March 30, 2021

ठोकर खाने से

ग़ज़ल**ओंकार सिंह विवेक
मोबाइल 9897214710

कौन   भला   रोकेगा   उसको  मंज़िल  पाने  से,
जिसका  साहस  जाग  उठा हो ठोकर खाने से।

बात  समझकर भी  जो  ढोंग करें नासमझी का,
होगा  भी   क्या   ऐसे  लोगों   को  समझाने  से।

मत पूछो कितनी तस्कीन मिली है इस दिल को,
इक  बेकस  की  ओर  मदद  का हाथ बढ़ाने से।

कैफ़े   से   मँगवाए  चाऊमिन - पिज़्ज़ा - बर्गर ,
कैसे  बेहतर  हो   सकते  हैं  घर   के   खाने  से।

गीता  के  उपदेशों    ने   वो   संशय   दूर  किया,
रोक  रहा  था   जो  अर्जुन  को वाण चलाने से।

जो   वो   सोचे   कितने   पंछी  बेघर  कर  डाले,
आँधी  को  फ़ुरसत  ही  कब  है  पेड़  गिराने से।

जब दिल से  दिल का ही सच्चा मेल नहीं होता,
क्या  हासिल है  फिर लोगों के हाथ मिलाने से।
                                 --ओंकार सिंह विवेक

सर्वाधिकार सुरक्षित

March 27, 2021

होली है भई होली है!

न ख़ुशियाँ ईद की कम हों न होली-रंग हो फीका,
रहे  भारत के  माथे पर इसी तहज़ीब का  टीका।
गले  मिलते  रहें  सब लोग शिकवे भूलकर सारे,
सदा  सद्भावना  से  युक्त  हो माहौल बस्ती  का।
         ----ओंकार सिंह विवेक
🇬🇼  दोहे : होली है 🇬🇳

            ---ओंकार सिंह विवेक
🇬🇳
दीवाली   के   दीप  हों  , या   होली   के   रंग,
इनका आकर्षण तभी ,जब हों प्रियतम संग।
🇬🇳
रस्म  निभाने  को  गले , मिलते  थे  जो  यार,
अपनेपन  से  वे  मिले ,  होली  अबकी  बार।
🇬🇳
होली  का  त्योहार  है , हो  कुछ  तो  हुड़दंग,
हमसे   यह   कहने   लगे ,  नीले - पीले  रंग।
🇬🇳
महँगाई  ने  जेब  को ,जब  से  किया उदास,
गुझिया की जाती रही,तब से सखे  मिठास।
🇬🇳
              ----ओंकार सिंह विवेक, रामपुर                                        
                                      
        

    🌷मुक्तक: होली है🌷
       ---ओंकार सिंह विवेक
🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇼
 रंग- अबीर- गुलाल  उड़ाएँ ,  होली  है,

 गुझिया  खाएँ और खिलाएँ , होली है।

 बस मृदुता का भाव  रखें  मन के अंदर,

 कटुता  का  हर भाव जलाएँ, होली है।
🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼
             ----ओंकार सिंह विवेक
सभी चित्र:गूूूगल से साभार

March 25, 2021

जनता तो बेचारी थी बेचारी है

ग़ज़ल***ओंकार सिंह विवेक
   मोबाइल 9897214710
  
🗯️
इसको  लेकर   ही   उनको   दुश्वारी   है,
जनता  में  क्यों  अब  इतनी  बेदारी  है।
🗯️
तुम   क्या  जानो   दर्द  किराएदारों  का,
यार   तुम्हारा   बँगला  तो  सरकारी  है।
🗯️
कोई  सुधार  हुआ कब उसकी हालत में ,
जनता   तो    बेचारी    थी ,  बेचारी   है।
🗯️
शकुनि  बिछाता   है  वो ही चौसर देखो,
आज  महाभारत   की  फिर  तैयारी  है।
🗯️
  नाम   कमाएँगे   ये  ख़ूब   सियासत  में,
  नस-नस में इनकी जितनी मक्कारी है।
  🗯️
  औरों-सा  बनकर  पहचान  कहाँ  होती,
  अपने - से   हैं   तो   पहचान  हमारी है।
  🗯️
                 ----ओंकार सिंह विवेक
   

 

