November 15, 2023

त्योहार के बहाने

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपों का त्योहार दीपावली आया और चला गया। कुछ बस्तियों में ख़ूब धूम-धड़ाका हुआ।कुछ घरों में हज़ारों की आतिशबाज़ी आई और स्वाहा कर दी गई। अमीरों के यहाँ मिठाइयों/ड्राई फ्रूट्स और गिफ्ट्स के जमकर आदान-प्रदान हुए।
.        (चित्र : गूगल से साभार) 
दूसरी तरफ़ कुछ बस्तियों में वो धूम-धड़ाका या उत्साह का माहौल देखने को नहीं मिला जो होना चाहिए था। निर्धन फुटपाथ पर फड़ लगाकर सामान ही बेचते रहे ताकि दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर सकें।
समाज में इस आर्थिक क्षमता या परचेसिंग पॉवर में हद दर्जे की असमानता/असंतुलन को देखकर ह्रदय बहुत व्यथित हुआ।इसके पीछे संसाधनों का असमान वितरण/अभाव, सामाजिक स्तर/सामाजिक विसंगति या अर्थशास्त्र के तमाम तर्क हो सकते हैं जिन पर बुद्धिजीवी लंबी बहसें कर सकते हैं।
.      (चित्र : गूगल से साभार)
तथ्य और कारण कोई भी हों परंतु दीपावली पर जब एक तरफ़ भरपूर मस्ती और एक तरफ़ मायूसी देखी तो कवि मन से दो दोहे सृजित हुए जो आप सभी के साथ साझा कर रहा हूं :
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महलों में ही बँट गया,सब का  सब उजियार।
झोपड़ियों में रह गया,फिर वह ही अँधियार।।

सजने  दो  जिनके  लिए, सजें हाट - बाज़ार।
अपनी  तो  है  जेब  पर, भारी  हर  त्योहार।।
               @ओंकार सिंह विवेक 

November 7, 2023

हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली का काव्य प्रतिभा सम्मान समारोह ,2023

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏


हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली का पुस्तक विमोचन और 
ग़ज़लकार सम्मान समारोह,2023
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 स्व वित्तपोषित संस्था हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली द्वारा 5 नवंबर, 2023 को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केंद्र में ग़ज़ल संग्रह "गुलदस्ता-ए-ग़ज़ल" का विमोचन, ग़ज़लकार सम्मान तथा पुस्तक में चयनित ग़ज़लकारों के ग़ज़ल पाठ का एक शानदार कार्यक्रम आयोजित किया गया।
मशहूर उस्ताद शायर सीमाब सुल्तानपुरी जी ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की और 'गुलदस्ता-ए-गज़ल' साझा ग़ज़ल-संग्रह को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ग़ज़ल-गुरु श्री देवेंद्र मांझी जी मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन रहे। विशेष अतिथि के रूप में सर्वभाषा ट्रस्ट के निदेशक डॉ. केशव मोहन पांडे इस समारोह में शामिल थे।
बताते चलें कि ग़ज़ल संग्रह हेतु लगभग 170 से 175 ग़ज़लकारों ने अपनी रचनाएँ प्रेषित की थीं जिनमें से 50 ग़ज़लकारों की दो-दो श्रेष्ठ ग़ज़लों का चयन किया गया था।सौभाग्य से मुझे भी इस संग्रह में छपने का अवसर प्राप्त हुआ।
समारोह में मेरठ के वरिष्ठ साहित्यकार श्री बृजराज किशोर 'राहगीर' को हिंदुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान -2023 प्रदान करने के साथ ही पुस्तक में छपे अन्य श्रेष्ठ ग़ज़लकारों को भी  सम्मानित किया गया।यह सम्मान उन्हें ग़ज़ल विधा के उस्ताद शायर श्री देवेंद्र मांझी एवं सीमाब  सुल्तानपुरी जी द्वारा प्रदान किए गए। 
सभी चयनित रचनाकारों को मिले सम्मान विशेष है क्योंकि यह एक पारदर्शी और पूर्ण निष्पक्ष प्रक्रिया के बाद प्रदान किए गए हैं।
 अकादमी द्वारा इससे पूर्व में साहित्य की गीत विधा पर यह सम्मान दिया गया था। 
 कार्यक्रम में अकादमी के अध्यक्ष श्री सुधाकर पाठक ने अकादमी की कार्यपद्धति और इसकी भावी योजनाओं के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम का सफल संचालन संस्था की कार्यकारिणी के सदस्य- सुश्री संजय गरिमा, डा.सोनिया अरोड़ा और समन्वयक विनोद पाराशर जी ने किया।
भारतीय भाषाओं के उन्नयन एवं संवर्धन को समर्पित संस्था 'हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के इस पुनीत कार्य की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है।समारोह में देश भर से आए हुए श्रेष्ठ ग़ज़लकारों से मिलने का अनुभव बहुत सुखद रहा।
कार्यक्रम में आमंत्रित तथा सम्मानित करने के लिए मैं अकादमी के प्रमुख श्री सुधाकर पाठक जी तथा श्री विनोद पाराशर जी का ह्रदय से आभार प्रकट करता हूं 🙏🙏
 --- ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर





