आज श्रीलंका जैसे सुंदर द्वीपीय देश के बिगड़े हुए हालात कुछ सोचने को विवश करते हैं। एशियाई देशों में अपनी आर्थिक सुदृढ़ता के लिए जाना जाने वाला देश आज भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है ।मंहगाई की वहां कोई सीमा नहीं रह गई है। अंतरराष्ट्रीय ऋण चुकाने के लिए न तो विदेशी मुद्रा भंडार बचा है और न ही कोई संसाधन।एक परिवार के शासन की गलत नीतियों के चलते देश में अफरातफरी का माहौल है।इन हालात में जब जनता के सब्र का बांध टूट चुका है तो स्थितियां कब सामान्य होंगी कुछ कहा नहीं जा सकता।आम जनता सड़कों पर है, शासक वर्ग सत्ता पर अपना नियंत्रण खो चुका है।देश में इस समय बहुत ही अनिश्चय और अस्थिरता का माहौल बना हुआ है।जनता द्वारा राष्ट्रपति भवन पर कब्ज़ा कर लिया गया है।कुछ शासक देश छोड़कर भाग गए हैं और कुछ भागने की फिराक में हैं। देश में इमरजेंसी लगा दी गई है।
यह स्थिति किसी भी देश के लिए बहुत ही घातक होती है।भारत सहित तमाम अन्य देशों को भी इससे सीख लेने की ज़रूरत है।सत्ता में बने रहने के लिए देश और जनता की चिंता छोड़कर मनमाने फैसले लेना ,किसी एक ही देश पर आवश्यकता से अधिक आश्रित हो जाना और राजनीति में परिवारवाद को बढ़ावा देना कितना घातक सिद्ध हो सकता है यह आज श्रीलंका में देखा जा सकता है। निज स्वार्थ के चलते जनता से लोकलुभावन वादे करना और उनमें मुफ़्तखोरी की आदत डालना ,बिना अर्थव्यवस्था के गणित को समझे तमाम तरह की रियायतों की घोषणा करते जाना ही अंत में श्रीलंका की तबाही का कारण बना।
हम यही कामना करते हैं कि अपने पर्यटन उद्योग के लिए जाना जाने वाला ऐतिहासिक महत्व का यह सुंदर देश शीघ्र ही इस विपत्ति से बाहर आए और फले फूले।अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसे इस स्थिति से निकलने के लिए हर संभव मदद करे।वैसे भारत सहित तमाम देश श्रीलंका की वर्तमान चिंता में शामिल होने के लिए आगे आए हैं जो बहुत अच्छी बात है।
एक कवि होने के नाते श्रीलंका के वर्तमान परिदृश्य पर एक कुंडलिया छंद का सृजन हो गया जो आप सब के रसास्वादन के लिए यहां प्रस्तुत कर रहा हूं :
कुंडलिया
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लंका नगरी का सखे, मत पूछो तुम हाल,
थी सोने की जो कभी,हुई आज कंगाल।
हुई आज कंगाल, त्रस्त है जनता सारी,
ग़लत नीतियां नित्य,पड़ीं शासन की भारी।
फिर से जग में काश, बजाए अपना डंका,
हो जाए खुशहाल, द्वीप सुंदर श्रीलंका।
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ओंकार सिंह विवेक
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
कल रात गुरुपूर्णिमा पर चांद भी अपने पूरे शबाब पर था। ग़ज़ब की रौशनी थी आसमान में जिसका सबने भरपूर आनंद लिया।रात तो में चांद की वो खूबसूरती कैमरे में क़ैद न कर सका परंतु सुबह पांच बजे घर की छत से चंद्रमा का टाटा, बाय बाय करते हुए जाना भी बहुत आनंदित कर गया।मोबाइल में उस छवि को उतारा है तो सोचा कि आपके साथ भी साझा करूं:
यदि ज़ूम करके देखेंगे तो यह सफेद बिंदु बहुत विस्तृत रूप में आपके मन को लुभाएगा।
फिलहाल इतना ही ------
ओंकार सिंह विवेक
गुरू पूर्णिमा के चाँद की फोटो और श्री लंका के वर्तमान परिदृश्य पर बहुत सुन्दर कुंडली सृजन ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया!!!
Deleteश्रीलंका की वर्तमान स्थिति पर पठनीय आलेख, सुंदर चित्र!
ReplyDeleteअतिशय आभार आदरणीया
Deleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-07-2022) को चर्चा मंच "दिल बहकने लगा आज ज़ज़्बात में" (चर्चा अंक-4492) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आदरणीय 🙏🙏
Deleteबहुत ही सुंदर,सार्थक पोस्ट ।श्रीलंका के परिदृश्य पर प्रकाश डालती सराहनीय कुंडलिया, और चांद की अनोखी छवि । सब कुछ बढ़िया ।
ReplyDeleteजी बेहद शुक्रिया आपका
Deleteश्रीलंका के परिदृष्य पर सार्थक आलेख, कुंडलियां और गुरुपूर्णिमा की सुंदर फोटोग्राफी ।सभी कुछ सुंदर ।बढ़िया पोस्ट ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteआज के श्रीलंका पर सटीक विश्लेषण करती सुंदर पोस्ट साथ ही सारा ब्योरा समेटे सुंदर कुण्डलियाँ छंद की रचना।
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका
Deleteश्रीलंका के वर्तमान हालातों पर बहुत सटीक एवं सार्थक लेख ...लाजवाब कुण्डलिया छन्द एवं बहुत ही मनमोहक तस्वीर ।
ReplyDeleteआभार आदरणीया।
Deleteश्रीलंका की हालत पर सही लिखा । सुंदर फोटो चांद की
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका 🙏🙏
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