March 22, 2021

विराट कवि सम्मेलन और साहित्यकार सम्मान समारोह

विराट कवि सम्मेल व साहित्यकार सम्मान समारोह
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दिनाँक 20 व 21 मार्च,2021 को के0 बी0 हिंदी सेवा न्यास(पंजीकृत) बिसौली ज़िला बदायूँ(उ0प्र0)-भारत के षष्टम अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार सम्मान समारोह में रामपुर के वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय शिवकुमार शर्मा चंदन जी के साथ सहभागिता करने का अवसर प्राप्त हुआ।
 कार्यक्रम बहुत ही अनुशासनबद्ध रूप से दो चरणों में सम्पन्न हुआ।
 प्रथम चरण में दिनाँक 20 मार्च,2021 को रात्रि में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें देश के कई प्रांतों के कवियों सहित पड़ोसी देश नेपाल के दो वरिष्ठ साहित्यकारों के साथ काव्य पाठ का अनुभव अविस्मरणीय रहा। कार्यक्रम के दूसरे चरण में दिनाँक 21 मार्च,2021 को 148 साहित्यकारों को साहित्य की विभिन्न विधाओं में साहित्य सृजन करने हेतु सम्मानित किया गया।इस अवसर पर मुझ अकिंचन को भी  ग़ज़ल विधा में सृजन के लिए "जिगर मुरादाबादी स्मृति सम्मान" से सम्मानित किया गया।
 कुछ प्रांतों में पुनः कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण कई आमंत्रित साहित्यकार समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाए।फिर भी पर्याप्त संख्या में आमंत्रित साहित्यकार इस सफल कार्यक्रम के साक्षी बने।
 विभिन्न प्रांतों के साहित्य मनीषियों सहित पड़ोसी देश नेपाल  से पधारे मूर्धन्य साहित्यकारों सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार/ग़ज़ल समालोचक डॉक्टर घनश्याम परिश्रमी जी तथा नेपाली साहित्य की विधाओं चारु, राग व विराग के प्रणेता आदरणीय प्रोफेसर देवी पंथी जी (त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू) से मिलना एक बहुत ही सुखद अनुभव रहा।
 मैं विदेशी मेहमानों द्वारा विशुद्ध हिंदी में दिए गए सारगर्भित वक्तव्यों से बहुत प्रभावित हुआ।उन दोनों महानुभावों का अपनी मातृभाषा नेपाली के साथ हिंदी भाषा में साहित्य सृजन के प्रति अनुराग देखकर ह्रदय गदगद हो गया।विदेशी मेहमानों की मेज़बानी करते बहजोई के युवा साहित्यकार भाई दीपक गोस्वामी चिराग़ की सक्रियता और विनम्रता ने भी बहुत प्रभावित किया।
 इस प्रकार के साहित्यिक अनुष्ठान रचनाधर्मियों के लिए निश्चित रूप से ऊर्जा और उत्साह प्रदान करने का कार्य करते हैं। अतः सब के सहयोग से इस प्रकार के आयोजनों को निरंतर गति मिलती रहनी चाहिए।
         ----ओंकार सिंह विवेक,ग़ज़लकार
                संपर्क 9897214710
         
       
 

March 17, 2021

भव्य कवि सम्मेलन शेरकोट, बिजनौर

भव्य कवि सम्मेलन शेरकोट ,ज़िला बिजनौर
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अनिरुद्ध काव्यधारा साहित्यिक संस्था द्वारा देश भर के चुनिंदा २४ कलमकारों को अनिरुद्ध शर्मा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया।
आर्य समाज के प्रांगण में आयोजित आयोजित कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह में संस्थाध्यक्ष सुबोध शर्मा शेरकोटी और संयोजक डॉ अनिल शर्मा 'अनिल' ने समारोह अध्यक्ष श्री जितेंद्र कमल आनंद, रामपुर, मुख्य अतिथि डाँ गीता मिश्रा गीत  हल्द्वानी,डाँ अर्चना गुप्ता मुरादाबाद, विशिष्ट अतिथि श्री अनिल सारस्वत   काशीपुर, संजीव एकल बिजनौर,नरेन्द्र जीत सिंह'अनाम'धामपुर सहित ओंकार सिंह विवेक , रामपुर शिव कुमार .,चंदन रामपुर उप्र, रामरतन यादव ,रतन  खटीमा ,उत्तराखंड, सतपाल सिंह सजग लालकुआं  ,उत्तराखंड,कृष्ण कुमार पाठक   बिजनौर,नीरज कांत सोती बिजनौर,कपिल जैन  नजीबाबाद , डाँ भूपेन्द्र कुमार धामपुर,रामप्रसाद अनुरागी  काशीपुर, डाँ पुष्पा जोशी प्रकाम्य शक्ति फार्म, रचना शास्त्री  शाहपुर खेडी बिजनौर,नीमा शर्मा  नजीबाबाद, डाँ मंजु.जौहरी मधुर नजीबाबाद
शुचि शर्मा शेरकोट,डॉ पूनम चौहान,डॉक्टर प्रमोद शर्मा प्रेम नजीबाबाद,डाँ सुरेंद्र सिंह राजपूत धामपुर आदि को अंग वस्त्र,सम्मान पत्र सहित माल्यार्पण कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अनिल शर्मा अनिल और डॉ भूपेन्द्र कुमार ने संयुक्त रूप से किया।
वक्ताओं ने अनिरूद्ध शर्मा शेरकोटी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।
आयोजन को सफल बनाने में मयंक शर्मा,सुखनंदन रुहेला आदि का सहयोग रहा।