November 1, 2023

(यादगार लमहे)भाई प्रदीप पचौरी का सेवा निवृत्ति समारोह

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३० अक्टूबर,२०२३ को रात लगभग आठ बजे भाई प्रदीप पचौरी जी का फोन आया कि कल मैं बैंक-सेवा से निवृत्ति प्राप्त कर रहा हूं।इस अवसर पर मैंने बैंक के साथियों के लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया है जिसमें आप सादर आमंत्रित हैं। मैंने उन्हें जीवन की अगली पारी के लिए शुभकामना देते हुए सहर्ष आने की स्वीकृति दी।
अगले दिन दोपहर में पुन: भाई पचौरी जी और प्रथमा यू पी ग्रामीण बैंक की मुख्य शाखा के क्षेत्राधिकारी प्रिय प्रिंस कुमार का फोन आया कि सर आपको कार्यक्रम कंडक्ट भी करना है।मुझे ख़ुशी हुई कि बैंक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्राप्त करने के चार साल बाद भी वर्तमान बैंक कर्मी मुझे उतना ही स्नेह देते हैं।मुझे बैंक सेवा में बिताए अपने वे पुराने दिन याद आ गए जब मैं अपने सहकर्मियों के साथ प्रथमा बैंक क्षेत्रीय कार्यालय में ऐसे तमाम कार्यक्रम सफलता पूर्वक कंडक्ट किया करता था।बैंक के मुख्य कार्यालय मुरादाबाद के ट्रेनिंग सेंटर का एसोशिएट डायरेक्टर रहते हुए भी ऐसे तमाम कार्यक्रम कंडक्ट करने का अवसर प्राप्त होता रहता था जिसके प्रतिफल में अपने उच्चाधिकारियों से प्रशंसा भी प्राप्त होती थी।
अब और अधिक विषयांतर न करते हुए मुद्दे पर आता हूं।३१ अक्टूबर,२०२३ को शाम लगभग साढ़े सात बजे बैंक की मुख्य शाखा रामपुर में भाई प्रदीप पचौरी जी की विदाई पार्टी का आयोजन किया गया।

मंच पर कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण भाई प्रदीप पचौरी जी के साथ क्षेत्रीय प्रबंधक संजय जौहरी जी,वरिष्ठ प्रबंधक हरनंदन गंगवार जी तथा मुख्य शाखा के वरिष्ठ प्रबंधक सौरभ कुमार अमरनानी जी विराजमान रहे। सर्वप्रथम मंचासीन महानुभावों द्वारा बुके तथा फूल मालाओं से भाई प्रदीप पचौरी जी का स्वागत किया गया।उसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सभी बैंक कर्मियों तथा पचौरी जी के परिजनों एवं रिश्तेदारों द्वारा मालाएं पहनाकर उनका स्वागत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए मैंने पचौरी जी के ३७ वर्ष २ माह के कार्यकाल पर सूक्ष्म प्रकाश डालते हुए वक्ताओं को अवसर के अनुकूल विचार व्यक्त करने के लिए मंच पर आमंत्रित किया। हरनंदन गंगवार , प्रदीप यादव तथा प्रिंस कुमार आदि ने इस अवसर पर बोलते हुए बैंक स्टाफ के साथ पचौरी जी के सरल व्यवहार और सहयोग को लेकर प्रशंसा करते हुए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दीं।
मुख्य शाखा रामपुर के प्रबंधक सौरभ जी ने रामपुर शाखा में पचौरी जी के सूक्ष्म कार्यकाल की प्रशंसा करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं।रामपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक संजय जौहरी साहब ने पचौरी जी से अपने पुराने जुड़ाव को लेकर कई संस्मरण सुनाए तथा उनकी क्रिकेट में रुचि और इसमें उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया।जौहरी साहब ने बैंक की ओर से भविष्य में भी पचौरी जी को हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया।
पचौरी जी के परिजनों और रिश्तेदारों द्वारा भी इस अवसर पर पचौरी जी के साथ जुड़े कई संस्मरण और अनुभव साझा करते हुए उनके आत्मीयतापूर्ण व्यवहार की प्रशंसा की गई।इस अवसर पर सभी लोग काफ़ी भावुक नज़र आए जो स्वाभाविक भी है।अपने भावुक संबोधन में सेवानिवृत्ति प्राप्त कर रहे भाई प्रदीप पचौरी ने कहा कि मैंने अपनी सामर्थ्य के अनुसार बैंक को अपना सौ प्रतिशत देने का पूरा प्रयास किया।कुछ परेशानियां भी आईं और कटु अनुभव भी हुए परंतु उनको कार्य का अंग मानते हुए स्वीकार किया ।उन्होंने सभी से मिले सहयोग के लिए आभार प्रकट किया।अंत में बैंक की ओर से क्षेत्रीय प्रबंधक,शाखा प्रबंधक तथा अन्य बैंक स्टाफ द्वारा पचौरी जी को मोमेंटो, शॉल और गिफ्ट आदि प्रदान किए गए।शाखा प्रबंधक द्वारा सभी का आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई।
शाखा से विदाई के बाद भाई प्रदीप पचौरी जी द्वारा सब के लिए सूर्या बैंक्वेट हॉल में एक शानदार डिनर पार्टी का आयोजन किया गया।इस पार्टी में पुराने तमाम साथियों से भेंट करके मन को प्रसन्नता हुई। ऐसे आयोजनों में सम्मिलित होने का एक फ़ायदा यह भी होता है कि जिन लोगों से पारिवारिक व्यस्तताओं के चलते व्यक्तिगत रूप से मिलना नहीं हो पाता उनसे भेंट हो जाती है और घर-परिवार में सबकी  ख़ैरियत भी पता चल जाती है।इस दृष्टि से यह अवसर उपलब्ध कराने के लिए भाई प्रदीप पचौरी का अतिरिक्त हार्दिक आभार प्रकट करना बनता है।
नीचे इस अवसर पर साथियों के साथ लिए गए कुछ छायाचित्र प्रस्तुत हैं :


