इन दिनों हम सब देश की आज़ादी का जश्न अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं।सभी को राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।हर घर तिरंगा और तिरंगा यात्राओं को देखकर लोगों के देश प्रेम का जज़्बा और जुनून पता चलता है।
काश ! यह मुहिम आपसी सौहार्द को और अधिक मज़बूत कर दे ताकि सब मेल-मुहब्बत और भाईचारे से देश को आगे बढ़ा सकें।
जय हिंद,जय भारत🙏🙏🌹🌹🇹🇯🇹🇯
पेश है मेरी एक ताज़ा ग़ज़ल
ग़ज़ल ****ओंकार सिंह विवेक
©️
अहल-ए-नफ़रत को उल्फ़त की राह दिखानी है,
इक बंजर धरती पर हमको फ़स्ल उगानी है।
लीपा-पोती कर दी जाएगी फिर तथ्यों पर,
सिर्फ़ दिखावे को कुछ दिन तक जाँच करानी है।
©️
बहुमत साबित हो ही जाना है कल संसद में,
बस दो-चार दलों में उनको सेंध लगानी है।
आती ही है मुश्किल सच के पैरोकारों पर,
हम पर आई है तो इसमें क्या हैरानी है।
वक़्त कहाँ करने वाला है चाल भला धीमी,
हमको ही अपनी थोड़ी रफ़्तार बढ़ानी है।
©️
छोड़ो भी अब और पशेमां क्या करना उसको,
अपनी ग़लती पर वो ख़ुद ही पानी-पानी है।
दिन भर शोर-शराबा, छीना-झपटी, हंगामा,
कितनी और उन्हें संसद की साख गिरानी है?
त्याग नहीं पाया है कोई मोह मगर इसका,
कहने को तो सब कहते हैं दुनिया फ़ानी है।
--- ©️ ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
यह चित्र हमारे जनपद रामपुर की प्रसिद्ध गाँधी समाधि का है जो शाम के समय लिया गया है।
No comments:
Post a Comment