April 24, 2021

गुलशन फिर मुस्काएगा

आज दुनिया को कोरोना वायरस ने बता दिया है की हथियारों या उपभोग के सामान के उत्पादन के बजाए जीवन रक्षक चीजों के उत्पादन और संरक्षण की ज़ियादा आवश्यकता है।अपनी इच्छा शक्ति,हिम्मत और सकारात्मकता को बढ़ाने की दिशा में भी इस विपदा ने हर व्यक्ति को सोचने को विवश किया है।जब जीवन बचाने में सब उपाय छोटे  पड़ते हैं तो आदमी के अंदर जीने की इच्छाशक्ति और विपदा से लड़ने की ताक़त को बनाए रखकर आशावादी बने रहना ही रामवाण सिद्ध होता है।
हर व्यक्ति,देश या सरकार एक सीमा तक ही किसी आपात स्थिति से निपटने की पूर्व तैयारियों से सज्जित होते हैं।यदि कोई आपदा यकायक ही विकराल रूप धारण कर ले तो संसाधनों या सुरक्षा उपायों की अपर्याप्तता का सामना तो करना ही पड़ता है। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि हम मात्र सिस्टम को ही दोष न दें अपितु अवसर की गंभीरता को समझते हुए जितना भी बन पड़े पीड़ितों और प्रभावित लोगों की मदद  करें और अपना मनोबल ऊँचा रखते हुए सबका आत्मविश्वास और हौसला बढ़ाने का वातावरण बनाने में अपना योगदान दें, यही मानवता की सबसे बड़ी सेवा होगी।
आज दुनिया जिस संकट से गुज़र रही है वह संकट बहुत जल्दी ही दूर होगा और  गुलशन फिर से पहले जैसा ही हँसे और मुस्काएगा इसी आशा और विश्वास के साथ--
ओंकार सिंह विवेक🙏🙏🌹🌹🌷🌷🇬🇳🇬🇳👍👍
चित्र--गूगल से साभार
🙏🌷🌹🙏
ओंकार सिंह विवेक

April 22, 2021

Positivity-Positivity And Positivity

सकारात्मकता-सकारात्मकता और सकारात्मकता

आज विश्वव्यापी वबा के कारण हम सब  में  ही भय व्याप्त है।
ऐसे में अपने ऊर्जा और आत्मविश्वास को बनाए रखने का एक 
ही उपाय है कि हम सकारात्मक बने रहें।सकारात्मक सोच से हम
निश्चय ही  इस संकट से पार पाने में कामयाब होंगे ।तो आइए इसी
उम्मीद के साथ कि यह बुरा वक़्त भी जल्दी ही गुज़र जाएगा,आनंद
लेते हैं नई ग़ज़ल का---
ओंकार सिंह विवेक

April 13, 2021

सत्ता के गलियारों में

ग़ज़ल----ओंकार सिंह विवेक
   मोबाइल 9897214710

रोज़ ख़बर छप जाया करती अपनी भी अख़बारों में,
पैठ   बना   लेते  जो  शासन- सत्ता  के गलियारों  में।

दख़्ल हुआ है नभ में जब से इस दुनिया के लोगों का,
इक  बेचैनी  सी  रहती  है  सूरज - चाँद -सितारों  में।

फुटपाथों  पर  चलने  वालों  का  भी  थोड़ा ध्यान रहे,
बेशक  आप  चलें  सड़कों  पर  लंबी - लंबी कारों में।

क्या बतलाऊँ उसने भी रंज-ओ-ग़म के उपहार दिए,
गिनती करता रहता था जिसकी अपने ग़मख़्वारों में।

दर्द  बयाँ  करती  है  वो  अब  मज़लूमों-मज़दूरों  का,
क़ैद  नहीं  है  आज  ग़ज़ल  ऊँचे  महलों-दरबारों  में।

भोली  जनता  भूल  गई,थे जितने शिकवे और गिले,
ऐसा   उलझाया   नेता   ने   लोकलुभावन   नारों  में।
                                        ----ओंकार सिंह विवेक

           (सर्वाधिकार सुरक्षित)


April 6, 2021

आओ टीका लगवाएँ : कोरोना को निबटाएँ

अभी कुछ दिन पहले तक लग रहा था कि हम कोरोना जैसी घातक बीमारी से जंग जीतने के आख़िरी चरण में पहुँच चुके हैं।परंतु पिछले कुछ दिनों से तेज़ी से बढ़ते कोरोना के केस देखकर लग रहा है कि हम पहले से भी कहीं ज़्यादा प्रचंड कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आ गए हैं।यह बहुत चिंता की बात है।इधर  देखने में आ रहा है कि लोग अब कोरोना को बहुत हल्के में लेने लग गए हैं।मास्क,दो गज दूरी और सेनेटाइजर और साफ-सफ़ाई के प्रति अचानक लोगों की उदासीनता ने कोरोना के ख़तरे को फिर से बढ़ा दिया है।इस दूसरी लहर में भारत में नौजवान पीढ़ी कोरोना से बहुत अधिक प्रभावित होती नजर आ रही है इसलिए बुज़ुर्गों के साथ ही नौजवानों को ख़ासतौर पर सावधानी बरतने की ज़रूरत है।हम सब को यह समझने की ज़रूरत है कि कोरोना का ख़तरा अभी टला नहीं है वरन एक नए स्ट्रेन के रूप में और बड़ी तैयारी के साथ हमारे सामने खड़ा है।हमें सावधानी रखते हुए इसे हराने के फिर से प्रण करना है।अतः सभी से अनुरोध है कि सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइंस का पालन करें और अपनी सेहत का ख़्याल रखें।
भारत के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने कोरोना वैक्सीन का निर्माण करके विश्व को अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और असाधरण  प्रतिभा का परिचय दिया है।अतः हमारा दायित्व है कि हम देश के वैज्ञानिकों को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दें और कोरोना के विरुद्ध अपनी प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए कोरोना वैक्सीन को जल्दी से जल्दी लगवाएँ।इसमें किसी भी तरह के संशय और संदेह को मन में न पनपने दें।कोरोना वैक्सीन पूरी तरह से टेस्टेड और सुरक्षित है।मैंने भी कल ज़िला चिकित्सालय रामपुर-उ0प्र0 में जाकर अपनी पत्नी के साथ निःशुल्क कोरोना वैक्सीन लगवाई ।हमें किसी प्रकार की कोई परेशानी महसूस नहीं हुई।
आओ टीका लगवाएँ
कोरोना को निबटाएँ।
         ----ओंकार सिंह विवेक

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