August 28, 2022
संवेदनहीनता की पराकाष्ठा !!!!!!
August 25, 2022
उनका ऑफ़र और नहीं कुछ
इससे बढ़कर और नहीं कुछ
२ २ २ २ २ २ २ २
है ये छल-भर और नहीं कुछ,
उनका ऑफ़र और नहीं कुछ।
काश!समझ आए झूठों को,
साँच बराबर और नहीं कुछ।
नादाँ हैं ये कहने वाले,
धन से बढ़कर और नहीं कुछ।
है केवल आँखों का धोखा,
जादू-मंतर और नहीं कुछ।
गाल बजाने हैं हज़रत को,
करना दिन भर और नहीं कुछ।
रिश्वत का बस रुतबा देखा,
दफ़्तर-दफ़्तर और नहीं कुछ।
कोई अपना-सा मिल जाए,
"इससे बढ़कर और नहीं कुछ"
नस्ल-ए-नौ ऐ हाकिम तुझसे,
माँगे अवसर और नहीं कुछ।
---ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
August 23, 2022
कुंडलिया के बहाने
August 21, 2022
अमृत महोत्सव
भारत विकास परिषद महान संत स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों पर स्थापित एक अराजनैतिक स्वयंसेवी संस्था है। जीवन के सभी क्षेत्रों जैसे संस्कृति, शिक्षा,अध्यात्म ,नीति और राष्ट्र प्रेम आदि के संरक्षण और संवर्धन के लिए यह संस्था पूरी तरह समर्पित है। संस्था का लक्ष्य वाक्य --
" स्वस्थ्य, समर्थ,संस्कृत भारत" है।
कल सांय स्टार चौराहे के समीप पंजाबी नेचर बैंकट हॉल, रामपुर-उ०प्र ० में आज़ादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर भारत विकास परिषद की मुख्य शाखा रामपुर की पारिवारिक बैठक का आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय एकता और समरसता की भावना जैसे महत्वपूर्ण विषयों को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए गए।
कई सदस्यों ने देश भक्ति की भावना को प्रबल करने वाले जोशीले गीत प्रस्तुत किए। मेरी पत्नी श्रीमती रेखा जी द्वारा भी इस अवसर पर अपनी सूक्ष्म प्रस्तुति दी गई।परिषद के सदस्य भाई ललित अग्रवाल जी द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव को लेकर एक क्विज प्रतियोगिता का संचालन किया गया जिसमें बड़ों के साथ-साथ बच्चों ने भी बढ़ चढ़कर प्रतिभाग करके प्रोत्साहन गिफ्ट प्राप्त किए।
कार्यक्रम का सफल संचालन परिषद के अध्यक्ष श्री रवींद्र गुप्ता जी द्वारा किया गया।
प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक
August 19, 2022
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष
August 17, 2022
सारे जग में भारत की पहचान तिरंगा है
राष्ट्रीय तूलिका मंच एटा- उ०प्र० (भारत)
August 15, 2022
सारे जग में भारत की पहचान तिरंगा है!!!!!🇹🇯🇹🇯🇹🇯🇹🇯
August 14, 2022
इक बंजर धरती पर -----
August 11, 2022
डॉक्टर मधुकर भट्ट : एक अद्भुत व्यक्तित्व
August 9, 2022
विश्व संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत
August 5, 2022
जंगल और पहाड़
August 3, 2022
बस यही उनको खल गया होगा
फ़ाइलातुन मुफाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
ग़ज़ल-- ©️ओंकार सिंह विवेक
©️
माँ का आशीष फल गया होगा,
गिर के बेटा सँभल गया होगा।
ख़्वाब में भी न था गुमां हमको,
दोस्त इतना बदल गया होगा।
छत से दीदार कर लिया जाए,
चाँद कब का निकल गया होगा।
©️
सच बताऊँ तो जीत से मेरी,
कितनों का दिल ही जल गया होगा।
रख दिया था जो आइना आगे,
बस यही उसको खल गया होगा।
लूट ली होगी उसने तो महफ़िल,
जब सुनाकर ग़ज़ल गया होगा।
जीतकर सबका एतबार 'विवेक',
चाल कोई वो चल गया होगा।
-- ©️ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
कवि सम्मेलन रुद्रपुर - उत्तराखंड
July 31, 2022
मुंशी प्रेमचंद जी की स्मृतियों को नमन
July 28, 2022
दिल तो दर्पण है टूट जाएगा !!!!!!
मिसरा -- ग़म ही आख़िर में काम आएगा
2 1 2 2 1 2 1 2 2 2
काफ़िया -- आएगा,जाएगा --- आदि
ग़ज़ल -- ओंकार सिंह विवेक
संग नफ़रत के सह न पाएगा,
दिल तो दर्पण है टूट जाएगा।
टूटकर मिलना आपका हमसे,
वक़्त-ए-रुख़्सत बहुत रुलाएगा।
दिल को हर पल ये आस रहती है,
एक दिन वो ज़रूर आएगा।
जब कदूरत दिलों पे हो हावी,
कौन किसको गले लगाएगा?
राह भटका हुआ हो जो ख़ुद ही,
क्या हमें रास्ता दिखाएगा?
खींच लेगी ख़ुशी तो हाथ इक दिन,
"ग़म ही आख़िर में काम आएगा।"
होगा हासिल फ़क़त उसे मंसब,
उनकी हाँ में जो हाँ मिलाएगा।
और कब तक 'विवेक' यूँ इंसाँ,
ज़ुल्म जंगल-नदी पे ढाएगा।
ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
संग - पत्थर
वक़्त-ए-रुख़्सत - जुदाई के समय
कदूरत - दुर्भावना
मंसब - पद,ओहदा
(चित्र गूगल से साभार)
चित्र गूगल से साभार
July 25, 2022
एक नशा ऐसा भी
July 21, 2022
फ़ुरसत के पल
July 17, 2022
सावन सूखा
July 14, 2022
श्रीलंका : वर्तमान परिदृश्य
July 12, 2022
लो आई बरसात!!! लो आई बरसात!!!
July 11, 2022
सुखनवरी
मिसरा-ए-तरह : वो चला तो गया याद आया बहुत
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
ग़ज़ल-- ©️ओंकार सिंह विवेक
मोबाइल 9897214710
©️
फ़िक्र के पंछियों को उड़ाया बहुत,
उसने अपने सुख़न को सजाया बहुत।
हौसले में न आई ज़रा भी कमी,
मुश्किलों ने हमें आज़माया बहुत।
उसने रिश्तों का रक्खा नहीं कुछ भरम,
हमने अपनी तरफ़ से निभाया बहुत।
©️
लौ दिये ने मुसलसल सँभाले रखी,
आँधियों ने अगरचे डराया बहुत।
हुस्न कैसे निखरता नहीं रात का,
चाँद- तारों ने उसको सजाया बहुत।
मिट गई तीरगी सारी तनहाई की,
उनकी यादों से दिल जगमगाया बहुत।
शख़्सियत उसकी क्या हम बताएँ तुम्हें,
"वो चला तो गया याद आया बहुत।"
--- ©️ओंकार सिंह विवेक
फ़िक्र--चिंतन
सुख़न-- काव्य,कविता,शायरी
मुसलसल--निरंतर, लगातार
अगरचे--यद्यपि,हालाँकि
तीरगी-- अंधकार, अँधेरा
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शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏 संगठन में ही शक्ति निहित होती है यह बात हम बाल्यकाल से ही एक नीति कथा के माध्यम से जानते-पढ़ते और सीखते आ रहे हैं...