October 27, 2023

रस सिद्ध शायर देवी प्रसाद गौड़ 'मस्त' की 110 वीं जयंती

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏
     
        (मंच पर अतिथि के रूप में साहित्यकारों एवम् रणधीर प्रसाद गौड़ धीर जी के परिजनों के साथ सुखद पल)
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बरेली के वरिष्ठ शायर और कवि आदरणीय रणधीर प्रसाद गौड़ धीर साहब का लगभग एक माह पूर्व फोन आया था कि हमारे पिताश्री मशहूर शायर और कवि पंडित देवी प्रसाद गौड़ मस्त जी की ११० वीं जयंती पर आयोजित होने वाले कवि सम्मेलन और साहित्यकार सम्मान समारोह में आप सादर आमंत्रित हैं। 
आदरणीय धीर साहब का स्नेह मुझे अक्सर ही साहित्यिक कार्यक्रमों में मिलता रहा है। यह भी एक सुखद संयोग है कि उनका प्रारंभिक जीवन मेरे गृह नगर रामपुर में ही बीता है सो अक्सर रामपुर से जुड़ी  पुरानी यादों को लेकर उनसे फोन पर बात होती रहती है।
 आदरणीय गौड़ साहब की मुहब्बतों के चलते
 २६ अक्टूबर ,२०२३ को रामपुर के वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय शिव कुमार चंदन जी के साथ उक्त कार्यक्रम में जाना हुआ।        
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्य भूषण सुरेश बाबू मिश्रा एवं विशिष्ट अतिथिगण रामपुर से पधारे शिवकुमार चंदन एव ओंकार सिंह विवेक रहे।अध्यक्षता वरिष्ठ शायर विनय सागर जायसवाल ने की।कार्यक्रम बरेली कवि गोष्ठी आयोजन समिति के तत्वावधान में संपन्न हुआ।कार्यक्रम में सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा आदरणीय धीर साहब के ग़ज़ल संग्रह "सलाम-ए-इश्क़" का विमोचन किया गया।
     (रणधीर प्रसाद गौड़ धीर जी के ग़ज़ल संग्रह 
       सलाम-ए-इश्क़ का विमोचन)

 दूसरे चरण में साहित्यकार  शिव कुमार चंदन, ओंकार सिंह विवेक शायर असद मिनाई, असरार नसीमी, नईम खान शबाव कासगंजबी एवं किच्छा के नबी अहमद मंसूरी  को  साहित्यिक क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान के लिए 'पं.देवी प्रसाद गौड़ मस्त साहित्य सम्मान' प्रदान किया गया।सम्मान स्वरूप शॉल, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह संस्था के अध्यक्ष/ कार्यक्रम संयोजक रणधीर प्रसाद गौड़ धीर, महासचिव बृजेंद्र तिवारी तथा संस्था सचिव उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने प्रदान किए।
     (कार्यक्रम में मेज़बान रणधीर प्रसाद गौड़ धीर तथा मंचासीन अतिथियों से 'पंडित देवी प्रसाद गौड़ मस्त साहित्य सम्मान' ग्रहण करते हुए)

 तृतीय सत्र में कवि सम्मेलन/ मुशायरा हुआ जिसमें कवियों/शायरों ने ने अपने समसामयिक काव्य पाठ से श्रोताओं को अंत तक बांधे रखा।कार्यक्रम में मंच पर आसीन कवियों के अतिरिक्त शिवरक्षा पांडेय, ज्ञान देवी वर्मा सत्यम्,वेद प्रकाश शर्मा अंगार,दीपक मुखर्जी, रामधनी निर्मल,रामकुमार भारद्वाज अफरोज, प्रकाश निर्मल, इंद्रदेव त्रिवेदी, निर्भय सक्सेना,डॉ शिव नरेश शुक्ल, एस.ए.हुदा,मिलन कुमार मिलन, राम कृष्ण शर्मा,सत्यवती सिंह सत्या, मिथिलेश गौड़ ,रामकुमार कोली, डॉ राजेश शर्मा ककरेली, उमेश अद्भुत,यदुवीर प्रसाद गौड़,ओमवीर सिंह, स्नेहा सिंह, सुरेंद्र बीनू सिंहा,मुजम्मिल हुसैन,अशोक कुमार व राजकुमार अग्रवाल आदि ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन मनोज दीक्षित टिंकू ने किया।
               (कार्यक्रम में काव्य पाठ करते हुए)
    
(साहित्यकार बंधुओं उपमेंद्र सक्सैना तथा टिंकू जी के साथ)
              (कार्यक्रम में उपस्थित कवि एवं श्रोतागण)

