मिसरा-ए-तरह : वो चला तो गया याद आया बहुत
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
ग़ज़ल-- ©️ओंकार सिंह विवेक
मोबाइल 9897214710
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फ़िक्र के पंछियों को उड़ाया बहुत,
उसने अपने सुख़न को सजाया बहुत।
हौसले में न आई ज़रा भी कमी,
मुश्किलों ने हमें आज़माया बहुत।
उसने रिश्तों का रक्खा नहीं कुछ भरम,
हमने अपनी तरफ़ से निभाया बहुत।
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लौ दिये ने मुसलसल सँभाले रखी,
आँधियों ने अगरचे डराया बहुत।
हुस्न कैसे निखरता नहीं रात का,
चाँद- तारों ने उसको सजाया बहुत।
मिट गई तीरगी सारी तनहाई की,
उनकी यादों से दिल जगमगाया बहुत।
शख़्सियत उसकी क्या हम बताएँ तुम्हें,
"वो चला तो गया याद आया बहुत।"
--- ©️ओंकार सिंह विवेक
फ़िक्र--चिंतन
सुख़न-- काव्य,कविता,शायरी
मुसलसल--निरंतर, लगातार
अगरचे--यद्यपि,हालाँकि
तीरगी-- अंधकार, अँधेरा
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सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-7-22) को सोशल मीडिया की रेशमी अंधियारे पक्ष वाली सुरंग" (चर्चा अंक 4488) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
आदरणीया हार्दिक आभार। ज़रूर हाज़िर रहूंगा !!!!!!!
Deleteबहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल...👍👍👍
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका 🌹🌹🙏🙏
Deleteहौसले में न आई ज़रा भी कमी,
ReplyDeleteमुश्किलों ने हमें आज़माया बहुत।
waah bahut khoob !!
अतिशय आभार आपका!!!!!
Deleteहौसले में न आई ज़रा भी कमी,
ReplyDeleteमुश्किलों ने हमें आज़माया बहुत।
वाह!! बेहतरीन शायरी
जी शुक्रिया आपका 🙏🙏
Deleteउम्दा भाव लिए सुंदर ग़ज़ल।
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका
Deleteउम्दा भाव लिए सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबेहद शुक्रिया आपका
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 जुलाई 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
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पुन: भेंट होगी...
हार्दिक आभार आपका,ज़रूर उपस्थित रहूंगा।
Deleteबहुत ही सुंदर सराहनीय।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई।
सादर
हार्दिक बधाई आदरणीया
Deleteजगमगाते रहें अल्फ़ाज़ ।
ReplyDeleteअभिनंदन ।
बेहद शुक्रिया
DeleteBilkul man ki baat!
ReplyDeleteजी शुक्रिया 🙏🙏
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