July 28, 2022

दिल तो दर्पण है टूट जाएगा !!!!!!


शुभ प्रभात मित्रो 🙏🙏

दिल के हवाले से बहुत कुछ कहा और सुना जाता है।दिल का संदर्भ लेकर भिन्न - भिन्न अर्थों में सैकड़ों मुहावरे और कहावतें गढ़ी गई हैं।दिल लगाना,दिल से लगाना,बड़े दिल वाला,दिल में उतरना आदि आदि। कवियों और शायरों ने भी दिल के हवाले से अपनी रचनाओं में बहुत सुंदर- सुंदर चित्र उकेरे हैं। हमारे शरीर में इस छोटे से अंग का बहुत महत्व है।यदि दिल ने धड़कना बंद किया तो आदमी का काम तमाम समझो। इसीलिए डॉक्टर और हकीम कहते हैं कि अपने दिल का खयाल रखिए। ग़रज़ यह कि यदि दिल नहीं तो कुछ भी नहीं।जीवन इसी से चलता है दिल्लगी, दिलवरी,दिल के ऊपर मुहावरे और कविताएं तभी तक अच्छी लगती हैं जब तक दिल की सेहत दुरुस्त हो।अत: बेहद ज़रूरी है कि हम अपने दिल/ह्रदय के स्वास्थ्य का खयाल रखें।
हाल ही में एक साहित्यिक ग्रुप में ग़ज़ल कहने के लिए एक तरही मिसरा दिया गया था जिस पर मैंने भी ग़ज़ल कही थी जिसे आपके रसास्वादन के लिए यहां प्रस्तुत कर रहा हूं।संयोग से दिल को लेकर ही इस ग़ज़ल का मतला हो गया है जिसकी भूमिका बांधने के लिए शरीर के इस महत्वपूर्ण अंग पर भी आपसे बात करने का अवसर मिल गया।

मिसरा -- ग़म ही आख़िर में काम आएगा

  2   1    2   2 1   2  1  2 2 2
                                 
काफ़िया -- आएगा,जाएगा --- आदि

ग़ज़ल -- ओंकार सिंह विवेक

संग  नफ़रत  के  सह  न पाएगा,
दिल  तो  दर्पण  है  टूट जाएगा।     

टूटकर  मिलना   आपका  हमसे,
वक़्त-ए-रुख़्सत बहुत  रुलाएगा।     

दिल को हर पल ये आस रहती है,  
एक   दिन   वो    ज़रूर  आएगा।   

जब  कदूरत  दिलों  पे  हो  हावी,       
कौन   किसको   गले   लगाएगा?

राह  भटका  हुआ हो जो ख़ुद ही,  
क्या     हमें    रास्ता    दिखाएगा?

खींच लेगी ख़ुशी तो हाथ इक दिन,
"ग़म ही आख़िर में  काम आएगा।"

होगा  हासिल   फ़क़त  उसे  मंसब,
उनकी  हाँ  में  जो   हाँ  मिलाएगा।

और  कब  तक  'विवेक'  यूँ   इंसाँ, 
ज़ुल्म    जंगल-नदी    पे    ढाएगा।
                   ओंकार सिंह विवेक 

   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

संग - पत्थर

वक़्त-ए-रुख़्सत - जुदाई के समय 

कदूरत - दुर्भावना 

मंसब - पद,ओहदा

(चित्र गूगल से साभार)

चित्र गूगल से साभार 


9 comments:

  1. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-07-2022) को   "काव्य का आधारभूत नियम छन्द"    (चर्चा अंक--4506)  पर भी होगी।
    --
    कृपया अपनी पोस्ट का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-07-2022) को   "काव्य का आधारभूत नियम छन्द"    (चर्चा अंक--4506)  पर भी होगी।
    --
    कृपया अपनी पोस्ट का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय।

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  4. आदरणीय ओंकार सिंह 'विवेक' जी, नमस्ते 🙏❗️
    बहुत सुंदर गजल. हर शेर उम्दा!
    कृपया इस लिन्क पर मेरी रचना मेरी आवाज में सुनें, चैनल को सब्सक्राइब करें, कमेंट बॉक्स में अपने विचार अवश्य दें! सादर!
    https://youtu.be/PkgIw7YRzyw
    ब्रजेन्द्र नाथ

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    Replies
    1. आभार आदरणीय प्रोत्साहन प्रतिसाद हेतु 🙏🙏 अवश्य करूंगा ,आपसे भी अनुरोध है कि मेरे चैनल को भी सब्सक्राइब करके सहयोग करें।
      सादर। https://youtu.be/fchZK13yOLI

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  5. बहुत उम्दा! शानदार प्रस्तुति।

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