     (कार्यक्रम में वरि० साहित्यकार चंदन जी के साथ)
 (काव्य पाठ करते हुए मेज़बान वरिष्ठ शायर/कवि रणधीर प्रसाद गौड़ धीर साहब)

अंत में जलपान के बाद धीर साहब ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।
कार्यक्रम में आदरणीय रणधीर प्रसाद गौड़ धीर साहब के परिजनों ने जिस आत्मीयता और आतिथ्य भाव से आगंतुकों की आवभगत की उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। कार्यक्रम की आयोजन व्यवस्था में संस्था के सचिव प्रिय भाई उपमेंद्र सक्सैना जी की सक्रियता ने भी बहुत प्रभावित किया।
पंडित देवी प्रसाद गौड़ मस्त जी को स्मृतियों को नमन करते हुए अपनी इन चार पंक्तियों के साथ पोस्ट को समाप्त करता हूं :
             महफ़िलों   का   नूर  थे   शृंगार  थे,
             सबकी चाहत थे सभी का प्यार थे।
             'मस्त' था जिनका तख़ल्लुस दोस्तो,
             वो अदब के  इक बड़े फ़नकार  थे।
                           @ ओंकार सिंह विवेक 

कार्यक्रम की स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा शानदार कवरेज की कुछ झलकियाँ 👇👇
         
ओंकार सिंह विवेक
 -- ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर

October 18, 2023

शायद जल्द इलक्शन आने वाला है



दोस्तो लीजिए हाज़िर है मेरी नई ग़ज़ल
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ग़ज़ल-ओंकार सिंह विवेक
@
बदला    रातों - रात   उन्होंने  पाला  है ,
शायद  जल्द  इलक्शन  आने  वाला हैI

झूठे    मंसब     पाते     हैं     दरबारों   में,
सच्चों  की  क़िस्मत  में  देश-निकाला है।

भूखे  पेट  जो   सोते   हैं  फुटपाथों  पर,
हमने  उनका  दर्द   ग़ज़ल  में  ढाला  है।
@
यार ! उसूल  परस्ती  और   सियासत  में,
तुमने ख़ुद को किस मुश्किल में डाला है।

ज़ेहन   में   चलते  रहते   हैं   ऊला-सानी,
हमने अच्छा  शौक़  ग़ज़ल  का  पाला है।

नीचे   तक   पूरी   इमदाद   नहीं   पहुँची,
ऊपर आख़िर  कुछ  तो  गड़बड़झाला है।

घर में आख़िर बेटी  के जज़्बात 'विवेक',
माँ  से  बेहतर  कौन  समझने  वाला  है।
        ----- @ओंकार सिंह विवेक
 (मेरे शीघ्र प्रकाश्य ग़ज़ल संग्रह "कुछ मीठा कुछ खारा" से)
(चित्र : गूगल से साभार)


  (रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के २५० वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में)

(अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हास्य-व्यंग्य के शायर पॉपुलर मेरठी जी के साथ)

 (भारत विकास परिषद रामपुर - उत्तर प्रदेश के सदस्यों को अपने ग़ज़ल संग्रह "दर्द का एहसास" की प्रतियाँ भेंट करते हुए)
------@ ओंकार सिंह विवेक 


October 13, 2023

एक साहित्यिक परिचर्चा/विचार गोष्ठी


नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

 (रामपुर की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े साहित्यकार अंबेडकर पार्क रामपुर में साहित्यिक गतिविधियों के प्रचार-प्रसार के संबंध में विचार-विमर्श करते हुए)

