दोहे : श्री कृष्ण जन्माष्टमी
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लिया द्वारकाधीश ने,जब पावन अवतार,
स्वत: खुल गया कंस के,बंदीग्रह का द्वार।
काम न आई कंस की, कुटिल एक भी चाल,
हुए कृष्ण जी अवतरित,बनकर उसका काल।
बाल रूप में आ गए, उनके घर भगवान,
नंद-यशोदा गा रहे,मिलकर मंगल गान।
जिसको सुनकर मुग्ध थे,गाय-गोपियाँ-ग्वाल,
छेड़ो वह धुन आज फिर ,हे! गिरिधर गोपाल।
दुष्टों का कलिकाल के, करने को संहार,
चक्र सुदर्शन कृष्ण जी,पुनः लीजिए धार।
कर्मयोग से ही बने, मानव सदा महान,
यही बताता है हमें, गीता का सद्ज्ञान।
लेते रहिए नित्य प्रति, वंशीधर का नाम,
बन जाएंगे आपके, सारे बिगड़े काम।
---ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार 🙏🙏
Deleteकर्मयोग से ही बने, मानव सदा महान,
ReplyDeleteयही बताता है हमें, गीता का सद्ज्ञान।
बहुत ही सुन्दर सृजन आदरणीय 🙏
अतिशय आभार आपका 🙏🙏
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