अंत में अपने इस दोहे के माध्यम से पचौरी जी को जीवन की अगली पारी के लिए शुभकामना देते हुए उनके दीर्घायु होने की कामना करता हूं :

     हर विपदा-बाधा मिटे,हो जीवन  ख़ुशहाल।
     मित्र पचौरी है दुआ,आप  जिएं सौ  साल।।
              @ ओंकार सिंह विवेक 
प्रस्तुति :
ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर

विशेष :
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October 27, 2023

रस सिद्ध शायर देवी प्रसाद गौड़ 'मस्त' की 110 वीं जयंती

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏
     
        (मंच पर अतिथि के रूप में साहित्यकारों एवम् रणधीर प्रसाद गौड़ धीर जी के परिजनों के साथ सुखद पल)
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बरेली के वरिष्ठ शायर और कवि आदरणीय रणधीर प्रसाद गौड़ धीर साहब का लगभग एक माह पूर्व फोन आया था कि हमारे पिताश्री मशहूर शायर और कवि पंडित देवी प्रसाद गौड़ मस्त जी की ११० वीं जयंती पर आयोजित होने वाले कवि सम्मेलन और साहित्यकार सम्मान समारोह में आप सादर आमंत्रित हैं। 
आदरणीय धीर साहब का स्नेह मुझे अक्सर ही साहित्यिक कार्यक्रमों में मिलता रहा है। यह भी एक सुखद संयोग है कि उनका प्रारंभिक जीवन मेरे गृह नगर रामपुर में ही बीता है सो अक्सर रामपुर से जुड़ी  पुरानी यादों को लेकर उनसे फोन पर बात होती रहती है।
 आदरणीय गौड़ साहब की मुहब्बतों के चलते
 २६ अक्टूबर ,२०२३ को रामपुर के वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय शिव कुमार चंदन जी के साथ उक्त कार्यक्रम में जाना हुआ।        
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्य भूषण सुरेश बाबू मिश्रा एवं विशिष्ट अतिथिगण रामपुर से पधारे शिवकुमार चंदन एव ओंकार सिंह विवेक रहे।अध्यक्षता वरिष्ठ शायर विनय सागर जायसवाल ने की।कार्यक्रम बरेली कवि गोष्ठी आयोजन समिति के तत्वावधान में संपन्न हुआ।कार्यक्रम में सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा आदरणीय धीर साहब के ग़ज़ल संग्रह "सलाम-ए-इश्क़" का विमोचन किया गया।
     (रणधीर प्रसाद गौड़ धीर जी के ग़ज़ल संग्रह 
       सलाम-ए-इश्क़ का विमोचन)

 दूसरे चरण में साहित्यकार  शिव कुमार चंदन, ओंकार सिंह विवेक शायर असद मिनाई, असरार नसीमी, नईम खान शबाव कासगंजबी एवं किच्छा के नबी अहमद मंसूरी  को  साहित्यिक क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान के लिए 'पं.देवी प्रसाद गौड़ मस्त साहित्य सम्मान' प्रदान किया गया।सम्मान स्वरूप शॉल, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह संस्था के अध्यक्ष/ कार्यक्रम संयोजक रणधीर प्रसाद गौड़ धीर, महासचिव बृजेंद्र तिवारी तथा संस्था सचिव उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने प्रदान किए।
     (कार्यक्रम में मेज़बान रणधीर प्रसाद गौड़ धीर तथा मंचासीन अतिथियों से 'पंडित देवी प्रसाद गौड़ मस्त साहित्य सम्मान' ग्रहण करते हुए)

 तृतीय सत्र में कवि सम्मेलन/ मुशायरा हुआ जिसमें कवियों/शायरों ने ने अपने समसामयिक काव्य पाठ से श्रोताओं को अंत तक बांधे रखा।कार्यक्रम में मंच पर आसीन कवियों के अतिरिक्त शिवरक्षा पांडेय, ज्ञान देवी वर्मा सत्यम्,वेद प्रकाश शर्मा अंगार,दीपक मुखर्जी, रामधनी निर्मल,रामकुमार भारद्वाज अफरोज, प्रकाश निर्मल, इंद्रदेव त्रिवेदी, निर्भय सक्सेना,डॉ शिव नरेश शुक्ल, एस.ए.हुदा,मिलन कुमार मिलन, राम कृष्ण शर्मा,सत्यवती सिंह सत्या, मिथिलेश गौड़ ,रामकुमार कोली, डॉ राजेश शर्मा ककरेली, उमेश अद्भुत,यदुवीर प्रसाद गौड़,ओमवीर सिंह, स्नेहा सिंह, सुरेंद्र बीनू सिंहा,मुजम्मिल हुसैन,अशोक कुमार व राजकुमार अग्रवाल आदि ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन मनोज दीक्षित टिंकू ने किया।
               (कार्यक्रम में काव्य पाठ करते हुए)
    
