September 5, 2022

वाह रे ! बचपन

शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏

खाना - पीना, खेलना -कूदना और फिर थककर सो जाना । वाह!क्या मस्त दिन थे वे भी।भला बचपन के वे मस्त दिन किसको याद नहीं आते होंगे।न किसी के प्रति द्वेष भाव रखना,पल में लड़ना और पल में एक हो जाना ---- निष्कपट, निर्दोष और मासूमियत की मूरत।बच्चों को तभी तो भगवान का रूप कहा जाता है।हर आदमी सांसारिक तनाव से जूझते हुए अक्सर कह उठता है " काश ! मुझे कोई मेरा बचपन लौटा दे।"
पर गुज़रा ज़माना कहां लौटकर आता है।अब तो केवल स्मृतियों में ही जीवन के उस सुखद काल की कल्पना करके खुश हो लेते हैं।
उन्हीं स्मृतियों को ताज़ा करता हुआ एक मुक्तक सृजित हुआ है जो आप सुधी मित्रों की प्रतिक्रिया हेतु प्रस्तुत कर रहा हूं :

काग़ज़ी  नाव  जल  में  चलाने  लगे,
ख़ूब  छत   पर   पतंगें   उड़ाने  लगे।
स्वप्न में साथियो नित्य हम फिर वही,
सब  मज़े  बालपन  के  उठाने  लगे।
         ओंकार सिंह विवेक
    (सर्वाधिकार सुरक्षित)

12 comments:

  1. अब तो आज के बच्चे नाव में बैठते है नाव बनाना और चलाना तो वे जानते ही नहीं। सच बचपन बहुत याद आता है अपना। कितना कुछ बदल गया बचपन आज ........

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    1. जी आदरणीया,धन्यवाद।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (6-9-22} को "गुरु देते जीवन संवार"(चर्चा अंक-4544) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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  3. वह बचपन अब कहाँ आदरणीय आधुनिकता ने बचपन को मोबाइल और टीवी में समेट दिया है। सुंदर, भावप्रवण,हृदय स्पर्शी रचना,सादर

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  4. बचपन तो बस बचपन है। सही बात कही है आपने।

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  5. बचपन की मासूमियत को बयान करती सुंदर पोस्ट

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  6. बचपन तो लौटता नहीं पर बचपन की बिफिक्र गतिविधियां बहुत आकर्षित करती है ।।सुन्दर रचना आदरणीय ।

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    1. जी आदरणीय सही कहा आपने 🌹🌹🙏🙏

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