफ़ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के,
         ये देश  है तुम्हारा, नेता  तुम्हीं हो कल के।
इस मार्मिक गाने को आप पूरा सुनिए।इसका एक-एक बोल बिल्कुल सच्चा और अच्छा है।हमारी ये नई नस्ल/ये बच्चे ही तो कल का भारत हैं।इन्हें ही तो कल सत्ता/शासन और प्रशासन संभालना है। यदि इन्हें देशप्रेम ,संस्कार , इंसाफ़, ईमानदारी और नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाया जाएगा तभी तो हमारा देश सुरक्षित हाथों में जाएगा। हम सोचकर देखें कि क्या यह काम परिवार,समाज,प्रांत या राष्ट्रीय स्तर पर इतनी गंभीरता से हो रहा है जितनी गंभीरता से होना चाहिए।यदि हो भी रहा है तो कितने लोग या संस्थाएँ ऐसा कर रही हैं।जवाब होगा बहुत कम लोग या संस्थाएं। मेरे विचार से राष्ट्रीय हित के इस मुद्दे पर भारत विकास परिषद या संस्कार भारती जैसी संस्थाएं ही वांछित सक्रियता से काम करती नज़र आती हैं। इस दिशा में अभी और व्यापक रूप से क़दम उठाए जाने की आवश्यकता महसूस होती है। बच्चे बहुत मासूम और निर्दोष होते हैं उन्हें जिस परिवेश में ढाला जायेगा जिंदगी भर के लिए वैसे ही ढल जाएंगे। अत: जरूरी है कि उन्हें खिलखिलाने दें और हँसते-खेलते उनमें राष्ट्र प्रेम का भाव विकसित होने दें।मुझे किसी मशहूर कवि की ये पंक्तियां याद आती हैं :
      इन्हीं बच्चों से क़ायम हैं यहां मंज़र सुहाने से,
      इन्हीं से गूंजते हैं  हर  तरफ़  महके तराने से।
      अगर ये रूठ जाते हैं तो सारा घर सुबकता है,
       मेरा घर  मुस्कुराता  है इन्हीं के मुस्कुराने से।
                                     --अज्ञात
दिनांक ११ सितंबर,२०२२ को भारत विकास परिषद की मुख्य शाखा रामपुर के तत्वावधान में विभिन्न विद्यालयों के बच्चों की  ज़िला स्तर की हिंदी और संस्कृत भाषाओं की राष्ट्रीय समूहगान (देशभक्ति गीत) प्रतियोगिता का शानदार आयोजन किया गया।इस प्रतियोगिता में जो प्रतिभागी बच्चे श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करेंगे उन्हें आगामी प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन का अवसर प्राप्त होगा।कार्यक्रम में सभी बच्चों द्वारा अपनी शानदार प्रस्तुतियां दी गईं। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में संगीत और गायन के क्षेत्र के ख्याति प्राप्त लोगों को रखा गया था जिन्होंने बच्चों के प्रदर्शन पर सूक्ष्म दृष्टि रखते हुए निष्पक्षता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया।निर्णायक मंडल ने बच्चों के प्रदर्शन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्हें अपने प्रदर्शन में निखार हेतु महत्वपूर्ण टिप्स भी दिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के दर्जा मंत्री श्री सूर्य प्रकाश पाल जी रहे तथा कुशल संचालन ऐडवोकेट श्री राजीव अग्रवाल जी द्वारा किया गया।
आयोजन में अध्यक्ष श्री रविंद्र कुमार गुप्ता जी के कुशल निर्देशन में परिषद के सभी दायित्वधारियों ने अपने दायित्वों का कुशलता से निर्वहन करते हुए कार्यक्रम को अपेक्षा से अधिक सफल बनाने में कोई कोर कसर बाक़ी नहीं छोड़ी। कार्यक्रम में सभी आमंत्रित मेहमानों तथा प्रतिभागियों के लिए उत्तम जलपान और भोजन का प्रबंध किया गया था।
राष्ट्रीय जागरण की भावना को बल प्रदान करते भारत विकास परिषद के ऐसे प्रयास सराहनीय और वंदनीय हैं।

प्रस्तुत कर्ता : ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/कॉन्टेंट राइटर/ब्लॉगर
(सर्वाधिकार सुरक्षित)








September 10, 2022

मुलाक़ात अच्छे लोगों से

शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏

अभी दो दिन पहले एक फोन आया। मैंने फोन रिसीव किया तो उधर से आवाज़ आई कि क्या आप ओंकार सिंह विवेक जी बोल रहे हैं? मैंने कहा जी बोल रहा हूं,आप कौन साहब? फोन करने वाले सज्जन ने कहा कि मैं रुड़की(उत्तराखंड) से शायर ओमप्रकाश नूर बोल रहा हूं।कल व्हाट्सएप ग्रुप "ग़ज़लों की महफ़िल" में आपकी ग़ज़ल पढ़ी थी जो काफ़ी पसंद आई।हम उसे "सदीनामा" पत्रिका में छपवाना चाहते हैं। ग़ज़ल पसंद करने के लिए मैंने उनका शुक्रिया अदा किया और सहर्ष स्वीकृति दे दी।एक साहित्यकार को इससे ज़ियादा भला क्या दरकार होगा कि उसका कलाम कहीं छपता-छपाता रहे और लोग उसको सराहते रहें।

बातचीत का माहौल अनौपचारिक हो गया तो उनसे काफ़ी देर बातें हुईं।मुझे नूर साहब बहुत दिलचस्प इंसान लगे।कोशिश रहेगी कि कभी उनसे व्यक्तिगत भेंट भी हो पाए।उन्होंने बताया कि इस समय लखनऊ के शायर जनाब ओमप्रकाश नदीम साहब मेरे पास बैठे हुए हैं। मुझे आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई और मैंने तत्काल ही कहा कि ज़रा बात कराइए उनसे।

नदीम साहब से जब बात की तो उनका वही पुराना अनौपचारिक और आत्मीय अंदाज़  दिल को बाग़-बाग़ कर गया। रामपुर में साथ के लोग कैसे हैं, नशिस्तों और गोष्ठियों का क्या हाल है, रामपुर के पास स्थित बेनज़ीर के बाग़ के आम बहुत याद आते हैं  आदि आदि-- एक ही सांस में तमाम बातें बड़ी अपनाइयत के साथ नदीम साहब पूछते रहे और मैं जवाब देता रहा।शायरों और कवियों में मुर्तज़ा फरहत,सीन शीन आलम, होश नोमानी, शहज़ादा गुलरेज़ नईम नजमी,हीरालाल किरन,जितेंद्र कमल आनंद सहित कितने ही लोगों के बारे में उन्होंने बहुत उत्साह के साथ मुझसे जानकारी ली। इस आत्मीय बातचीत के चलते मुझे रामपुर में उनकी पोस्टिंग के दौरान उनकी संगत में बिताए गए दिन सहसा याद आ गए।
बात उन दिनों की है जब मैं रामपुर में ही प्रथमा बैंक में तैनात था और नदीम साहब पी डब्ल्यू डी कार्यालय में अकाउंट्स अफ़सर थे। वो मेरी शायरी का इब्तदाई दौर था।नदीम साहब से शायरी/ग़ज़ल और उसकी कहन के बारे में मैंने बहुत कुछ सीखा था। एक दूसरे के घर पर भी आना-जाना होता रहता था।। मैं जब कभी नदीम साहब के घर गया तो मैंने कभी उन्हें औपचारिक होते नहीं देखा।बड़ी आत्मीयता से मिलना और घर के सदस्य की तरह ही खाने-खिलाने का इसरार करना उनके मस्तमौला स्वभाव का परिचायक था। रामपुर में आयोजित होने वाली गोष्ठियों और नशिस्तों में हम लोग मेरे पुराने स्कूटर पर अक्सर साथ ही आया-जाया करते थे। एक बार एक गोष्ठी में जाते वक्त संतुलन बिगड़ जाने की वजह से मेरा स्कूटर स्लिप हो गया और हम दोनों काफ़ी दूर तक सड़क पर फिसलते चले गए।दोनों के ही अच्छे ख़ासे घुटने छिल गए थे। मैंने कहा कि अब घर वापस चलते हैं यूं ज़ख्मी हालत में गोष्ठी में जाना मुनासिब नहीं होगा परंतु यह कहते हुए कि ऐसा तो होता ही रहता है,नदीम साहब इसरार करके मुझे गोष्ठी में ले गए। फोन पर इस घटना को याद करके नदीम साहब और मैं बहुत देर तक हँसते रहे। 
अरसे बाद एक उम्दा शायर और बेहतरीन इंसान से फोन पर बात करके बहुत अच्छा लगा।उम्मीद है यह सिलसिला चलता रहेगा। किसी शायर के इस शेर के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं :
       कितने हसीन लोग थे जो मिलके एक बार,
       आँखों में  जज़्ब हो  गए दिल में समा गए।