(साहित्यकार बंधुओं उपमेंद्र सक्सैना तथा टिंकू जी के साथ)
              (कार्यक्रम में उपस्थित कवि एवं श्रोतागण)

     (कार्यक्रम में वरि० साहित्यकार चंदन जी के साथ)
 (काव्य पाठ करते हुए मेज़बान वरिष्ठ शायर/कवि रणधीर प्रसाद गौड़ धीर साहब)

अंत में जलपान के बाद धीर साहब ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।
कार्यक्रम में आदरणीय रणधीर प्रसाद गौड़ धीर साहब के परिजनों ने जिस आत्मीयता और आतिथ्य भाव से आगंतुकों की आवभगत की उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। कार्यक्रम की आयोजन व्यवस्था में संस्था के सचिव प्रिय भाई उपमेंद्र सक्सैना जी की सक्रियता ने भी बहुत प्रभावित किया।
पंडित देवी प्रसाद गौड़ मस्त जी को स्मृतियों को नमन करते हुए अपनी इन चार पंक्तियों के साथ पोस्ट को समाप्त करता हूं :
             महफ़िलों   का   नूर  थे   शृंगार  थे,
             सबकी चाहत थे सभी का प्यार थे।
             'मस्त' था जिनका तख़ल्लुस दोस्तो,
             वो अदब के  इक बड़े फ़नकार  थे।
                           @ ओंकार सिंह विवेक 

कार्यक्रम की स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा शानदार कवरेज की कुछ झलकियाँ 👇👇
         
ओंकार सिंह विवेक
 -- ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर

October 18, 2023

शायद जल्द इलक्शन आने वाला है



दोस्तो लीजिए हाज़िर है मेरी नई ग़ज़ल
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ग़ज़ल-ओंकार सिंह विवेक
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बदला    रातों - रात   उन्होंने  पाला  है ,
शायद  जल्द  इलक्शन  आने  वाला हैI

झूठे    मंसब     पाते     हैं     दरबारों   में,
सच्चों  की  क़िस्मत  में  देश-निकाला है।

भूखे  पेट  जो   सोते   हैं  फुटपाथों  पर,
हमने  उनका  दर्द   ग़ज़ल  में  ढाला  है।
@
यार ! उसूल  परस्ती  और   सियासत  में,
तुमने ख़ुद को किस मुश्किल में डाला है।

ज़ेहन   में   चलते  रहते   हैं   ऊला-सानी,
हमने अच्छा  शौक़  ग़ज़ल  का  पाला है।

नीचे   तक   पूरी   इमदाद   नहीं   पहुँची,
ऊपर आख़िर  कुछ  तो  गड़बड़झाला है।

घर में आख़िर बेटी  के जज़्बात 'विवेक',
माँ  से  बेहतर  कौन  समझने  वाला  है।
        ----- @ओंकार सिंह विवेक
 (मेरे शीघ्र प्रकाश्य ग़ज़ल संग्रह "कुछ मीठा कुछ खारा" से)
(चित्र : गूगल से साभार)


  (रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के २५० वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में)

(अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हास्य-व्यंग्य के शायर पॉपुलर मेरठी जी के साथ)

 (भारत विकास परिषद रामपुर - उत्तर प्रदेश के सदस्यों को अपने ग़ज़ल संग्रह "दर्द का एहसास" की प्रतियाँ भेंट करते हुए)
------@ ओंकार सिंह विवेक 


October 13, 2023

एक साहित्यिक परिचर्चा/विचार गोष्ठी


नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

 (रामपुर की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े साहित्यकार अंबेडकर पार्क रामपुर में साहित्यिक गतिविधियों के प्रचार-प्रसार के संबंध में विचार-विमर्श करते हुए)

रामपुर जनपद के हिंदी तथा उर्दू दोनों ही भाषाओं के अनेक साहित्यकारों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रही है।हिंदी साहित्यकारों में कल्याण कुमार जैन शशि, प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंघल और डॉक्टर छोटे लाल नागेंद्र और पुराने उर्दू साहित्यकारों में जलील नोमानी, होश नोमानी और अज़हर इनायती आदि को कौन नहीं जानता।वर्तमान में भी जनपद के अनेक वरिष्ठ एवं उदीयमान रचनाकार तथा साहित्यिक संस्थाएँ अपने-अपने गद्य एवं पद्य सृजन से भाषाओं को समृद्ध करने में निमग्न हैं। वर्तमान में वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र कमल आनंद और शिव कुमार चंदन जी जैसे लोग अपने साहित्यिक समूहों के माध्यम से निरंतर हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में लगे हुए हैं।
रामपुर की प्रमुख साहित्यिक संस्थाएँ यथा उ0 प्र0 साहित्य सभा रामपुर इकाई, आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, पल्लव काव्य मंच आदि आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं।
रामपुर में साहित्यिक गतिविधियों को और अधिक विस्तार देने तथा सभी संस्थाओं के समन्वय से ज़िले में बड़े साहित्यिक आयोजनों को मूर्त रूप देने को लेकर रामपुर के साहित्यकारों द्वारा अंबेडकर पार्क रामपुर में एक परिचर्चा और विचार गोष्ठी आयोजित की गई।
सभी साहित्यकार कहीं-कहीं कविता के गिरते स्तर को लेकर भी चिंतित दिखाई दिए। सभी ने यह महसूस किया की अच्छी कविता गंभीर चिंतन और मनन चाहती है।यदि हम अच्छा सोचेंगे/पढ़ेंगे तभी अच्छा लिख पाएंगे जो पाठकों/श्रोताओं द्वारा पसंद किया जाएगा।नई पीढ़ी के साहित्यकारों को विभिन्न प्रचार माध्यमों और सोशल मीडिया पर छाने की जितनी जल्दी है उतनी गंभीरता उनके साहित्य सृजन में दिखाई नहीं देती। यदपि इसके अपवाद भी दिखाई देते हैं।

