मैं पिछले कई वर्ष से राष्ट्रीय तूलिका मंच एटा-उ०प्र० से जुड़ा हुआ हूं।यह देश के अत्यधिक प्रतिष्ठित साहित्यिक व्हाट्सएप ग्रुप्स में से एक है जो मानक हिंदी को लेकर बहुत ही प्रतिबद्ध है।यदि साहित्यिक और प्रशासनिक अनुशासन की बात करूं तो जिन साहित्यिक समूहों से मैं जुड़ा हुआ हूं उनमें यह श्रेष्ठतम समूह कहा जा सकता है।बहुत वरिष्ठ और अपने क्षेत्र में दक्षता रखने वाले साहित्यकार इस समूह का गौरव बढ़ा रहे हैं।अनुशासन का पालन न करने वाले रचनाकर/समीक्षक को यहां तुरंत ही बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।यही कारण है कि इस समूह में अनावश्यक भीड़ नहीं है।जो साहित्यकार सीखने में रुचि रखते हैं और समीक्षकों की सार्थक टिप्पणियों को बिना किसी अहम के सह्रदयता से लेते हैं उनके लिए यह एक लाभदायक समूह है।समूह में कई अवसरों पर मैंने देखा है कि रचनाकर और समीक्षक के मध्य विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर समूह प्रशासक/संस्थापक ने तुरंत हस्तक्षेप करके बिना किसी पूर्वाग्रह के आवश्यक कार्यवाही करके उसका निस्तारण किया है।
मैं ऐसे श्रेष्ठ साहित्यिक समूह की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना करता हूं तथा प्रोत्साहन प्रतिसाद प्रदान करने हेतु आभार व्यक्त करता हूं।
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