   --- प्रस्तुतकर्ता ओंकार सिंह विवेक 

जिस ग़ज़ल को लेकर यह बातचीत का सिलसिला बना
 "सदीनामा" में छपी वह ग़ज़ल भी आप हज़रात की नज़्र करता हूं :

September 8, 2022

बज़्म-ए- अंदाज़-ए-बयां का तरही मुशायरा

दोस्तो नमस्कार🙏🙏🌹🌹

फेसबुक पर एक प्रतिष्ठित साहित्यिक समूह है जिसका नाम है "बज़्म-ए-अंदाज़-ए-बयां"।इस समूह के उत्कृष्ट साहित्यिक स्तर और अनुशासन के बारे में पहले भी मैं अपने ब्लॉग पर लिखता रहा हूं।
अपने कड़े अनुशासन-मानकों और समर्पित प्रशासक मंडल की सक्रियता के चलते यह समूह उत्तरोत्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
समूह के इस बार के तरही मुशायरे के आयोजन में मेरी भी हिस्सेदारी रही। मैं समूह के योग्य निर्णायक मंडल का ह्रदय से आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने मेरी तरही ग़ज़ल को प्रथम पुरस्कार हेतु चुना। मेरी ह्रदय से यही कामना है कि यह समूह संस्थापक श्री अश्क चिरैयाकोटी जी के कुशल निर्देशन में यों ही साहित्य के आकाश में अपनी यश-पताका लहराता रहे।

इस आयोजन में दिए गए तरही मिसरे पर कही गई अपनी ग़ज़ल आपकी प्रतिक्रिया हेतु प्रस्तुत कर रहा हूँ :

तरही मुशायरे का मिसरा -- मुझको उल्फ़त सिखा गया कोई
ग़ज़ल -- ओंकार सिंह विवेक 
झूठ   को   सच   बता   गया  कोई,
रंग    अपना    दिखा   गया   कोई।

क्या ये कम है  कि दौर-ए-हाज़िर में,
क़ौल  अपना   निभा    गया   कोई।

ज़ेहन   में    है  अजीब-सी  हलचल,
शेर    जब से     सुना    गया   कोई।

रात  को  कह  रहा   है   दिन  देखो,
उसको   इतना   डरा    गया   कोई।

हाय ! मज़दूर आज  फिर  मिल  में,
क्रेन   के   नीचे    आ    गया  कोई।

ज़िंदगानी     सँवर      गई,   जबसे-
"मुझको  उल्फ़त  सिखा गया कोई।"

चार   दिन   की    है  ज़िंदगी  प्यारे!
साधु    गाता    हुआ    गया   कोई।

दे   दिया   अपना   कौर  भी   उसने,
दर   पे  भूखा  जो   आ  गया  कोई।
       --- ओंकार सिंह विवेक
            (सर्वाधिकार सुरक्षित)
कुछ समय पहले इस बज़्म के स्थापना दिवस के अवसर पर मैंने कुछ मिसरे कहे थे।वो मिसरे भी आज आपके साथ साझा करना प्रासंगिक हो गया :
  ओंकार सिंह विवेक
🌹
है  भले  ऊँचा  बहुत इल्म-ओ-अदब  का  आसमां,
चूम  लेगी   पर   इसे   ये  बज़्म-ए-अंदाज़-ए-बयां।
🌹
नित   बड़ी  तादाद   में  जुड़ते   रहें  इससे   अदीब,
और   तेज़ी   से   यूं   ही   बढ़ता   रहे   ये   कारवां।
🌹
हो  कहीं  भी   गर  कोई  शेर-ओ-सुखन  की  गुफ्तगू,
हो ज़ुबां पर सबकी नाम-ए-बज़्म-ए-अंदाज़-ए-बयां।
🌹
अपनी  तो बस रोज़-ओ-शब ये कामना है अश्क जी,
काविशों    के    आपकी    होते    रहें    गाढ़े   निशां।
🌹
मजलिसें इल्म-ओ-अदब की  और भी  हैं पर 'विवेक',
बज़्म-ए-अंदाज़-ए-बयां  है, बज़्म-ए-अंदाज़-ए-बयां।
 🌹  ओंकार सिंह विवेक (सर्वाधिकार सुरक्षित)

September 6, 2022

भारत को जानो

भारत को जानो
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भारत विकास परिषद एक सेवा एवं संस्कार-उन्मुख अराजनैतिक, सामाजिक-सांस्कृतिक स्वयंसेवी संस्था है जो स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शो को अपनाते हुए मानव-जीवन के सभी क्षेत्रों (संस्कृति, समाज, शिक्षा, नीति, अध्यात्म, राष्ट्रप्रेम आदि) में भारत के सर्वांगीण विकास के लिये समर्पित है। इसका लक्ष्यवाक्य है - "स्वस्थ, समर्थ, संस्कृत भारत"

भारत विकास परिषद द्वारा आज  6 सितंबर, 2022 को देश भर के विभिन्न विद्यालयों में "भारत को जानो" प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया। इसी क्रम में परिषद की मुख्य शाखा रामपुर -उ०प्र० द्वारा भी परिषद के अध्यक्ष श्री रविंद्र कुमार गुप्ता जी के कुशल निर्देशन में प्रात: ९.३०बजे से जनपद के  विभिन्न विद्यालयों में जूनियर और सीनियर वर्ग की भारत को जानो प्रतियोगिता का आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न कराया गया। छात्रों ने इस प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया गया।प्रतियोगिता में कुल ४५ प्रश्न पूछे गए।प्रश्न संख्या १से ४० तक बहुविकल्पीय प्रश्न थे जिनमें से सही उत्तर पर टिक मार्क अंकित करना था।प्रश्न संख्या ४१ से ४५ तक का छात्रों को सूक्ष्म उत्तर लिखना था। प्रतियोगिता कुल 50 अंक की थी।दोनों वर्गों से प्रत्येक विद्यालय से दो-दो सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागियों का चयन करके उन्हें अंतर्विद्यालय स्तर पर प्रश्नमंच प्रतियोगिता में सहभागिता का अवसर प्रदान किया जाएगा।इसके पश्चात प्रतियोगिता के नियमों के अनुसार जनपद स्तर पर चुने गए सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थियों को प्रांत और क्षेत्रीय स्तर तथा फिर उसके आगे भी सहभागिता का अवसर मिलेगा तथा प्रोत्साहन पुरस्कार भी परिषद द्वारा प्रदान किए जाएंगे।
इस दौरान जैन इंटर कॉलेज रामपुर में आयोजित कराई गई प्रतियोगिता में सहयोग करने का मुझे भी अवसर प्राप्त हुआ।अवसर के कुछ छाया चित्र यहां अवलोकनार्थ साझा किए जा रहे हैं :