मैंने(ओंकार सिंह विवेक )  स्मृतिशेष आ0 अनिरुद्ध शर्मा शेरकोटी जी को अपने निम्न दोहों के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किए--

कविता में ज्यों आपने,दिल को रखा निकाल,
वैसी अब अनिरुद्ध जी,मिलती नहीं मिसाल।

लिखकर देश-समाज का ,सीधा-सच्चा हाल,
जीवन  भर  अनिरुद्ध  जी,करते रहे कमाल।

हम  कविजन इस मंच से,लेकर हरि का नाम,
आज आप की याद को,शत-शत करें प्रणाम।
               -----ओंकार सिंह विवेक

March 15, 2021

सदभाव रहेगा

ग़ज़ल---ओंकार सिंह विवेक

 💥
 जब   मन   में  औरों  को  नीचा  दिखलाने  का  भाव  रहेगा,
 तो  ख़ुद  के  अंदर  भी  तय है ,  पलता  एक  तनाव  रहेगा।
💥
 कब   तक  मत - पंथों  को  लेकर  होता  ये  टकराव  रहेगा,
 कब  तक  सहमा  और  डरा सा आपस का सदभाव रहेगा।
💥
 पहले तो  लड़वाएगा ज़ालिम  आपस   में   हम   दोनों   को,
 फिर  दुनिया  को  दिखलाने  को  करता बीच-बचाव रहेगा।
💥
 क्या पैग़ाम  जहाँ   को  देंगे  सोचो हम फिर  यकजहती का,
 जब   हम   लोगों  में  ही  होता  इस  दर्जा  बिखराव  रहेगा।
💥
 यार   नहीं   देखी  जाती   अब तो  इन    फूलों   की   बेनूरी,
 आख़िर कब तक और ख़िज़ाँ का गुलशन में ठहराव रहेगा।
💥
 इस  नस्ल-ए-नौ  के  तेवर  तो   हमको  ये   ही  बतलाते  हैं,
 अब  जल्दी  सिस्टम  में  शायद होकर कुछ बदलाव रहेगा।
💥
                                                   ----ओंकार सिंह विवेक
 

March 10, 2021

खटकता है वो कोठी की नज़र में

ग़ज़ल***ओंकार सिंह विवेक

🌷
 अरे  इंसान ! तू   क्यों  बे - ख़बर  है,
 तेरे  हर  काम  पर  रब  की  नज़र है।
🌷
 जुदा    पत्ते    हुए   जाते    हैं    सारे,
 ये  कैसा  वक़्त आया  शाख़  पर है।
🌷
 खटकता  है  वो  कोठी  की नज़र में,
 बग़ल  में  एक जो  छप्पर का घर है।
🌷
 सरे - बाज़ार    ईमाँ   बिक    रहे   हैं,
 यही  बस  आज  की ताज़ा ख़बर है।
🌷
 यकीं जल्दी  से  कर  लेते हो सब पर,
 कहीं धोखा  न खाओ, इसका डर है।
🌷
  इसे  बिल्कुल  भी  हल्के  में  न लेना,
  मियाँ  ये  ज़िंदगानी   का   सफ़र  है।
 🌷
  कहानी  में   है   जिसने  जान  डाली,
  वही   किरदार  बेहद   मुख़्तसर   है।
 🌷
             ---ओंकार सिंह विवेक

March 8, 2021

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला 
शक्ति के सम्मान में कुछ दोहे
*******************************
                                -----ओंकार सिंह विवेक
🌷
केवल  घर  के  काम  में,रत रहना दिन-रात,
अब  महिलाओं के लिए,  हुई  पुरानी  बात।
🌷
आज  विश्व  में नारियाँ, करके  दुर्लभ  काम,
धरती से आकाश तक, कमा  रही  हैं  नाम।
🌷
दफ़्तर  में  भी  धाक है , घर  में  भी  है राज,
नारी  नर  से कम नहीं,किसी बात में आज।
🌷
जिस  घर में  होता नहीं , नारी  का  सम्मान,
उस घर  की होती नहीं,ख़ुशियों से पहचान।
🌷
            ----ओंकार सिंह विवेक
चित्र:गूगल से साभार