सभी साहित्यकार इस बात पर एकमत दिखाई दिए कि अपने-अपने बैनरों के तले साहित्यिक आयोजनों में एक दूसरे को आमंत्रित करने के साथ-साथ यदा कदा सामूहिक रूप से बड़े साहित्यिक आयोजनों के बारे में भी सोचना चाहिए।आख़िर कविता के माध्यम से सभी का एक उद्देश्य है और वह है- साहित्य और समाज की सेवा। तो क्यों न फिर किसी तरह के पूर्वाग्रह को छोड़कर इस दिशा में सामूहिक प्रयास भी  किए जाएँ।विचार गोष्ठी में इस पर कुछ सहमति बनती दिखाई दी जो एक शुभ संकेत है। विचार-विमर्श में यह भी तय हुआ कि शासन/प्रशासन को इस आशय का एक सामूहिक ज्ञापन दिया जाए कि ज़िला स्तर पर आयोजित कराए जाने वाले साहित्यिक कार्यक्रमों में स्थानीय साहित्यकारों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाना चाहिए।इससे स्थानीय साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी प्रतिभा भी निखरेगी। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रोत्साहन पाकर कुछ नया करने की ऊर्जा मिलती है। स्थानीय साहित्यकारों की यह पहल प्रशंसनीय है।इस पहल में प्रतिभाशाली युवा रचनाकार भाई राजवीर सिंह राज़ का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
मजरूह सुल्तानपुरी साहब के इस शेर के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं:
  मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,
  लोग  साथ आते  गए और कारवां बनता गया।
              --- मजरूह सुल्तानपुरी
प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक 
























🌹 दोस्तों के बहाने 🌹

रामपुर (उत्तर प्रदेश) की रज़ा लाइब्रेरी की स्थापना के 250 वर्ष पूर्ण होने पर 7,8 और 9अक्टूबर,2023 को प्रशासन की ओर से कई सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस प्रकार के कार्यक्रम वर्ष भर चलते रहेंगे। वृहद स्तर पर ऐसे  विशाल कार्यक्रमों का आयोजन जनपद वासियों के लिए गौरव की बात है। रामपुर तथा रज़ा लाइब्रेरी की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान से सब भली भांति परिचित हैं। इस प्रकार के आयोजन निश्चित ही रामपुर की इस साँझी विरासत को और अधिक मजबूत बनाएंगे। 
रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के २५० वें स्थापना वर्ष पर आयोजित होने वाले अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में हाल ही में हुए तीन दिवसीय सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों में जिन तीन दोस्तों/मुख़लिसों की कंपनी में वहाँ जाना हुआ उनका ज़िक्र न किया जाए तो यह ब्लॉग पोस्ट अधूरी रहेगी।


