October 31, 2019

नेकियाँ


ग़ज़ल-ओंकार  सिंह विवेक
मोबाइल 9897214710
किसी  के  ग़म को  हमें अपना ग़म बनाने में,
बड़ा    सुकून   मिला   नेकियाँ   कमाने   में।

उसी  का  हाथ  था  मेरी  शिकस्त  के  पीछे,
लगा  रहा  में  जिसे  रात - दिन  जिताने  में।

शदीद  दर्द  -  घुटन  -  रंज   और   नाकामी,
इन्हीं   से   जूझना   हैं   ज़िन्दगी   चलाने  में।

नहीं  है  आज  किसी को  भी रूह की चिन्ता,
लगे  हैं  लोग  फ़क़त  जिस्म  को  सजाने  में।

किसी की छीन ली रोज़ी, किसी का हक़ मारा,
लगे   रहे   वो   मुसलसल   बदी   कमाने   में।

कभी  था  नाज़  हमें  जिन  हसीन रिश्तों  पर,
उन्हीं   को   तोड़   दिया  आज  आज़माने  में।
                       --------- ओंकार सिंह विवेक
                             (सर्वाधिकार सुरक्षित)

October 27, 2019

दीवाली

 


अन्न  उगाने  वालों  के  ही ,  संमुख  है  रीती थाली,
लेकिन शासक बता रहे हैं, भारत  में  है  ख़ुशहाली।
मन के भीतर तमस छुपाकर, लोग जलाते हैं दीपक,
समझ नहीं आता है कुछ भी , है यह कैसी दीवाली।
                                --------ओंकार सिंह विवेक
                                       (सर्वाधिकार सुरक्षित)

October 26, 2019

दीपावली

 

     दोहे : दीपावली

खील-बताशे-फुलझड़ी  , दीपों  सजी  क़तार।
मिलती इनको देखकर,मन को ख़ुशी अपार।।

दीवाली   के   दीप  हों ,  या   होली  के  रंग।
इनका आकर्षण तभी,जब हों प्रियतम संग।।

हो  जाये   संसार  में ,   निर्धन  भी  धनवान।
लक्ष्मी  माता दीजिए  , कुछ  ऐसा  वरदान।।

हो  जाये    संसार  में ,  अँधियारे   की   हार।
कर  दे  यह  दीपावली,  उजियारा  हर द्वार।।

निर्धन को  देें वस्त्र-धन , खील  और मिष्ठान।
उसके मुख पर भी सजे, दीपों  सी मुस्कान।।                  -
                          -----ओंकार सिंह विवेक
                              (सर्वाधिकार सुरक्षित)
                       चित्र:गूगल से साभार

October 17, 2019

करवा चौथ



         

                     चित्र:गूगल से साभार
दोहे:करवा चौथ
💥
पति की  लम्बी उम्र की  ,  मन में इच्छा धार।
पत्नी करवा  चौथ का , व्रत रखती हर बार।।
💥
छलनी  में  से चाँद का  ,  करने  को   दीदार।
छत पर सभी सुहागिनें ,नभ को रहीं निहार।।
💥
निर्जल व्रत  की  देखिए , महिमा  अपरंपार ।
पति-पत्नी में बढ़ रहा , सतत आपसी प्यार।।
💥
घर  की  सभी सुहागिनें ,  कर सोलह शृंगार।
मिलजुल करवा चौथ का ,मना रहीं त्योहार।।
💥
पति भी पत्नी के लिए , रखे  अगर  उपवास।
तो  दोनों  में प्यार का  ,  और  बढ़े एहसास।।                   
💥
                      --------ओंकार सिंह विवेक
                             (सर्वाधिकार सुरक्षित)


October 13, 2019

कवि गोष्ठी व शेरी नशिस्त

आज दिनाँक13 अक्टूबर,2019 को शायर इफ़्तेख़ार ताहिर के पीला तालाब स्थिति आवास पर गंगा जमुनी तहज़ीब को रेखांकित करती कवि गोष्ठी  व शेरी नशिस्त का आयोजन पल्लव काव्य मंच के तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ शमा रौशन करने के उपरांत शायर कँवल नोमानी की नात और शिव कुमार चंदन की सरस्वती वंदना से हुआ।
 सभी कवियों और शायरों ने वर्तमान सामाजिक विसंगतियों,आपसी प्रेम और भाईचारे तथा मानव मूल्यों के निरंतर होते क्षरण एवं देशप्रेम आदि पर अपनी प्रभावशाली रचनाओं का पाठ करके कार्यक्रम को जीवंतता प्रदान की।कार्यक्रम में जिन शायरों और कवियों ने रचना पाठ किया उनके नाम इस प्रकार हैं:
ओंकार सिंह विवेक, मेज़बान शायर इफ़्तेख़ार ताहिर,शिव कुमार चंदन,डॉक्टर रघुवीर शरण शर्मा,सचिन सिंह, कँवल नोमानी तथा आले अहमद सुरूर व अशफ़ाक़ ज़ैदी।कार्यक्रम की सदारत डॉक्टर रघुवीर शरण शर्मा तथा संचालन शिव कुमार शर्मा चंदन द्वारा किया गया।

October 11, 2019

आसमान पर

ग़ज़ल-ओंकार सिंह विवेक
मोबाइल9897214710
है  आदमी  का  इतना  दख़ल आसमान पर,
जाने   से   डर   रहे   हैं  परिन्दे  उड़ान  पर।

बदलें  हैं लोग रोज़  ही जब बेझिझक बयाँ,
फिर कैसे हो यक़ीन किसी की ज़ुबान पर।

उस  शख़्स  ने छुआ है  बुलन्दी का जो निशाँ,
पहुँचा नहीं  है कोई  अभी  उस  निशान पर।

मछली  की  आँख  ख्वाब  में  ही भेदता रहा,
रक्खा  कभी  न तीर  को  उसने कमान पर।

बस्ती  के  आम    लोग  ही  सैलाब  में घिरे,
बैठे  रहे  जो  ख़ास  थे  ऊँची  मचान   पर।
                            ---ओंकार सिंह विवेके

(सर्वाधिकार सुरक्षित)

                      चित्र:गूगल से साभार

October 8, 2019

दशहरा



कुटिल चाल से झूठ की,क्यों होना भयभीत,
जब  होनी  हर  हाल में, सच्चाई  की जीत।
           ----------------ओंकार सिंह विवेक               
                       चित्र:गूगल से साभार

October 3, 2019

ईमान




जब घिरा छल फरेबों के तूफ़ान में,
मैंने  रक्खा  यकीं  अपने ईमान में।
      -------ओंकार सिंह विवेक

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