रामपुर जनपद के हिंदी तथा उर्दू दोनों ही भाषाओं के अनेक साहित्यकारों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रही है।हिंदी साहित्यकारों में कल्याण कुमार जैन शशि, प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंघल और डॉक्टर छोटे लाल नागेंद्र और पुराने उर्दू साहित्यकारों में जलील नोमानी, होश नोमानी और अज़हर इनायती आदि को कौन नहीं जानता।वर्तमान में भी जनपद के अनेक वरिष्ठ एवं उदीयमान रचनाकार तथा साहित्यिक संस्थाएँ अपने-अपने गद्य एवं पद्य सृजन से भाषाओं को समृद्ध करने में निमग्न हैं। वर्तमान में वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र कमल आनंद और शिव कुमार चंदन जी जैसे लोग अपने साहित्यिक समूहों के माध्यम से निरंतर हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में लगे हुए हैं।
रामपुर की प्रमुख साहित्यिक संस्थाएँ यथा उ0 प्र0 साहित्य सभा रामपुर इकाई, आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, पल्लव काव्य मंच आदि आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं।
रामपुर में साहित्यिक गतिविधियों को और अधिक विस्तार देने तथा सभी संस्थाओं के समन्वय से ज़िले में बड़े साहित्यिक आयोजनों को मूर्त रूप देने को लेकर रामपुर के साहित्यकारों द्वारा अंबेडकर पार्क रामपुर में एक परिचर्चा और विचार गोष्ठी आयोजित की गई।
सभी साहित्यकार कहीं-कहीं कविता के गिरते स्तर को लेकर भी चिंतित दिखाई दिए। सभी ने यह महसूस किया की अच्छी कविता गंभीर चिंतन और मनन चाहती है।यदि हम अच्छा सोचेंगे/पढ़ेंगे तभी अच्छा लिख पाएंगे जो पाठकों/श्रोताओं द्वारा पसंद किया जाएगा।नई पीढ़ी के साहित्यकारों को विभिन्न प्रचार माध्यमों और सोशल मीडिया पर छाने की जितनी जल्दी है उतनी गंभीरता उनके साहित्य सृजन में दिखाई नहीं देती। यदपि इसके अपवाद भी दिखाई देते हैं।

सभी साहित्यकार इस बात पर एकमत दिखाई दिए कि अपने-अपने बैनरों के तले साहित्यिक आयोजनों में एक दूसरे को आमंत्रित करने के साथ-साथ यदा कदा सामूहिक रूप से बड़े साहित्यिक आयोजनों के बारे में भी सोचना चाहिए।आख़िर कविता के माध्यम से सभी का एक उद्देश्य है और वह है- साहित्य और समाज की सेवा। तो क्यों न फिर किसी तरह के पूर्वाग्रह को छोड़कर इस दिशा में सामूहिक प्रयास भी  किए जाएँ।विचार गोष्ठी में इस पर कुछ सहमति बनती दिखाई दी जो एक शुभ संकेत है। विचार-विमर्श में यह भी तय हुआ कि शासन/प्रशासन को इस आशय का एक सामूहिक ज्ञापन दिया जाए कि ज़िला स्तर पर आयोजित कराए जाने वाले साहित्यिक कार्यक्रमों में स्थानीय साहित्यकारों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाना चाहिए।इससे स्थानीय साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी प्रतिभा भी निखरेगी। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रोत्साहन पाकर कुछ नया करने की ऊर्जा मिलती है। स्थानीय साहित्यकारों की यह पहल प्रशंसनीय है।इस पहल में प्रतिभाशाली युवा रचनाकार भाई राजवीर सिंह राज़ का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
मजरूह सुल्तानपुरी साहब के इस शेर के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं:
  मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,
  लोग  साथ आते  गए और कारवां बनता गया।
              --- मजरूह सुल्तानपुरी
प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक 
























🌹 दोस्तों के बहाने 🌹

रामपुर (उत्तर प्रदेश) की रज़ा लाइब्रेरी की स्थापना के 250 वर्ष पूर्ण होने पर 7,8 और 9अक्टूबर,2023 को प्रशासन की ओर से कई सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस प्रकार के कार्यक्रम वर्ष भर चलते रहेंगे। वृहद स्तर पर ऐसे  विशाल कार्यक्रमों का आयोजन जनपद वासियों के लिए गौरव की बात है। रामपुर तथा रज़ा लाइब्रेरी की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान से सब भली भांति परिचित हैं। इस प्रकार के आयोजन निश्चित ही रामपुर की इस साँझी विरासत को और अधिक मजबूत बनाएंगे। 
रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के २५० वें स्थापना वर्ष पर आयोजित होने वाले अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में हाल ही में हुए तीन दिवसीय सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों में जिन तीन दोस्तों/मुख़लिसों की कंपनी में वहाँ जाना हुआ उनका ज़िक्र न किया जाए तो यह ब्लॉग पोस्ट अधूरी रहेगी।