पिछले लगभग एक वर्ष से मैं स्वामी विवेकानंद के आदर्शों का अनुसरण करने वाली स्वयं सेवी संस्था भारत विकास परिषद से भी जुड़ा हुआ हूं। पारिवारिक व्यस्तता के बीच महीने में कम से कम एक बार तो इसकी पारिवारिक बैठकों में जाना हो ही जाता है। आप चाहे किसी उत्सव/कार्यक्रम या बैठक में चले जाईए अपनी रुचि और मिज़ाज के कुछ लोग वहां मिल ही जाएंगे।परिषद में भी ऐसे कई लोग हैं जिनसे अच्छी घुटने लगी है।परिषद के ऐसे ही एक वरिष्ठ साथी हैं बड़े भाई श्री प्रशांत कुमार गुप्ता जी(ऊपर चित्र में सबसे बाईं तरफ़)।बहुत ही डैशिंग पर्सनालिटी के मालिक हैं।यों तो सीनियर सिटीजन हैं परंतु उनकी पर्सनालिटी अच्छे-अच्छे नौजवानों पर भारी है। उनका बाह्य रूप जितना सुंदर है उतने ही सुंदर वह मन और व्यवहार से भी हैं।कलात्मक अभिरुचि के धनी श्री प्रशांत जी साहित्य तथा संगीत में गहरी रुचि रखते हैं। श्री प्रशांत जी आजकल अपनी कलात्मक रुचि के कार्यों में व्यस्त रहते हुए मस्त ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। उनके मुहब्बत भरे इसरार पर तीनों ही दिन रज़ा लाइब्रेरी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में जाकर पूरा लुत्फ़ उठाने का मौक़ा मिला।
इसी कड़ी में एक नाम अनुज रविंद्र पाल सिंह जी(तस्वीर के मध्य) का आता है जो भारत विकास परिषद के बहुत ऊर्जावान सदस्य हैं।आप बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक हैं और कैरियर को लेकर बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों का भी मार्गदर्शन करते हैं। सिंह साहब भी बहुत ही विनम्र और संजीदा इंसान है।बातचीत में उन्होंने बताया कि अच्छे साहित्य में उनकी गहन रुचि है और अब तक मुंशी प्रेमचंद के कई उपन्यास पढ़ चुके हैं।रविंद्र जी डॉक्टर कुमार विश्वास के भी बड़े फैन हैं।
इस कड़ी में भारत विकास परिषद के तीसरे वरिष्ठ साथी आदरणीय उमेश कुमार रस्तौगी साहब हैं जिन्हें प्यार से सब पहलवान साहब कहते हैं।आप कलेक्ट्रेट रामपुर से सेवानिवृत्त हुए हैं और जीवन की इस पारी को भी बड़े मस्तमौला ढंग से गुज़ार रहे हैं, ईश्वर उन्हें दीर्घायु प्रदान करें।पहलवान साहब बहुत व्यवहार कुशल हैं और समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं। हर जगह पूरे रोब-दाब के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में दक्ष हैं। आपकी ऊर्जा भी नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है।इन तीनों लोगों के साथ लाइब्रेरी के कार्यक्रमों का आनंद लेना एक अविस्मरणीय अनुभव रहा।
  कार्यक्रम में मुशायरे वाले दिन जब हम लोग क़िले में प्रवेश करने ही वाले थे कि इस मुशायरे में आमंत्रित मशहूर 
तंज़-ओ-मज़ाह के शायर मुहतरम पॉपुलर मेरठी साहब अपने दो साथियों के साथ कार्यक्रम स्थल की ओर जाते हुए मिल गए। वरिष्ठ साथी श्री प्रशांत जी ने उन्हें पहचानकर अदब से सलाम ठोका और उनकी हास्य व्यंग्य की रचनाओं की बहुत तारीफ़ की।हम लोग भी उनसे गर्मजोशी के साथ मिले। उन्होंने हमारे साथ मुस्कुराते हुए तस्वीर भी खिंचवा ली।
पॉपुलर मेरठी साहब का यह शेर शायद आपको हँसने पर मजबूर करे :
     एक बीवी कई साले हैं ख़ुदा ख़ैर करे,

    खाल सब खींचने वाले हैं ख़ुदा ख़ैर करे।

             --- पॉपुलर मेरठी 


किसी मशहूर शायर का यह शेर अपने इन दिलचस्प दोस्तों की नज़र करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं :
       कितने हसीन लोग थे जो मिलके एक बार,
        आँखों में जज़्ब हो गए, दिल में समा गए।
                 ------ अज्ञात
प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक
साहित्यकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर 


October 10, 2023

हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली का साहित्यकार समागम

प्रणाम मित्रो 🙏🙏🌹🌹

प्रोत्साहन प्रतिसाद 
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हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली द्वारा हिंदुस्तान भर के ग़ज़लकारों से ग़ज़लें आमंत्रित किए जाने पर मैंने भी अपनी कुछ ग़ज़लें भेज दी थीं। हिंदुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा चयनित ग़ज़लकारों को एक व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़कर इसके बारे में सूचित किया गया है।
बताता चलूं कि हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली द्वारा 'हिन्दुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान’ एवं 'गुलदस्ता-ए-ग़ज़ल'-नि:शुल्क पुस्तक प्रकाशन योजना हेतु अखिल भारतीय स्तर पर ग़ज़लें आमंत्रित की गई थीं जिसमें लगभग 175 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं।योजना के अंतर्गत निर्णायकों द्वारा 50 ग़ज़लकारों की श्रेष्ठ 2-2 रचनाओं का चयन किया गया जिनमें मेरा नाम भी सम्मिलित है।
इसी क्रम में संस्था द्वारा आगामी 5 नवंबर को दिल्ली में एक भव्य समारोह में चयनित ग़ज़लकारों का सम्मान, रचना पाठ और पुस्तक का लोकार्पण भी किया जाएगा।चयनित ग़ज़लकारों को पुस्तक की एक-एक प्रति भी नि:शुल्क प्रदान की जाएगी। ग़ज़लकारों के दिल्ली में रहने और भोजन की व्यवस्था अकादमी की ओर से नि:शुल्क की जाएगी। हिंदुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा बिना किसी पारस्परिक सहयोग के ऐसा भव्य आयोजन करना निश्चित ही एक बहुत बड़ा और प्रशंसनीय क़दम कहा जाएगा।अकादमी और साहित्य सेवा को समर्पित इसके पदाधिकारियों के इन सदप्रयासों को नमन 🙏🙏

October 7, 2023

नई ग़ज़ल

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

मशहूर शायर आदरणीय श्री ओमप्रकाश नूर साहब की मुहब्बतों के चलते प्रतिष्ठित पत्रिका/अख़बार 'सदीनामा' के ताज़ा अंक में मेरी एक और ग़ज़ल छपी है जिसे प्रतिक्रिया हेतु आपके साथ साझा कर रहा हूं।उसी पृष्ठ पर प्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री देवेंद्र मांझी साहब की  ग़ज़ल भी प्रकाशित हुई है।श्री मांझी साहब को मुबारकबाद तथा 'सदीनामा' के संपादक मंडल का बहुत बहुत आभार।

नई ग़ज़ल -- --  ©️ ओंकार सिंह विवेक 
©️ 
शीशम  साखू   महुआ   चंदन  पीपल   देते हैं,
कैसी-कैसी  ने'मत   हमको   जंगल   देते   हैं।

