घर में लगभग एक माह से अधिक पुताई तथा मरम्मत आदि का कार्य चला जिस कारण अत्यधिक भागदौड़ और व्यस्तता रही।इस व्यस्तता के चलते मेरी साहित्यिक गतिविधियां और अन्य रुचि के कार्यों यथा कंटेंट राइटिंग और ब्लॉगिंग आदि में स्वाभाविक रूप से थोड़ी शिथिलता रही।आज ही पुताई आदि का कार्य समाप्त होने पर चैन की साँस ली तो आपसे संवाद और अपनी एक उपलब्धि साझा करने का लोभ संवरण न कर सका।
मैं काफ़ी समय से भारत सरकार के नागरिक केंद्रित प्लेटफार्म MyGov पर सक्रिय हूं।उस पर पिछले कई वर्ष से सभी तरह के टास्क और डिस्कशंस में हिस्सेदारी करता आ रहा हूं।इस प्लेटफॉर्म पर विभिन्न कार्यक्रमों में सहभागिता करने पर सदस्यों को निर्धारित नियमों के अंतर्गत badge points भी प्रदान किए जाते हैं। प्रतियोगिता के अंतर्गत Enthusiast level -1से लेकर Change Maker
level - 5 तक badges प्रदान किए जाते हैं।Change Maker level - 5 एक टॉप लेवल बैज होता है।
विभिन्न badges का विवरण उक्त प्लेटफॉर्म से साभार लेकर यहां साझा कर रहा हूं।
आप सब की दुआओं के चलते सौभाग्य से मुझे इस प्लेटफॉर्म पर एक लाख से अधिक badge points score करने पर टॉप लेवल badge जिसका नाम Change Maker है प्राप्त हुआ है।
इसके साथ ही मेरी एक ग़ज़ल का भी आनंद लीजिए :
ग़ज़ल---ओंकार सिंह विवेक
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सुख का है क्या साधन जो अब पास नहीं,
जीवन में फिर भी पहले-सा हास नहीं।
मुजरिम भी जब उसमें जाकर बैठेंगे,
क्या संसद का होगा फिर उपहास नहीं?
कर लेते हैं ख़ूब यक़ीं अफ़वाहों पर,
लोगों को सच पर होता विश्वास नहीं।
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दरिया को जो अपनी ख़ुद्दारी बेचे,
मेरे होठों पर हरगिज़ वो प्यास नहीं।
उठ ही आना था फिर उनकी महफ़िल से,
रंग हमें जब उसका आया रास नहीं।
कोई बदलता है दिन मे दस पोशाकें,
पास किसी के साबुत एक लिबास नहीं।
ध्यान-भजन-पूजा-अर्चन हैं व्यर्थ सभी,
मन में जब तक सच्चाई का वास नहीं।
--- ©️ओंकार सिंह विवेक
बहुत बहुत बधाई !
ReplyDeleteकर लेते हैं ख़ूब यक़ीं अफ़वाहों पर,
लोगों को सच पर होता विश्वास नहीं।
बेहतरीन ग़ज़ल
शुक्रिया आपका
Deleteउठ ही आना था फिर उनकी महफ़िल से,
ReplyDeleteरंग हमें जब उसका आया रास नहीं।
वाह!!!
लाजवाब गजल।
हार्दिक आभार आदरणीया
Deleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-07-2022) को चर्चा मंच "तृषित धरणी रो रही" (चर्चा अंक 4499) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आदरणीय। हाज़िर रहूंगा
Deleteहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय
अतिशय आभार आपका!!
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteजी बेहद शुक्रिया !!!!
DeleteNice
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका !!!!
Deleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteShukriya
Deleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
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