जैन इंटर कालेज में प्रतियोगिता के आयोजन में प्रधानाचार्य श्री हरीश डुडेजा जी का प्रबंधन सहयोग बहुत सराहनीय रहा। कॉलेज के अध्यापक गण डॉक्टर गौरव वार्ष्णेय जी, श्री प्रदीप राजपूत जी और श्री सक्सैना जी ने बहुत ही कुशलता पूर्वक प्रतियोगिता को संपन्न कराने में अपना महत्पूर्ण योगदान दिया।इसके लिए मैं इन सभी सम्मानित गुरुजनों का ह्रदय से आभार प्रकट करता हूं।
डॉक्टर गौरव वार्ष्णेय जी परिषद के प्रांतीय महासचिव भी हैं और बहुत व्यवहारिक और मिलनसार व्यक्ति हैं। उन्होंने अपने विस्तृत प्रांतीय दायित्वों का निर्वहन करते हुए भी हमें स्थानीय स्तर पर अपेक्षा से अधिक सहयोग प्रदान किया इसके लिए उन्हें पुन: धन्यवाद।भाई प्रदीप राजपूत साहब का भी दिल की गहराइयों से धन्यवाद जिन्होंने बहुत ही सादगी, शालीनता और शिद्दत के साथ हर आवश्यक सूचना उपलब्ध कराकर हमारा काम आसान किया। भाई प्रदीप राजपूत जी एक उम्दा शायर भी हैं जो माहिर तखल्लुस से अदब की दुनिया में अपनी ख़ास पहचान बनाए हुए हैं।कॉलेज के भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता श्री सक्सैना साहब का भी बेहद शुक्रिया कि उन्होंने अपना अमूल्य समय देकर इस आयोजन को संपन्न कराने में सहयोग किया।
भविष्य में ऐसे आयोजनों की महती आवश्यकता है क्योंकि इससे नई पीढ़ी को अपने देश के इतिहास और संस्कृति को जानने तथा भारतीय संस्कारों को आत्मसात करने में मदद मिलेगी।
          अंत में अपनी ग़ज़ल के एक शेर के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं :
              आओ सबका दर्द बांटें, सबसे  रिश्ता जोड़ लें,
               इस तरह इंसानियत का हक़ अदा हो जाएगा।
     ---ओंकार सिंह विवेक 
        (सर्वाधिकार सुरक्षित)

      

September 5, 2022

वाह रे ! बचपन

शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏

खाना - पीना, खेलना -कूदना और फिर थककर सो जाना । वाह!क्या मस्त दिन थे वे भी।भला बचपन के वे मस्त दिन किसको याद नहीं आते होंगे।न किसी के प्रति द्वेष भाव रखना,पल में लड़ना और पल में एक हो जाना ---- निष्कपट, निर्दोष और मासूमियत की मूरत।बच्चों को तभी तो भगवान का रूप कहा जाता है।हर आदमी सांसारिक तनाव से जूझते हुए अक्सर कह उठता है " काश ! मुझे कोई मेरा बचपन लौटा दे।"
पर गुज़रा ज़माना कहां लौटकर आता है।अब तो केवल स्मृतियों में ही जीवन के उस सुखद काल की कल्पना करके खुश हो लेते हैं।
उन्हीं स्मृतियों को ताज़ा करता हुआ एक मुक्तक सृजित हुआ है जो आप सुधी मित्रों की प्रतिक्रिया हेतु प्रस्तुत कर रहा हूं :

काग़ज़ी  नाव  जल  में  चलाने  लगे,
ख़ूब  छत   पर   पतंगें   उड़ाने  लगे।
स्वप्न में साथियो नित्य हम फिर वही,
सब  मज़े  बालपन  के  उठाने  लगे।
         ओंकार सिंह विवेक
    (सर्वाधिकार सुरक्षित)

September 2, 2022

किसको दिल के घाव दिखाए -----

साथियो नमस्कार 🌹🌹🙏🙏
नवगीत गीत से थोड़ी भिन्नता लिए हिंदी साहित्य की एक लोकप्रिय काव्य विधा है। प्रतीकों और बिंबों का सटीक प्रयोग करते हुए सामाजिक विसंगतियों और विद्रूपताओं आदि पर आजकल बहुत ही मार्मिक नवगीतों का सृजन किया जा रहा है।
माहेश्वर तिवारी,डाक्टर श्याम मनोहर सिरोठिया और शिवानंद सिंह सहयोगी जैसे प्रसिद्ध नवगीतकार नई पीढ़ी के नवगीतकारों को प्रोत्साहन देते हुए उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।

"नवगीत का कार्य कोने में छिपी किसी अनछुई सामाजिक छुईमुई अनुभूति को समाज के समक्ष लाना है|    
          नवगीत न मांसल सौन्दर्य की कविता है और न संयोग-वियोग की स्मृतियाँ|
          नवगीत प्रथम पुरुष के जीवन की उठा-पटक, उत्पीड़न, गरीबी, साधनहीनता के संघर्ष की अभिव्यक्ति है|
          नवगीत हृदय प्रधान, छन्दबद्ध, प्रेम और संघर्ष का काव्य है. नवगीत की यह एक विशेषता है कि वह छंदबद्ध होकर भी किसी छंदवाद की लक्ष्मणरेखा के घेरे से नहीं लिपटा है|"                
प्रसिद्ध नवगीतकार शिवानंद सिंह सहयोगी

आज आपके समक्ष प्रस्तुत है मेरा हाल ही में कहा गया एक नवगीत। आशा है कि आप इसे पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराते हुए मेरा उत्साहवर्धन करेंगे।

नवगीत : ओंकार सिंह विवेक
🌹
किसको दिल के घाव दिखाए,  
नदिया बेचारी।     

रात और दिन अपशिष्टों का,
बोझा ढोती है।
तनिक नहीं आभास किसी को,
कितना रोती है।
कृत्य मनुज के हैं अब इसकी,
सांसों पर भारी।
किसको दिल के घाव -----

निर्मल है जल मेरा इसको,
निर्मल रहने दे।
रोक नहीं यों अविरल धारा,
मुझको बहने दे।
नित यह विनती करते-करते ,
मानव से हारी।
किसको दिल के घाव ----

आओ मिलकर इसके सारे,
दुख-संताप हरें।
पल-पल दूषित होती जल की,
धारा स्वच्छ करें।
मान इसे मिल जाए जिसकी,
है यह अधिकारी।
किसको दिल के घाव ----
 🌹 ओंकार सिंह विवेक
 (सर्वाधिकार सुरक्षित)



September 1, 2022

राजनीति के कुशल मछेरे

शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏

यों तो मैं मूलत: ग़ज़ल विधा का विद्यार्थी हूं परंतु रस परिवर्तन के लिए अक्सर दोहों, मुक्तकों और नवगीत तथा कुंडलिया आदि के माध्यम से भी भाव अभिव्यक्ति का प्रयास कर लेता हूं।कुछ दिन पूर्व चुनावी हलचल के दौरान राजनैतिक विसंगतियों और विराधाभासों को लेकर एक नवगीत का सृजन हुआ था जो आपके साथ साझा कर रहा हूं :

नवगीत : समीक्षार्थ
    --©️ओंकार सिंह विवेक

राजनीति के कुशल मछेरे,
फेंक रहे हैं जाल।

जिस घर में थी रखी बिछाकर,
वर्षों अपनी खाट।
उस घर से अब नेता जी का,
मन हो गया उचाट।
देखो यह चुनाव का मौसम,
क्या-क्या करे कमाल।।                   

घूम रहे हैं गली-गली में,
करते वे आखेट।
लेकिन सबसे कहते सुन लो,
देंगे हम भरपेट।
काश!समझ ले भोली जनता,
उनकी गहरी चाल।

कुछ लोगों के मन में कितना,
भरा हुआ है खोट।
धर्म-जाति का नशा सुँघाकर,     
माँग रहे हैं वोट।
ऊँचा कैसे रहे बताओ,
लोकतंत्र का भाल।

नैतिक मूल्यों, आदर्शों को,
कौन पूछता आज,
जोड़-तोड़ वालों के सिर ही,
सजता देखा ताज।
जाने कब अच्छे दिन आएँ,
कब सुधरे यह हाल।
    --- ©️ ओंकार सिंह विवेक


August 28, 2022

संवेदनहीनता की पराकाष्ठा !!!!!!

शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏
 प्रात: कल जब नाश्ता करते समय अख़बार खोला तो इन दो हैड लाइंस ने दिल को झकझोर कर रख दिया :

"बच्चा चुप नहीं हुआ तो मां ने हाईवे पर फेंका,कुचलकर मौत"
"संतान के लिए मासूम के किए टुकड़े, ख़ून भी पी गई चाची"
                 (दैनिक जागरण दिनांक २७ अगस्त,२०२२)

इन ख़बरों को विस्तार से पढ़ा तो ढंग से नाश्ता भी नहीं कर सका और कुछ देर के लिए शांत मुद्रा में बैठ गया। निश्चित तौर पर आप में से भी कई साथियों ने ये समाचार पढ़े होंगे और मेरी ही तरह व्यथित भी हुए होंगे।
यों तो दयालुता, निर्दयता और कठोरता आदि मानव स्वभाव के अंग कहे जा सकते हैं परंतु कोई इस हद तक संवेदनहीन हो जाएगा और वह भी एक स्त्री जो सृष्टि की जन्मदात्री है,जो नौ महीने अपनी कोख में संतान को पालती है और प्रसव के समय की कठिनतम पीड़ा को झेलती है ,इतनी निष्ठुर और निर्दयी हो जायेगी इस बात को स्वीकारते समय मन बहुत असहज हो जाता है।
बच्चों के साथ क्रूरता की ये दो घटनाएँ तेजी से उग्र और  असहनशील होते जा रहे मानव स्वभाव की और इशारा करती हैं।इसके लिए बहुत से कारक ज़िम्मेदार हो सकते हैं।व्यक्ति विशेष की अपनी प्रकृति,पारिवारिक परिवेश और सामाजिक मान्यताएं, अंधविश्वास और रूढ़िवादिता --- आदि आदि।
हम सब जानते हैं कि क्रोध की अतिरेकता व्यक्ति को अंधा तो करती ही है साथ में उसकी सही-ग़लत का निर्णय लेने की क्षमता को भी नष्ट कर देती है।पहली घटना में यही हुआ होगा। जब बच्चे के बार-बार रोने और फिर चुप न होने के कारण मां पर हावी हुए क्रोध के शैतान ने उससे उसका विवेक और बुद्धि छीन ली होगी और उसने अपने बच्चे को सड़क पर फेंकने जैसे अमानवीय कृत्य को अंजाम दिया होगा। जब तक उसके सिर से क्रोध का शैतान उतरा तब तक सब कुछ ख़त्म हो चुका था। हर्ष और विषाद की तरह ही क्रोध भी मानव स्वभाव का एक लक्षण है । हां, यह किसी में कम और किसी व्यक्ति में अधिक हो सकता है।अत्यधिक क्रोध करने वाले लोगों के लिए मनोचिकित्सक की काउंसलिंग,पारिवारिक सहयोग और ऐसे ही अन्य उपाय बहुत कारगर साबित होते हैं। अत्यधिक क्रोध में आए व्यक्ति को यदि तत्काल किसी धीर-गंभीर और धैर्य-संयम वाले व्यक्ति का साथ मिल जाता है तो कई बार स्थितियां काफ़ी भिन्न भी हो जाती हैं। सहनशील,संवेदनशील और धैर्यवान व्यक्ति अक्सर उस मानसिक विकृति के शिकार व्यक्ति को समय रहते विपत्ति/दुर्घटना से बचा भी लेता है। अत: घर परिवार और समाज का रोल इसमें बहुत महत्व रखता है।इस बारे में हम सब को गंभीरता से चिंतन करने की आवश्यकता है।
चित्र : गूगल से साभार 

दूसरी घटना में सामाजिक,पारिवारिक परिवेश तथा रूढ़िवादिता,अशिक्षा और अंधविश्वास का भी बड़ा योगदान कहा जा सकता है।घटना को अंजाम देने वाली स्त्री की कई संतानों की जन्म के कुछ समय बाद मृत्यु हो चुकी थी इस कारण वह तांत्रिकों के चक्कर में पड़कर पुन: संतान प्राप्ति हेतु ऐसा अमानवीय  कृत्य कर बैठी।यों तो कहीं-कहीं शहरों में भी तंत्र विद्या के फेर में पड़ने वालों की खबरें कभी-कभार पढ़ने को मिल जाती हैं परंतु ऐसी घटनाएं अक्सर अशिक्षित ग्रामीण वर्ग में अधिक देखने में आती हैं।इसके लिए अशिक्षा और वहां का माहौल बहुत अधिक ज़िम्मेदार कहा जा सकता है।कई ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक भी किसी असाध्य बीमारी आदि को दैवीय प्रकोप मानकर चमत्कार की आशा में तांत्रिकों वगैरह का सहारा लेने में लोग विश्वास रखते हैं जो दिमागी दिवालियेपन की निशानी ही कही जाएगी। जब किसी घर में किसी अप्रिय घटना या विपत्ति के समय कोई सदस्य  तांत्रिक/ओझा आदि को बुलाकर समस्या के समाधान हेतु उसके द्वारा सुझाए गए अतार्किक औरअव्यवहारिक उपायों का सहारा लेता है तो परिवार के अन्य सदस्य भी इसका संज्ञान लेते हैं। परिवार के अन्य सदस्य भी इन चीजों को सही समझने लगते हैं और वे भी किसी मुक़ाम पर इन तांत्रिकों आदि  का सहारा लेते हैं जिसका परिणाम यहां उल्लिखित दूसरी  घटना जैसा ही होता है।
इस दिशा में घर-परिवार ,समाज और शासन-प्रशासन सभी को गंभीर चिंतन करके ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।
लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाए और उनके मानसिक स्वास्थ्य को जांचने का प्रबंध तथा सुधारात्मक उपाय भी शासन स्तर से किए जाएं।समाज में व्याप्त इन कुरीतियों के विरोध के लिए अभियान चलाकर व्यापक जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।यदि व्यक्ति शिक्षित होगा और उसका मानसिक स्वास्थ्य ठीक होगा तो वह किसी भी दशा में तांत्रिकों आदि के चक्कर में पड़कर अपना और अपने परिवार का  बुरा नहीं करेगा।

चित्र : गूगल से साभार 

प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक

August 25, 2022

उनका ऑफ़र और नहीं कुछ

मित्रो सादर प्रणाम 🙏🙏🌹🌹

यह अलग बात है कि तरही मिसरे पर ग़ज़ल कहने में बहुत पाबंदियां हो जाती हैं। आज़ादी से किसी मफहूम को निर्धारित रदीफ और काफियाें में बांधना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। परंतु यह भी सच है की इस बहाने ग़ज़ल तो हो ही जाती है।इधर घरेलू कामों में उलझे रहने की वज़ह से काफ़ी दिनों से कोई ग़ज़ल नहीं हो पाई थी। इस दौरान एक साहित्यिक ग्रुप में तरही मिसरा दिया गया जिस पर एक हल्की-फुल्की ग़ज़ल मैंने भी कह ली जो आपकी अदालत में हाज़िर है। प्रतिक्रिया से अवश्य ही अवगत कराएं :

इससे बढ़कर और नहीं कुछ
२    २ २   २  २   २  २  २
है ये छल-भर और नहीं  कुछ,
उनका ऑफ़र और नहीं कुछ।

काश!समझ  आए  झूठों को,
साँच बराबर  और नहीं कुछ।

नादाँ   हैं    ये    कहने    वाले,
धन से बढ़कर और नहीं कुछ।

है  केवल  आँखों   का  धोखा,
जादू-मंतर  और   नहीं   कुछ।

गाल  बजाने   हैं   हज़रत   को,
करना दिन भर और नहीं कुछ।

रिश्वत  का  बस  रुतबा   देखा,
दफ़्तर-दफ़्तर  और  नहीं कुछ।

कोई   अपना-सा   मिल  जाए,
"इससे बढ़कर और  नहीं कुछ"

नस्ल-ए-नौ  ऐ  हाकिम  तुझसे,
माँगे  अवसर  और  नहीं  कुछ।
        ---ओंकार सिंह विवेक 

        (सर्वाधिकार सुरक्षित)

August 23, 2022

कुंडलिया के बहाने

शुभ प्रभात मित्रो 🙏🙏🌹🌹

सुब्ह के साढ़े पाँच बजे हैं ।आसमान में हल्के काले बादल चहल क़दमी कर रहे हैं।प्राणदायिनी वायु मन को प्रफुल्लित कर रही है।मैं मॉर्निंग वॉक के बाद यह ब्लॉग पोस्ट लिखने बैठ गया हूं।