वर्ना सब  होते  हैं  सुख  के   ही  संगी -साथी,
दुनिया में  बस  कुछ  विपदा  में संबल देते हैं।

रस्ता  ही भटकाते  आए  हैं  वो  तो अब तक,
लोग  न  जाने  क्यों  उनके  पीछे  चल देते हैं।
©️ 
आज बना  है मानव  उनकी ही जाँ का दुश्मन,
जीवन  भर  जो  पेड़  उसे  मीठे  फल  देते हैं।

मिलती है  कितनी  तस्कीन तुम्हें क्या बतलाएँ,
आँगन  के  प्यासे पौधों  को  जब  जल देते हैं।

कब तक सब्र का बाँध न टूटे प्यासी फसलों के,
धोखा   रह-रहकर   ये   निष्ठुर  बादल  देते  हैं।

किस  दर्जा  मे'यार  गिरा  बैठे  कुछ  व्यापारी,
ब्रांड  बड़ा  बतलाकर  चीज़ें   लोकल  देते  हैं।
                       ---©️ ओंकार सिंह विवेक













October 2, 2023

आख़िरश तो तुझे भी ढलना है


नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

एक ग़ज़ल मेरे शीघ्र प्रकाश्य दूसरे ग़ज़ल संग्रह 
"कुछ मीठा कुछ खारा से"
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ज़ोर शब  का  न  कोई  चलना है,
जल्द सूरज को अब निकलना है।

ये  ही  ठहरी  गुलाब की क़िस्मत,
उसको  ख़ारों  के बीच पलना है।

ख़ुद को बदला नहीं  ज़रा  उसने,
और कहता है  जग  बदलना  है।

दूध   जितना  उसे   पिला  दीजे,
साँप  को  ज़हर  ही  उगलना है।

काश!उनकी समझ  में आ जाए,
धन कभी घूस का  न फलना है।

तोड़ना   है   ग़ुरूर   ज़ुल्मत  का,
यूँ ही  थोड़ी  दिये  को जलना है।

इतने  तेवर   दिखा  न  ऐ  सूरज,
आख़िरश तो  तुझे भी  ढलना है।
  @ ओंकार सिंह विवेक



(चित्र : गूगल से साभार)

September 26, 2023

झुमका गिरा रे! बरेली के बाज़ार में ------

प्रणाम मित्रो 🌹🌹🙏🙏


झुमका गिरा रे! बरेली के बाज़ार में, झुमका गिरा रे!
फ़िल्म "मेरा साया" का यह सुपर हिट गीत किसकी ज़बान पर चढ़कर नहीं बोलता।हम सभी जानते हैं कि यह गाना अपने ज़माने की मशहूर फ़िल्म अभिनेत्री साधना पर फिल्माया गया था।
 गाने के ये  बोल और इन पर साधना जी की दिलकश अदाकारी आज भी लोगों को दीवाना बनाए हुए है।इस गाने को सुनते ही बरेली शहर की याद आना स्वाभाविक है।
हाल ही में मैंने बरेली प्रवास के दौरान बरेली के झुमका तिराहे का भ्रमण किया तो सोचा इस तिराहे के बारे में आपके साथ भी कुछ विचार साझा किए जाएं।
इस फिल्मी गाने की मार्फत बरेली की पहचान बन चुके झुमके के नाम पर बरेली नगर के प्रवेश द्वार पर ही बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा झुमका तिराहे का निर्माण कराया गया है।यह तिराहा बहुत ही सुंदर और भव्य बनाया गया है। यह चौराहा २०० मीटर दूर से ही दिखाई देने लगता है। 
जैसे- जैसे हम इसके पास आते हैं इसे निहारने और इसके साथ फोटो खिंचवाने की उत्सुकता बढ़ती जाती है।हाल ही में बॉलीवुड इंडस्ट्री के दिग्गज रणवीर सिंह और आलिया भट्ट भी अपनी नई फिल्म "रॉकी और रानी" के प्रमोशन के सिलसिले में इस तिराहे पर आए थे और झुमके के साथ अपनी फोटो खिंचवाकर तथा यहां प्रशंसकों से मिलकर इस झुमका शहर बरेली के लोगों को अपनी शुभकामनाएं दी थीं।
प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यहां स्थापित किए गए विशाल झुमके को पीतल और तांबे से बनाया गया है।झुमके की ऊंचाई लगभग १८ फीट है तथा भार लगभग २०० किलो अर्थात २ क्विंटल है।इस तिराहे को बनाने में लगभग १८ लाख रुपए की लागत आई है।
नेशनल हाईवे २४ पर स्थित इस तिराहे से एक रोड लखनऊ की और जाती है तो दूसरी  दिल्ली की तरफ़ जाती है।तीसरा रास्ता सीधे बरेली नगर की तरफ़ जाता है।चूंकि यह तिराहा नेशनल हाइवे पर बना हुआ है सो इस रास्ते से गुज़रते हर यात्री की नज़र इस पर पड़ती है इसलिए हर कोई यहां रुककर झुमके को पास से देखना चाहता है। अत: यहां हमेशा खूब चहल-पहल रहती है।
आपका जब कभी दिल्ली लखनऊ हाईवे पर इधर से गुज़रना हो तो झुमका तिराहे पर रुककर बरेली की पहचान इस सुंदर और विशाल झुमके को निहारना न भूलें।
   --- ओंकार सिंह विवेक 