पिछले लगभग एक वर्ष से मैं स्वामी विवेकानंद के आदर्शों का अनुसरण करने वाली स्वयं सेवी संस्था भारत विकास परिषद से भी जुड़ा हुआ हूं। पारिवारिक व्यस्तता के बीच महीने में कम से कम एक बार तो इसकी पारिवारिक बैठकों में जाना हो ही जाता है। आप चाहे किसी उत्सव/कार्यक्रम या बैठक में चले जाईए अपनी रुचि और मिज़ाज के कुछ लोग वहां मिल ही जाएंगे।परिषद में भी ऐसे कई लोग हैं जिनसे अच्छी घुटने लगी है।परिषद के ऐसे ही एक वरिष्ठ साथी हैं बड़े भाई श्री प्रशांत कुमार गुप्ता जी(ऊपर चित्र में सबसे बाईं तरफ़)।बहुत ही डैशिंग पर्सनालिटी के मालिक हैं।यों तो सीनियर सिटीजन हैं परंतु उनकी पर्सनालिटी अच्छे-अच्छे नौजवानों पर भारी है। उनका बाह्य रूप जितना सुंदर है उतने ही सुंदर वह मन और व्यवहार से भी हैं।कलात्मक अभिरुचि के धनी श्री प्रशांत जी साहित्य तथा संगीत में गहरी रुचि रखते हैं। श्री प्रशांत जी आजकल अपनी कलात्मक रुचि के कार्यों में व्यस्त रहते हुए मस्त ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। उनके मुहब्बत भरे इसरार पर तीनों ही दिन रज़ा लाइब्रेरी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में जाकर पूरा लुत्फ़ उठाने का मौक़ा मिला।
इसी कड़ी में एक नाम अनुज रविंद्र पाल सिंह जी(तस्वीर के मध्य) का आता है जो भारत विकास परिषद के बहुत ऊर्जावान सदस्य हैं।आप बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक हैं और कैरियर को लेकर बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों का भी मार्गदर्शन करते हैं। सिंह साहब भी बहुत ही विनम्र और संजीदा इंसान है।बातचीत में उन्होंने बताया कि अच्छे साहित्य में उनकी गहन रुचि है और अब तक मुंशी प्रेमचंद के कई उपन्यास पढ़ चुके हैं।रविंद्र जी डॉक्टर कुमार विश्वास के भी बड़े फैन हैं।
इस कड़ी में भारत विकास परिषद के तीसरे वरिष्ठ साथी आदरणीय उमेश कुमार रस्तौगी साहब हैं जिन्हें प्यार से सब पहलवान साहब कहते हैं।आप कलेक्ट्रेट रामपुर से सेवानिवृत्त हुए हैं और जीवन की इस पारी को भी बड़े मस्तमौला ढंग से गुज़ार रहे हैं, ईश्वर उन्हें दीर्घायु प्रदान करें।पहलवान साहब बहुत व्यवहार कुशल हैं और समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं। हर जगह पूरे रोब-दाब के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में दक्ष हैं। आपकी ऊर्जा भी नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है।इन तीनों लोगों के साथ लाइब्रेरी के कार्यक्रमों का आनंद लेना एक अविस्मरणीय अनुभव रहा।
  कार्यक्रम में मुशायरे वाले दिन जब हम लोग क़िले में प्रवेश करने ही वाले थे कि इस मुशायरे में आमंत्रित मशहूर 
तंज़-ओ-मज़ाह के शायर मुहतरम पॉपुलर मेरठी साहब अपने दो साथियों के साथ कार्यक्रम स्थल की ओर जाते हुए मिल गए। वरिष्ठ साथी श्री प्रशांत जी ने उन्हें पहचानकर अदब से सलाम ठोका और उनकी हास्य व्यंग्य की रचनाओं की बहुत तारीफ़ की।हम लोग भी उनसे गर्मजोशी के साथ मिले। उन्होंने हमारे साथ मुस्कुराते हुए तस्वीर भी खिंचवा ली।
पॉपुलर मेरठी साहब का यह शेर शायद आपको हँसने पर मजबूर करे :
     एक बीवी कई साले हैं ख़ुदा ख़ैर करे,

    खाल सब खींचने वाले हैं ख़ुदा ख़ैर करे।

             --- पॉपुलर मेरठी 


किसी मशहूर शायर का यह शेर अपने इन दिलचस्प दोस्तों की नज़र करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं :
       कितने हसीन लोग थे जो मिलके एक बार,
        आँखों में जज़्ब हो गए, दिल में समा गए।
                 ------ अज्ञात
प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक
साहित्यकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर 