साहित्यकार के चिंतन का पंछी हमेशा ही उड़ान पर रहता है जो एक अच्छा संकेत भी है।अवसर के अनुकूल भी साहित्यकार की लेखनी कुछ न कुछ सार्थक लिखकर अपने दायित्व का निर्वहन करती रहती है।अभी पिछले दिनों कई महत्पूर्ण त्योहार बीत।हमारे गौरव का प्रतीक स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय पर्व जिसे  आज़ादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया गया, हर भारतवासी के दिल में देश भक्ति का जज़्बा और जुनून जगाकर गया है।आज़ादी के अमृत महोत्सव की कड़ी में चल रहे कार्यक्रमों का समापन १५अगस्त,२०२३ को होगा।इस बार हर घर तिरंगा मुहिम का बहुत बड़ा असर देखने को मिला।अधिकांश लोगों ने अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज/तिरंगा लगाकर अपने देश प्रेम का परिचय दिया। राष्ट्रीय एकता की भावना से ओतप्रोत परिवेश में तिरंगे के सम्मान में मुझसे एक कुंडलिया छंद का सृजन हो गया जिसे आपके साथ साझा कर रहा हूं।
    कुंडलिया 
भारत की  नित विश्व में, बढ़ा रहा है शान,
हमें  तिरंगे  पर  बड़ा, होता है  अभिमान।
होता है अभिमान, सभी  यह लक्ष्य बनाएँ,
प्रेम-भाव  के  साथ, इसे  घर-घर फहराएँ।
चलो दिखा दें आज,एकता की हम ताकत,
 कहे सकल  संसार,देश अनुपम  है भारत।
           ---ओंकार सिंह विवेक 
इस दौरान श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भी हर्ष और उल्लास के साथ देश भर में मनाया गया।भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं और उनके विराट व्यक्तित्व से हम सभी भली भांति परिचित हैं।श्री कृष्ण द्वारा युद्ध के मैदान में अर्जुन को दिए गए गीता के संदेश आज भी हमें अपने कर्तव्यों का भान कराते हुए प्रासंगिक बने हुए हैं।पवित्र ग्रंथ गीता में संकलित ज्ञान का अगर बहुत थोड़ा सा अंश भी अपने जीवन में उतार सकें तो हमारा जीवन सफल हो जाए। श्री कृष्ण के जन्म के समय जो परिस्थितियां थीं उन्हें हम सब जानते हैं।दुष्ट कंस ने उनके माता-पिता को बंदीगृह में डाल रखा था और जेल तथा मथुरा नगरी के चप्पे-चप्पे पर सख़्त पहरा था। माँ सरस्वती की कृपा से उस दृश्य का चित्रण भी एक कुंडलिया के माध्यम से हो गया उसे भी आपके साथ साझा करने का लोभ संवरण मैं नहीं कर पा रहा हूं:
कुंडलिया 
कृष्ण कन्हैया ने लिया,जब पावन अवतार,
स्वत: खुल गया कंस के, बंदीगृह का द्वार।
बंदीगृह  का  द्वार, ईश  की  महिमा न्यारी,
सोए   पहरेदार, नींद   की  चढ़ी   ख़ुमारी।
शांत  हुईं  तत्काल, उफनती  यमुना  मैया,                  
पहुँचे  गोकुल  धाम,दुलारे कृष्ण  कन्हैया। 
         ---ओंकार सिंह विवेक 
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
      ओंकार सिंह विवेक 





August 21, 2022

अमृत महोत्सव

भारत विकास परिषद महान संत स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों पर स्थापित एक अराजनैतिक स्वयंसेवी संस्था है। जीवन के सभी क्षेत्रों जैसे संस्कृति, शिक्षा,अध्यात्म ,नीति और राष्ट्र प्रेम आदि के संरक्षण और संवर्धन के लिए यह संस्था पूरी तरह समर्पित है। संस्था का लक्ष्य वाक्य -- 

" स्वस्थ्य, समर्थ,संस्कृत भारत" है।


कल सांय स्टार चौराहे के समीप पंजाबी नेचर बैंकट हॉल, रामपुर-उ०प्र ० में आज़ादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर भारत विकास परिषद की मुख्य शाखा रामपुर की  पारिवारिक बैठक का आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।



कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय एकता और समरसता की भावना जैसे महत्वपूर्ण विषयों को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए गए।



 कई सदस्यों ने देश भक्ति की भावना को प्रबल करने वाले जोशीले गीत प्रस्तुत किए। मेरी पत्नी श्रीमती रेखा जी द्वारा भी इस अवसर पर अपनी सूक्ष्म प्रस्तुति दी गई।परिषद के सदस्य भाई ललित अग्रवाल जी द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव को लेकर एक क्विज प्रतियोगिता का संचालन किया गया जिसमें बड़ों के साथ-साथ बच्चों ने भी बढ़ चढ़कर प्रतिभाग करके प्रोत्साहन गिफ्ट प्राप्त किए।

कार्यक्रम का सफल संचालन परिषद के अध्यक्ष श्री रवींद्र गुप्ता जी द्वारा किया गया।

प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक 




August 19, 2022

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष

साथियो श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🌹🌹🙏🙏

चित्र : गूगल से साभार 
दोहे : श्री कृष्ण जन्माष्टमी
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लिया  द्वारकाधीश  ने,जब  पावन  अवतार,
स्वत: खुल  गया कंस  के,बंदीग्रह  का द्वार।

काम न आई कंस की, कुटिल एक  भी  चाल,
हुए कृष्ण जी अवतरित,बनकर उसका काल।

बाल  रूप  में  आ  गए, उनके  घर  भगवान,
नंद-यशोदा  गा   रहे,मिलकर   मंगल   गान।

जिसको  सुनकर  मुग्ध थे,गाय-गोपियाँ-ग्वाल,
छेड़ो वह  धुन आज फिर ,हे! गिरिधर गोपाल।
  
दुष्टों  का   कलिकाल  के, करने   को  संहार,
चक्र सुदर्शन  कृष्ण  जी,पुनः  लीजिए   धार।

कर्मयोग   से   ही   बने, मानव  सदा   महान,
यही   बताता   है   हमें, गीता  का   सद्ज्ञान।

लेते   रहिए  नित्य प्रति, वंशीधर   का   नाम,
बन   जाएंगे   आपके, सारे    बिगड़े   काम।
          ---ओंकार सिंह विवेक
               (सर्वाधिकार सुरक्षित)




August 17, 2022

सारे जग में भारत की पहचान तिरंगा है

   
   🇹🇯🇹🇯🇹🇯सारे जग में भारत की पहचान तिरंगा है 🇹🇯🇹🇯🇹🇯

  आज़ादी का अमृत महोत्सव : कवि सम्मेलन सह मुशायरा
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                                               --- ओंकार सिंह विवेक

भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के पराक्रम और पुरुषार्थ से १५ अगस्त,१९४७ को देश आज़ाद हुआ। आज हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।आज़ादी के बाद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में हर क्षेत्र में चहुंमुखी विकास हुआ है।आज दुनिया का कोई भी देश हमारी उपलब्धि और सामर्थ्य को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।
१५अगस्त,२०२२ को स्वतंत्रता दीवार की ७५वीं वर्षगांठ पर हर घर तिरंगा और तिरंगा प्रभात फेरियों के साथ ही देश भर में ध्वजारोहण कार्यक्रम पूरे उल्लास के साथ आयोजित किए गए।इसी क्रम में जनपद रामपुर-उ०प्र० के आनंद कॉन्वेंट स्कूल में साहित्यिक संस्था अखिल भारतीय काव्यधारा रामपुर के तत्वावधान में एक शानदार कवि सम्मेलन सह मुशायरा स्कूल के उत्साही युवा प्रबंधक श्री पीयूष कुमार सक्सैना जी के संयोजन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में स्थानीय साहित्यकारों सहित उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड से पधारे अनेक प्रसिद्ध कवियों ने आज़ादी के अमृत महोत्सव की महत्ता को प्रतिपादित करती हुई देश भक्ति से ओतप्रोत रचनाएँ सुनाकर आमंत्रित श्रोताओं की वाही वाही लूटी।
  काव्य पाठ करते हुए अखिल भारतीय काव्य धारा के संस्थापक अध्यक्ष जितेंद्र कमल आनंद जी ने कहा :

  तुममें ही हैं देव असुर सब अब तक विष ही पाया है,
   पा जाओगे अमृत भी तुम जब मंथन हो जाएगा। 
स्कूल के प्रबंधक और कार्यक्रम के संयोजक पीयूष कुमार सक्सैना ने अपने विचार व्यक्त करते हुए इस अवसर की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा सभी से देश के प्रति अपने दायित्वों का भली प्रकार निर्वहन करने की अपील की।
उन्होंने आगे भी इस प्रकार के आयोजनों में अपने भरपूर सहयोग का आश्वासन दिया।
काव्य पाठ करते हुए रामपुर के कवि  प्रदीप राजपूत माहिर जी ने कहा : 
क़ैद से  निजात  का सब  हिसाब  याद रख,
ज़िन्दाबाद याद  रख  इन्क़िलाब  याद रख।

नौजवान  देश  के  जिस  पे  जाँ  लुटा  गये,
मुल्क के निज़ाम का वो ही ख़्वाब याद रख। 
     