March 4, 2021

दर्द मज़लूम का

ग़ज़ल-ओंकार सिंह विवेक
मोबाइल 9897214710

💥
बदला    रातों - रात   उन्होंने  पाला   है ,
शायद  जल्द  इलक्शन  आने  वाला  हैI
💥
झूठे    मंसब     पाते    हैं    दरबारों    में,
और  सच्चों  को  होता देश-निकाला है।
💥
भूखे   पेट   जो   सोते  हैं  फुटपाथों  पर,
हमने   उनका  दर्द   ग़ज़ल  में  ढाला  है।
💥
सोचो   घर   में  बेटी  के  जज़्बात  भला,
माँ  से  बेहतर  कौन  समझने  वाला  है।
💥
यार   उसूल  परस्ती  और   सियासत  में,
तुमने ख़ुद को किस मुश्किल में डाला है।
💥
नीचे   तक   पूरी   इमदाद   नहीं   पहुँची,
ऊपर आख़िर  कुछ  तो गड़बड़झाला है।
💥
           -----ओंकार सिंह विवेक




March 2, 2021

ग़ज़ल प्रतियोगिता परिणाम

प्रतिष्ठित साहित्यिक समूह "अनकहे शब्द" का मेरी ग़ज़ल को प्रथम पुरस्कार प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार
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("अनकहे शब्द" की वॉल से साभार)

दोस्तो हम हाज़िर है ग़ज़ल प्रतियोगिता-68 के परिणाम लेकर। हम मंच के हमारे सभी सक्रिय साथियो का भी दिल की तमामतर गहराइयों से शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने हमारी ग़ज़ल प्रतियोगिता -68में भाग लेकर इस मंच को नई ऊँचाइयाँ प्रदान की  दोस्तो इस बार भी बहुत ही बड़ी तादाद में और बहुत उम्दा ग़ज़लें  मंच पर हैं ये हमारे उस्ताद शायर आदरणीय Mukhtar Tilhari साहब का कहना है। चयन प्रक्रिया बड़ी मुश्किल हो जाती है जब इतनी अच्छी ग़ज़लें मंच पर हों ।भाई जी बड़ी मेहनत के साथ आपकी ग़ज़लें पढ़ते हैं और परिणाम देते हैं ।हम उनका भी तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं ये आप और हम सबकी बड़ी उपलब्धि है सभी विजेताओं के लिए  ढेर सारा शुक्रिया तो बनता ही है है साथ ही ढेरों बधाई...और शुभकामनाएं....💐💐💐💐
तो लीजिये अब पेश हैं विजेताओं के नाम....
ग़ज़ल प्रतियोगिता-68 के विजेता

~~प्रथम~~
माहिर रज़ा फिरोजाबादी
मुदस्सिर हुसैन
ओंकार सिंह विवेक 
सरफ़राज़ कुशलगढ़ी
अबरार अहमद

~~द्वितीय~~
अनीस अरमान
रुबी कमल
असीम आमगांवी
नफ़ीस वारसी
एल एन कोष्टी

~~तृतीय~~
वासिफ़ क़मर
कविता सिंह
सुशील तिवारी सरस
शशांक ठाकुर साहिल
अदीब दमोही
ज़िया अख़्तर
आप सभी विजेताओं को अनकहे शब्द परिवार के सभी एडमिनस और सभी सदस्यों की और से हार्दिक हार्दिक हार्दिक बधाइयाँ ......मंच आप सभी की उत्तरोत्तर उन्नति की मंगल कामना करता है बहुत बहुत बधाई आप सभी को 🌹🌷🌹🌷🌹🌷

आप सभी के सहयोग, स्नेह और सफलता के लिए एक बार पुनः आप सभी को हार्दिक हार्दिक बधाई और आभार ! 

-----अनकहे शब्द समूह ----

मेरी जिस ग़ज़ल को पहला इनआम हासिल हुआ वो यहाँ पेश है

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होली के नव रंग : कुछ दोहों के संग

प्रणाम मित्रो 🌹🌹🙏🙏 आप सभी को रंगोत्सव होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं। मन फाग गाने को आतुर है,रंगों की धनक सबको आकर्षित कर रही है।गुज...