July 12, 2022

लो आई बरसात!!! लो आई बरसात!!!

शुभ प्रभात मित्रो 🙏🙏🌹🌹

आज की ब्लॉग पोस्ट लिखने बैठा तो मूड तो कोई और चीज़ साझा करने का था आप सब के साथ परंतु अचानक ही रिमझिम बूंदों की फुहार ने तन के साथ मन को भी भिगो दिया।फिर क्या था सुहाने मौसम के साथ बदले हुए मूड में वर्षा ऋतु पर कहे गए अपने कुछ दोहे आपके साथ साझा करने का निश्चय किया।वर्षा के साथ मन को आनंदित करने और किसी अलग ही दुनिया में ले जाने वाली क्या-क्या बातें जुड़ी हुई हैं आप भली भांति परिचित हैं।कजरी गायन, हरियाली तीज ,सावन के झूले ,घेवर और फैनी का स्वाद, गांव में चौपाल पर आल्हा गाते लोग,पानी में काग़ज़ की नाव तैराते हुए बच्चे ,खेतों में खिले चेहरों के साथ धान लगाते किसान --- तन और मन को प्रफुल्लित करने वाली और भी तमाम बातें इस हसीन मौसम से वाबस्ता हैं जिनका फिर कभी किसी पोस्ट में विस्तार से ज़िक्र करूंगा।फिलहाल आप आज के मौसम का आनंद लेते हुए इन दोहों पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे तो मुझे बेहद खुशी होगी --- 

🌷दोहे--पावस ऋतु🌷
---©️ओंकार सिंह विवेक

🌷
जब  से  है  आकाश  में,घिरी  घटा  घनघोर।
निर्धन  देखे  एकटक , टूटी छत  की  ओर।।
🌷
पुरवाई   के  साथ  में ,  आई   जब  बरसात।
फसलें  मुस्कानें   लगीं , हँसे  पेड़  के  पात।।
🌷
मेंढक   टर- टर  बोलते , भरे   तलैया- कूप।
सबके मन को भा रहा,पावस का यह रूप।।
🌷
खेतों  में  जल  देखकर , छोटे-बड़े  किसान।
आपस  में  चर्चा करें   , चलो  लगाएँ  धान।।
🌷
क्यों फिर इतराएँ नहीं ,पोखर-नदिया-ताल।
सावन ने जब कर दिया,इनको माला-माल।।
🌷
अच्छे   लगते   हैं  तभी , गीत  और  संगीत।
जब सावन में साथ हों , अपने मन के मीत।।
🌷
कभी-कभी वर्षा धरे , रूप बहुत  विकराल।
कोप दिखाकर बाढ़ का ,जीना करे मुहाल।।
🌷
वर्षा-जल  का  संचयन,करें  सभी  भरपूर।
होगा इससे देश में, जल-संकट कुछ  दूर ।।
🌷
  ------- ---©️//ओंकार सिंह विवेक
                           रामपुर-उ0प्र0
(गूगल की पॉलिसी के तहत सर्वाधिकार सुरक्षित)


19 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (13-07-2022) को चर्चा मंच      "सिसक रही अब छाँव है"   (चर्चा-अंक 4489)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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    1. जी बेहद शुक्रिया आपका।ज़रूर उपस्थित रहूंगा।

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  2. पावस ऋतु का मनोहारी चित्रण, सुंदर दोहे!

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  3. कभी-कभी वर्षा धरे , रूप बहुत विकराल।
    कोप दिखाकर बाढ़ का ,जीना करे मुहाल।।
    ...ऐसे ही हालात आजकल खूब देखने को मिल रही हैं ... .
    वर्षा-जल का संचयन,करें सभी भरपूर।
    होगा इससे देश में, जल-संकट कुछ दूर ।।
    बहुत अच्छी सामयिक रचना

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  4. वर्षा की ऋतु भारत की याद दिला गई .

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    1. आदरणीया आपको मेरी रचना ने अपने वतन की याद दिला दी यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है 🙏🙏🌹🌹

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  5. पावस ऋतु का सुंदर वर्णन करते मनोहारी दोहे

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  6. हार्दिक आभार आदरणीया।

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  7. हम तो दिल्ली में छुटपुट वर्षा ही देख रहे अभी 😊 आपके लिखे में भीग लिए बस ,सुंदर लिखा आपने

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    1. हार्दिक आभार रंजू भाटिया जी।जल्दी ही आप भी मनमोहक वर्षा का आनंद उठाएंगे, ऐसी आशा है।

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  8. बहुत खूब ! बारिश की बूँदों में घुले आंसू और मोती, सबकी बात कह दी आपने ।

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  9. Replies
    1. जी बेहद शुक्रिया 🙏🙏

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  10. मन को भिगोती सुन्दर रचना भाई 'विवेक' जी! आनंद आ गया।

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  11. बहुत सुंदर आदरणीय

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    1. अतिशय आभार आपका 🌹🌹🙏🙏

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