रामपुर के वरिष्ठ साहित्यकार रामकिशोर वर्मा जी ने अपनी सामयिक प्रस्तुति देते हुए कहा : 
       तिरंगा न झुकने दिया, दे दी अपनी जान,
        ओढ़ तिरंगे का कफ़न, और बढ़ा दी शान।

हास्य रस के प्रसिद्ध कवि धीरेंद्र सक्सैना ने कंधे से कंधा मिलाकर चलने के सकारात्मक भाव को अपने चुटीले अंदाज़ पेश किया और बताया कि ऐसा करने से किस प्रकार कभी कभी लेने के देने भी पड़ जाते हैं।
रामपुर की प्रतिभाशाली कवयित्री रागिनी गर्ग चुनमुन ने कुछ इस प्रकार अपने भावों को अभिव्यक्ति दी :

       दुखों से हम थके हारे व्यथा के गीत गाते हैं,
       ग़मों ने खूब तोड़ा है, नहीं पग डगमगाते हैं।
रामपुर के प्रसिद्ध ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक ने सामयिक रचना पाठ करते हुए कहा :
           वीर  शहीदों   की   गाथा   का  गान  तिरंगा  है,
           हर   भारतवासी   का  गौरव - मान  तिरंगा  है।
           गर्व न हो क्यों हमको आख़िर इस पर बतलाओ,
           सारे   जग   में  भारत   की   पहचान  तिरंगा  है।

रामपुर के प्रतिष्ठित व्यवसायी और सह्रदय कवि रविप्रकाश जी ने प्रेरक सामयिक अभिव्यक्ति दी :
        वीर विनायक, दामोदर, सावरकर जिंदाबाद,
        कष्ट सहा काले पानी का, कोल्हू को पेला था।
        कालकोठरी में यम से वह वीर युद्ध खेला था।
         कौड़ों से पीटे जाते थे,कभी बैंत खाते थे,
         कभी पेट भर जाता अक्सर भूखे सो जाते थे।
 
देर शाम तक चले इस काव्य अनुष्ठान ने श्रोताओं को अंत तक बांधे रखा।कार्यक्रम समापन पर श्री पीयूष सक्सैना जी द्वारा बहुत प्रेम से सबको सुरुचिपूर्ण जलपान कराकर आभार ज्ञापित किया गया।
     प्रस्तुतकर्ता: ओंकार सिंह विवेक 

राष्ट्रीय तूलिका मंच एटा- उ०प्र० (भारत)

शुभ प्रभात मित्रो🙏🙏🌹🌹

मैं पिछले कई वर्ष से राष्ट्रीय तूलिका मंच एटा-उ०प्र० से जुड़ा हुआ हूं।यह देश के अत्यधिक प्रतिष्ठित साहित्यिक व्हाट्सएप ग्रुप्स में से एक है जो मानक हिंदी को लेकर बहुत ही प्रतिबद्ध है।यदि साहित्यिक और प्रशासनिक अनुशासन की बात करूं तो जिन साहित्यिक समूहों से मैं जुड़ा हुआ हूं उनमें यह श्रेष्ठतम समूह कहा जा सकता है।बहुत वरिष्ठ और अपने क्षेत्र में दक्षता रखने वाले साहित्यकार इस समूह का गौरव बढ़ा रहे हैं।अनुशासन का पालन न करने वाले रचनाकर/समीक्षक को यहां तुरंत ही बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।यही कारण है कि इस समूह में अनावश्यक भीड़ नहीं है।जो साहित्यकार सीखने में रुचि रखते हैं और समीक्षकों की सार्थक टिप्पणियों को बिना किसी अहम के सह्रदयता से लेते हैं उनके लिए यह एक लाभदायक समूह है।समूह में कई अवसरों पर मैंने देखा है कि रचनाकर और समीक्षक के मध्य विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर समूह प्रशासक/संस्थापक ने तुरंत हस्तक्षेप करके बिना किसी पूर्वाग्रह के आवश्यक कार्यवाही करके उसका निस्तारण किया है।

मैं ऐसे श्रेष्ठ साहित्यिक समूह की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना करता हूं तथा प्रोत्साहन प्रतिसाद प्रदान करने हेतु आभार व्यक्त करता हूं।

August 15, 2022

सारे जग में भारत की पहचान तिरंगा है!!!!!🇹🇯🇹🇯🇹🇯🇹🇯

साथियो आज़ादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाए जा रहे देश के ७६वें  स्वतंत्रता दिवस (७५ वीं वर्ष गाँठ) के शुभ अवसर पर आप सभी को सपरिवार हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। वंदे मातरम् का जयघोष करते हुए हमारा देश यों ही दुनिया में अपनी अपनी उपलब्धियों का लोहा मनवाता रहे।लगभग दो सौ साल अंग्रेज़ो  की दासता में रहने के बाद भारतीय वीरों के पुरुषार्थ से हमें जो आज़ादी मिली है आइए उसके संरक्षण का प्रण लें।
अवसर के अनुकूल अपनी कुछ रचनाएँ आपके साथ साझा कर रहा हूं और साथ ही हर घर तिरंगा मुहिम में हिस्सेदारी करते हुए तिरंगे के साथ परिवार सहित जो फोटो लिया है उसे भी साझा करते हुए मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है।
स्वतंत्रता दिवस:कुछ दोहे
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           -------ओंकार सिंह विवेक
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  आज़ादी  पाना  कहाँ ,था  इतना आसान।
  वीरों ने इसके  लिए, प्राण किए बलिदान।।
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  लुटा गए जो देश पर,हँसकर अपनी जान।
  हम उनके बलिदान का ,रखें हमेशा मान।।
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  राष्ट्र  सुरक्षा  में  दिया, अपना  जीवन वार।
  भारत  के  रणबांकुरों,नमन तुम्हें सौ बार।।
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  जागे  सबकी  चेतना, रखें  सभी यह ध्यान।
  संविधान का हो नहीं,किंचित भी अपमान।।
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   मन में यह ही कामना, है यह  ही अरमान।
   दुनिया का सिरमौर  हो , मेरा  हिंदुस्तान।।
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            -----ओंकार सिंह विवेक
                        
आज़ादी का अमृत महोत्सव : दो मुक्तक
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                           1.
वीर  शहीदों   की   गाथा   का  गान   तिरंगा  है।
हर   भारतवासी    का    गौरव-मान   तिरंगा   है,
गर्व न हो क्यों हमको इस  पर आख़िर बतलाओ,
सारे  जग   में   भारत   की   पहचान  तिरंगा  है।

                          2.
सीना दुश्मन  की  सेना  के  आगे अपना  तान रखा,
होठों पर  हर पल आज़ादी का ही पावन गान रखा।
शत-शत  वंदन  करते  हैं हम श्रद्धा से उन वीरों का,
देकर जान जिन्होनें भारत माँ का गौरव-मान रखा।
               ---©️ ओंकार सिंह विवेक
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August 14, 2022

इक बंजर धरती पर -----

मित्रो प्रणाम 🌹🌹🙏🙏

इन दिनों  हम सब देश की आज़ादी का जश्न अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं।सभी को राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।हर घर तिरंगा और तिरंगा यात्राओं को देखकर लोगों के देश प्रेम का जज़्बा और जुनून पता चलता है।
काश ! यह मुहिम आपसी सौहार्द को और अधिक मज़बूत कर दे ताकि सब मेल-मुहब्बत और भाईचारे से देश को आगे बढ़ा सकें।
जय हिंद,जय भारत🙏🙏🌹🌹🇹🇯🇹🇯

पेश है मेरी एक ताज़ा ग़ज़ल 
ग़ज़ल ****ओंकार सिंह विवेक 
©️
अहल-ए-नफ़रत को उल्फ़त की राह दिखानी है,
इक  बंजर  धरती  पर हमको  फ़स्ल  उगानी है।

लीपा-पोती  कर   दी  जाएगी  फिर  तथ्यों  पर,
सिर्फ़ दिखावे को कुछ दिन तक जाँच करानी है।
©️
बहुमत  साबित हो  ही  जाना  है  कल संसद में,
बस  दो-चार  दलों   में  उनको  सेंध  लगानी है।

आती  ही  है  मुश्किल  सच  के  पैरोकारों  पर,
 हम  पर  आई  है   तो  इसमें  क्या  हैरानी  है।

वक़्त  कहाँ  करने  वाला  है  चाल  भला धीमी,
हमको   ही  अपनी  थोड़ी   रफ़्तार  बढ़ानी  है।
©️
छोड़ो भी अब और पशेमां  क्या  करना उसको,
अपनी  ग़लती  पर  वो  ख़ुद  ही पानी-पानी है।

दिन  भर   शोर-शराबा, छीना-झपटी,  हंगामा,
कितनी  और  उन्हें संसद  की साख गिरानी है?