October 10, 2023

हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली का साहित्यकार समागम

प्रणाम मित्रो 🙏🙏🌹🌹

प्रोत्साहन प्रतिसाद 
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हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली द्वारा हिंदुस्तान भर के ग़ज़लकारों से ग़ज़लें आमंत्रित किए जाने पर मैंने भी अपनी कुछ ग़ज़लें भेज दी थीं। हिंदुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा चयनित ग़ज़लकारों को एक व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़कर इसके बारे में सूचित किया गया है।
बताता चलूं कि हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली द्वारा 'हिन्दुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान’ एवं 'गुलदस्ता-ए-ग़ज़ल'-नि:शुल्क पुस्तक प्रकाशन योजना हेतु अखिल भारतीय स्तर पर ग़ज़लें आमंत्रित की गई थीं जिसमें लगभग 175 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं।योजना के अंतर्गत निर्णायकों द्वारा 50 ग़ज़लकारों की श्रेष्ठ 2-2 रचनाओं का चयन किया गया जिनमें मेरा नाम भी सम्मिलित है।
इसी क्रम में संस्था द्वारा आगामी 5 नवंबर को दिल्ली में एक भव्य समारोह में चयनित ग़ज़लकारों का सम्मान, रचना पाठ और पुस्तक का लोकार्पण भी किया जाएगा।चयनित ग़ज़लकारों को पुस्तक की एक-एक प्रति भी नि:शुल्क प्रदान की जाएगी। ग़ज़लकारों के दिल्ली में रहने और भोजन की व्यवस्था अकादमी की ओर से नि:शुल्क की जाएगी। हिंदुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा बिना किसी पारस्परिक सहयोग के ऐसा भव्य आयोजन करना निश्चित ही एक बहुत बड़ा और प्रशंसनीय क़दम कहा जाएगा।अकादमी और साहित्य सेवा को समर्पित इसके पदाधिकारियों के इन सदप्रयासों को नमन 🙏🙏

October 7, 2023

नई ग़ज़ल

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

मशहूर शायर आदरणीय श्री ओमप्रकाश नूर साहब की मुहब्बतों के चलते प्रतिष्ठित पत्रिका/अख़बार 'सदीनामा' के ताज़ा अंक में मेरी एक और ग़ज़ल छपी है जिसे प्रतिक्रिया हेतु आपके साथ साझा कर रहा हूं।उसी पृष्ठ पर प्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री देवेंद्र मांझी साहब की  ग़ज़ल भी प्रकाशित हुई है।श्री मांझी साहब को मुबारकबाद तथा 'सदीनामा' के संपादक मंडल का बहुत बहुत आभार।

नई ग़ज़ल -- --  ©️ ओंकार सिंह विवेक 
©️ 
शीशम  साखू   महुआ   चंदन  पीपल   देते हैं,
कैसी-कैसी  ने'मत   हमको   जंगल   देते   हैं।

वर्ना सब  होते  हैं  सुख  के   ही  संगी -साथी,
दुनिया में  बस  कुछ  विपदा  में संबल देते हैं।

रस्ता  ही भटकाते  आए  हैं  वो  तो अब तक,
लोग  न  जाने  क्यों  उनके  पीछे  चल देते हैं।
©️ 
आज बना  है मानव  उनकी ही जाँ का दुश्मन,
जीवन  भर  जो  पेड़  उसे  मीठे  फल  देते हैं।

मिलती है  कितनी  तस्कीन तुम्हें क्या बतलाएँ,
आँगन  के  प्यासे पौधों  को  जब  जल देते हैं।

कब तक सब्र का बाँध न टूटे प्यासी फसलों के,
धोखा   रह-रहकर   ये   निष्ठुर  बादल  देते  हैं।

किस  दर्जा  मे'यार  गिरा  बैठे  कुछ  व्यापारी,
ब्रांड  बड़ा  बतलाकर  चीज़ें   लोकल  देते  हैं।
                       ---©️ ओंकार सिंह विवेक













October 2, 2023

आख़िरश तो तुझे भी ढलना है


नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

एक ग़ज़ल मेरे शीघ्र प्रकाश्य दूसरे ग़ज़ल संग्रह 
"कुछ मीठा कुछ खारा से"
************************************
@
ज़ोर शब  का  न  कोई  चलना है,
जल्द सूरज को अब निकलना है।

ये  ही  ठहरी  गुलाब की क़िस्मत,
उसको  ख़ारों  के बीच पलना है।

ख़ुद को बदला नहीं  ज़रा  उसने,
और कहता है  जग  बदलना  है।

दूध   जितना  उसे   पिला  दीजे,
साँप  को  ज़हर  ही  उगलना है।

काश!उनकी समझ  में आ जाए,
धन कभी घूस का  न फलना है।

तोड़ना   है   ग़ुरूर   ज़ुल्मत  का,
यूँ ही  थोड़ी  दिये  को जलना है।

इतने  तेवर   दिखा  न  ऐ  सूरज,
आख़िरश तो  तुझे भी  ढलना है।
  @ ओंकार सिंह विवेक



(चित्र : गूगल से साभार)

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