 त्याग  नहीं  पाया  है  कोई  मोह  मगर इसका,
 कहने  को  तो  सब  कहते हैं  दुनिया फ़ानी है।
                  ---  ©️ ओंकार सिंह विवेक 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

यह चित्र हमारे जनपद रामपुर की प्रसिद्ध गाँधी समाधि का है जो शाम के समय लिया गया है।

August 11, 2022

डॉक्टर मधुकर भट्ट : एक अद्भुत व्यक्तित्व

डॉक्टर मधुकर भट्ट : एक अद्भुत व्यक्तित्व
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                                 --ओंकार सिंह विवेक

फोटो में आप हल्के हरे रंग के कुर्ते और धोती में सफ़ेद दाढ़ी वाले जिन सज्जन को देख रहे हैं वह कोई आम व्यक्तित्व नहीं है। अपने आभामंडल पर एक अलग प्रकार का तेज लिए बयासी वर्ष की आयु में भी ग़ज़ब की ऊर्जा लिए यह हैं महान शिक्षाविद और कवि डॉक्टर मधुकर भट्ट जी।
अपनी पिछली ब्लॉग पोस्ट में मैंने आपसे इनका थोड़ा सा ज़िक्र भी किया था कि इनके बारे में अगली पोस्ट में आपको अवश्य बताऊंगा सो आज वादा पूरा कर रहा हूं।
दिनाँक ९अगस्त ,२०२२ को अपने काव्य पाठ की रिकॉर्डिंग के लिए जब आकाशवाणी रामपुर -उ०प्र० जाना हुआ तो डॉक्टर मधुकर भट्ट जी से मुलाक़ात का सौभाग्य प्राप्त हुआ।आप भी अपने कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग के लिए आकाशवाणी स्टूडियो में पधारे हुए थे।कार्यालय के वेटिंग रूम में मैं भी रामपुर के वरिष्ठ कवि श्री शिवकुमार शर्मा चंदन जी और युवा कवि श्री बलवीर सिंह जी के साथ बैठा हुआ था।डॉक्टर भट्ट जी भी अपने शिष्य के साथ वहीं बैठे थे।उनके मुख पर जो तेज था वह मुझे प्रभावित कर रहा था। मैं उनके विराट व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उनसे परिचय जानने के लिए संवाद करने ही वाला था कि उन्होंने स्वयं ही पहल करते हुए हमारे बारे में जानना प्रारंभ कर दिया।हमने उन्हें अपना - अपना परिचय देते हुए बताया कि हम लोग कवि हैं और यहां एक काव्य गोष्ठी की रिकॉर्डिंग के लिए आए हुए हैं।यह जानकर मधुकर जी बहुत प्रसन्न हुए और स्वयं विस्तार से अपना परिचय देने लगे।

चित्र में बाएं से दाएं: युवा कवि बलवीर सिंह, मैं ओंकार सिंह विवेक, डॉक्टर मधुकर भट्ट जी तथा रामपुर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री शिव कुमार शर्मा चंदन जी

डॉक्टर भट्ट ने बताया कि वह मूलत: बनारस के रहने वाले हैं और उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में शिक्षा विभाग में उच्च पदों पर रहने के बाद अब जनपद रुद्रपुर (ऊधमसिंह नगर)- उत्तराखंड में स्थाई रूप से बस गए हैं।डॉक्टर मधुकर भट्ट साहब ने बताया की इस समय उनकी आयु ८२वर्ष है। उन्हें हिंदी साहित्य जगत की महान हस्तियों श्री सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, श्री सुमित्रा नंदन पंत तथा आदरणीया महादेवी वर्मा आदि के सानिध्य में रहने का अवसर प्राप्त हो चुका है। उनमें से कई के साथ उन्होंने राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में मंच भी साझा किए हैं। श्री सुमित्रानंदन पंत के अंतिम दिनों की याद करते हुए उनकी आँखें भर आईं।उन्होंने बताया "पंत जी के भावों ,विचारों और लेखन में जितनी कोमलता थी शरीर से भी वे उतने ही कोमल थे।एक बार मैंने उनकी सेवा के दौरान जुराबों से उनके पांव निकाल कर मालिश की तो उनके शरीर की नाज़ुकी और नरमी का एहसास हुआ।" उन्होंने सभी साहित्य पुरोधाओं का स्मरण करते हुए बताया की वे सभी अपने क्षेत्र के प्रकांड विद्वान और नए लोगों को प्रोत्साहित करने और सिखाने वाले लोग थे। अभिमान से कोसों दूर वे लोग अनवरत साहित्य साधना में लीन रहते थे। डॉक्टर भट्ट को इस बात का बेहद दुःख है कि अब न ऐसे गुरु ही हैं जो हिंदी साहित्य की समृद्ध विरासत और परंपरा को आगे बढ़ा सकें और न ही गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने वाले वे शिष्य ही हैं जो गुरुओं के चरणों में बैठकर सीखने की ललक रखते हों। हां, कुछ अपवाद ज़रूर मिल सकते हैं इसके,जिसे आदरणीय भट्ट जी ने भी स्वीकार किया।
हम मंत्रमुग्ध होकर डॉक्टर साहब की बातें सुन रहे थे।इस उम्र में भी उनकी स्मरण शक्ति ,चेहरे का तेज और ऊर्जा हमें बहुत प्रभावित कर रही थी।उनके अदभुत वाककौशल के सम्मोहन में बंधे हम जीवन और दुनिया को लेकर उनके अनुभव सुन रहे थे।मालूम हुआ कि साहित्य के साथ साथ उन्हें ज्योतिष विद्या का भी ज्ञान है।किसी भी विषय पर धाराप्रवाह बोलने में उन्हें महारत हासिल है यह बात उनके साथ थोड़ा-सा समय बिताने पर हमें भली प्रकार मालूम हो गई।उन्होंने बताया कि वह सदैव ही अपने खानपान और दिनचर्या को लेकर बहुत सजग रहते हैं।यही कारण है की इस आयु में भी उनके चेहरे का तेज देखते ही बनता है।मधुकर जी ने बताया की वे अब कवि सम्मेलनों आदि में नहीं जाते हैं।बस आत्म संतुष्टि के लिए साहित्य साधना और आध्यात्मिक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं।किसी विषय विशेष पर व्याख्यान आदि देने के लिए महाविद्यालयों और बड़े संस्थानों आदि में चले जाते हैं और कभी-कभार रेडियो स्टेशन रामपुर आ जाते हैं अपनी कविताओं और वार्ताओं की रिकॉर्डिंग करवाने के लिए।डॉक्टर साहब ने बताया कि वे अपने जीवन से पूरी तरह संतुष्ट हैं। उन्होंने हम सबको अपने व्यक्तिगत ,सामाजिक और साहित्यिक जीवन को निखारने के लिए अपने अनुभव के आधार पर कई व्यवहारिक सुझाव दिए।
हम सभी साहित्यकारों ने अपने जीवन के कुछ महत्वपूर्ण संस्मरण सुनाने तथा हमारा मार्गदर्शन करने के लिए ह्रदय से डाक्टर मधुकर भट्ट जी आभार व्यक्त करते हुए उनसे विदा ली।
              ---ओंकार सिंह विवेक 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)



August 9, 2022

विश्व संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत

 विश्व संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत
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        --ओंकार सिंह विवेक
आज दिनांक ०९ अगस्त,२०२२ को एक काव्य गोष्ठी की रिकॉर्डिंग के आमंत्रण पर आल इंडिया रेडियो,रामपुर उ०प्र०जाना हुआ। मुझे इस बात का गर्व है कि अपने नगर के इस प्रतिष्ठित रेडियो स्टेशन से मैं पिछले लगभग ३० वर्ष से एक कवि/वार्ताकार के रूप में जुड़ा हुआ हूं तथा रिकॉर्डिंग के लिए अक्सर ही वहां जाना होता रहता है।वहां के बहुत ही विनम्र और सौम्य-शालीन व्यवहार के धनी कर्मचारियों और अधिकारियों से मिलकर बहुत अच्छा लगता है।
इस बार वहां रिकॉर्डिंग पर जाना कुछ ख़ास रहा सो सोचा आप सभी मित्रों से इस अवसर और प्रसंग को साझा किया जाए।
आकाशवाणी रामपुर के सीनियर अनाउंसर और मेरे अच्छे मित्र श्री असीम सक्सैना जी का संदेश आया कि विवेक जी आपकी रिकॉर्डिंग तो ११बजे से है परंतु इससे पहले १०बजे से आकाशवाणी केंद्र पर अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत दिवस को लेकर चल रहे संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत एक कार्यक्रम और हो रहा है अत: आप प्रात: १०बजे आकर इस कार्यक्रम में भी सहभागिता करें तो आकाशवाणी परिवार को अच्छा लगेगा। मैंने उनका आग्रह सहर्ष स्वीकार कर लिया और नियत समय पर आकाशवाणी रामपुर पहुंच गया।
रिकॉर्डिंग रूम में संस्कृत सप्ताह पर नियत कार्यक्रम की तैयारी चल रही थी।वहां केंद्र के वरिष्ठ उदघोषक श्री असीम सक्सैना ,कार्यक्रम अधिशासी डॉक्टर विनय वर्मा जी सहित आकाशवाणी के अन्य स्टाफ तथा अपनी प्रस्तुति देने उपस्थित हुईं श्रीमद दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय चोटीपुरा ज़िला अमरोहा-उ०प्र० की छात्राओं तथा सम्मानीय आचार्या से मिलकर हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हुआ।

कार्यक्रम में छात्राओं ने भारतीय संस्कृति को गौरवान्वित करते गीत और भजनों का  संस्कृत भाषा में बहुत ही मधुर सस्वर पाठ किया तथा संस्कृत भाषा में ही वैदिक भारतीय संस्कृति का बखान करते हुए इसके संवर्धन और संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया।गुरुकुल की आचार्या ने धाराप्रवाह संस्कृत में अपने बहुत ही सारगर्भित वक्तव्य से आमंत्रित अतिथियों का मन मोह लिया।

कार्यक्रम के अंत में केंद्र के कार्यक्रम अधिकारी श्री विनय वर्मा जी द्वारा सभी का आभार प्रकट किया गया तथा अंत में वरिष्ठ उदघोषक श्री असीम सक्सैना जी द्वारा कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई।
इस कार्यक्रम के समापन के बाद हमारी काव्य गोष्ठी की रिकॉर्डिंग की गई जिसके संचालन के दायित्व का निर्वहन मेरे द्वारा किया गया। कवि गोष्ठी में रामपुर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री शिव कुमार शर्मा चंदन, रामपुर से ही श्री बलवीर सिंह जी तथा मैं ओंकार सिंह विवेक एवं पीलीभीत से श्री सतीश मिश्र जी ने सहभागिता की।
गोष्ठी में सभी साहित्यकारों ने जनसरोकार और प्रकृति चित्रण से जुड़े विषयों पर भावपूर्ण प्रस्तुतियां दीं।
काव्य गोष्ठी का प्रसारण आकाशवाणी के रामपुर-उ०प्र० केंद्र से दिनांक ३०अगस्त,२०२२ को रात्रि ०९:३० बजे सुना जा सकता है। रेडियो सेट के अतिरिक्त गूगल प्ले स्टोर से AIR App  डाउनलोड करके भी इसे देश के किसी भी कोने में सुन सकते हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान हमारी आकाशवाणी केंद्र पर ही पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला,श्री सुमित्रानंदन पंत,आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी व महादेवी वर्मा सरीखे साहित्यकारों का सानिध्य प्राप्त कर चुके महान शिक्षाविद और कवि ८२ वर्षीय डॉक्टर मधुकर भट्ट जी से भी भेंट हुई।उनसे मुलाक़ात और उनके द्वारा सुनाए गए संस्मरण तथा चित्र मैं अपनी अगली ब्लॉग पोस्ट में साझा करूंगा।
तब तक के लिए नमस्कार/शुभ संध्या🙏🙏🌹🌹 

August 5, 2022

जंगल और पहाड़

नमस्कार मित्रो 🙏🙏🌹🌹

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आज सुबह से ही मौसम बहुत सुहावना हो रहा है। हल्की- हल्की बूंदा- बांदी के साथ मस्त हवा के झोंके तन- मन को प्रफुल्लित कर रहे हैं।सावन का पावन मास अपने पूर्ण यौवन पर है। खेतों में हरियाली, भक्ति संगीत की धुन पर थिरकते कांवरिए,झूलों पर पींग बढ़ाती और कजरी गाती सुहागिनें तथा फैनी और घेवर का आनंद -----इन मनोहारी दृश्यों को देखकर कौन भला खुशी का अनुभव नहीं करेगा।
इन दृश्यों के यूं ही सदाबहार बने रहने की कामना मन में लिए आपकी प्रतिक्रिया की अपेक्षा के साथ पर्यावरण की चिंता करते हुए कुछ दोहे प्रस्तुत कर रहा हूं :
पर्यावरण :पाँच दोहे
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    ओंकार सिंह विवेक      
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करता  है दोहन  मनुज,ले  विकास  की आड़,
कैसे  चिंतित   हों   नहीं , जंगल और पहाड़।
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ताप  धरा का  बढ़  रहा,पिघल  रहे हिमखंड,
आज  प्रकृति से  छेड़ का,मनुज पा रहा दंड।
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सब  ही  मैला कर  रहे,निशिदिन इसका नीर,
गंगा माँ   किससे  कहे,जाकर  अपनी   पीर। 
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देते   हैं   हम  पेड़  तो, प्राण  वायु   का  दान,
फिर  क्यों लेता  है मनुज, बता  हमारी जान।
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सबसे    है     मेरी    यही,  विनती    बारंबार,
वृक्ष   लगाकर   कीजिए, धरती   का  शृंगार।
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  --ओंकार सिंह विवेक
 (सर्वाधिकार सुरक्षित)
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August 3, 2022

बस यही उनको खल गया होगा

नमस्कार मित्रो 🙏🙏🌹🌹

भोले शंकर के पावन श्रावण मास के सभी तीज-त्योहारों की आप सबको हार्दिक बधाई।अतिव्यस्तता के कारण कई दिन बाद आपसे रूबरू होने का अवसर मिल रहा है।
दोस्तो हम सब भली भांति परिचित हैं कि कुछ भी सीखने और सिखाने की प्रक्रिया जीवन पर्यन्त चलती रहती है।इसी के मद्देनज़र मैं कई बार अपनी पुरानी ग़ज़लों और अन्य रचनाओं में सुधार करके अथवा उनका विस्तार करके पुन:  समय - समय पर प्रस्तुत करता रहता हूं।इसी क्रम में अपनी एक काफ़ी पहले कही गई ग़ज़ल को कुछ नए अशआर जोड़ने तथा कुछ में संशोधन करने के उपरांत आपकी अदालत में फिर से प्रस्तुत कर रहा हूं।अपनी प्रतिक्रियाओं से अवश्य ही अवगत कराइएगा:

फ़ाइलातुन    मुफाइलुन    फ़ेलुन/फ़इलुन
ग़ज़ल-- ©️ओंकार सिंह विवेक

©️
माँ  का  आशीष   फल  गया   होगा,
गिर  के   बेटा   सँभल  गया   होगा।

ख़्वाब  में   भी  न  था  गुमां  हमको,
दोस्त    इतना    बदल   गया  होगा।

छत  से    दीदार   कर   लिया  जाए,
चाँद  कब  का   निकल  गया  होगा।
©️
सच   बताऊँ   तो    जीत   से    मेरी,
कितनों का  दिल ही जल गया होगा।

रख    दिया    था  जो  आइना  आगे,
बस   यही  उसको  खल  गया होगा।

लूट  ली   होगी  उसने   तो  महफ़िल,
जब   सुनाकर   ग़ज़ल   गया  होगा।

जीतकर    सबका   एतबार  'विवेक',
चाल   कोई   वो   चल    गया  होगा।   
            -- ©️ओंकार सिंह विवेक
               (सर्वाधिकार सुरक्षित)



कवि सम्मेलन रुद्रपुर - उत्तराखंड





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