September 13, 2023

हिंदी दिवस विशेष : सितारे हिंदी के

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏
हिंदी भाषा के सर्वत्र प्रभाव और इसके अधिकांश भारतीय प्रांतों में बोले जाने के कारण १४ सितंबर,१९४९ को स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने हिंदी को केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा अर्थात राजभाषा बनाने का निर्णय लिया था।हिंदी को राजभाषा /आधिकारिक भाषा बनवाने में हिंदी के मूर्धन्य  विद्वान व्यौहार राजेंद्र सिंह जी के नेतृत्व में काका कालेलकर,आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी तथा सेठ गोविंददास जी जैसे साहित्यकारों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इन्हीं के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप १४ सितंबर,१९४९ को हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। व्यौहार श्री राजेंद्र सिंह जी के ५०वें जन्मदिवस अर्थात १४ सितंबर,१९५३ से भारतवर्ष में प्रत्येक १४ सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का निश्चय किया गया।हिंदी देश की राजभाषा तो बन गई परंतु अभी इसे राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया जाना शेष है।देश के कई प्रांतों में अभी सरकारी कामकाज वहां की क्षेत्रीय भाषा तथा अंग्रेज़ी भाषा में ही होता है। इसलिए हिंदी भाषा को अभी राष्ट्र भाषा घोषित नहीं किया जा सका है।
हिंदी को विश्व स्तरीय पहचान दिलाने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं।इस दिशा में बहुत गंभीर और सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं जिन्हें निम्न बातों से समझा जा सकता है:
* भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर विश्व पटल पर अपना लोहा मनवाया था।
*हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अक्सर ही हिंदी में संबोधन करते हुए देखे जा सकते हैं।
*हिंदी गद्य तथा पद्य के साहित्यकार हिंदी भाषा की समृद्धि और प्रचार प्रसार में अपना निरंतर योगदान दे रहे हैं।
* देश की प्रतिष्ठित आई ए एस (Earlier ICS)परीक्षा जो पहले केवल अंग्रेज़ी माध्यम से ही आयोजित की जाती थी अब अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों ही भाषाओं में आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में हिंदी माध्यम से बैठने वाले अभ्यर्थियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।
*हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिताओं/संगोष्ठियों और हिंदी विचार गोष्ठियों आदि के आयोजन से हिंदी का सतत् प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
*हिंदी भाषा में हजारों/लाखों की संख्या में आज यू ट्यूब चैनल्स हैं जिनके मिलियंस सब्सक्राइबर्स हैं।यह हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण है।
*आज हिंदी में तमाम वेबसाइट्स और ऐप्स मौजूद हैं,पॉडकास्ट ट्यूटोरियल्स उपलब्ध हैं।हिंदी ब्लॉगिंग की लोकप्रियता भी निरंतर बढ़ रही है।
*आज मंदारिन और अंग्रेज़ी के बाद हिंदी दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। 
*Google adsense भी इस बात को स्वीकार करता है कि आजकल लोग गूगल पर हिंदी में विज्ञापन और अन्य कंटेंट पढ़ना अधिक पसंद करते हैं।
*दैनिक जागरण १३सितंबर,२०२३ की रिपोर्ट के अनुसार आज दुनिया के सौ से अधिक देशों में हिंदी भाषा का प्रयोग हो रहा है।
वर्ष २०१७ से २०२२ के बीच हिंदी समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के कंटेंट का बाज़ार ६०प्रतिशत की दर से बढ़ा है। 
ये सब आंकड़े हिंदी भाषा के भविष्य को लेकर बहुत शुभ संकेत देते हैं।
आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि हम सबके सद्प्रयासों के चलते हमारे राष्ट्र की गौरव हिंदी भाषा शीघ्र ही राष्ट्र भाषा का दर्जा पाकर अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी धाक जमाने में सफल होगी।
         @
        दुनिया  में भारत के  गौरव, मान और सम्मान की,
        आओ बात करें हम अपनी, हिंदी के यशगान की।
                                    @ओंकार सिंह विवेक 
जय हिंदी 🙏🙏🌹🌹जय भारत🇮🇳🇮🇳



September 7, 2023

श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष

 मित्रो श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई 🌹🌹🙏🙏

आज ही के दिन योगेश्वर श्री कृष्ण जी ने अधर्म के समूल नाश हेतु धरा पर अवतार लिया था। योगीराज की लीलाएं जीवन जीने की कला सिखाती हैं। श्री कृष्ण के गीता में दिए गए उपदेश हमें सुख-दुःख में समभाव रखते हुए कर्म किए जाने की प्रेरणा देते हैं। आइए श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को कर्तव्य पथ पर अग्रसर होने हेतु दिए गए उपदेशों को आत्मसात करते हुए हर्षोल्लास के साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाएं।

जय श्री कृष्ण 🌹🌹🙏🙏

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर कहे गए मेरे कुछ दोहों का आनंद लीजिए :
दोहे : श्री कृष्ण जन्माष्टमी 
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         -- @ओंकार सिंह विवेक 
लिया   द्वारकाधीश  ने,जब   पावन   अवतार।
स्वत: खुल  गया  कंस  के,बंदीग्रह  का  द्वार।।

काम न आई  कंस  की, कुटिल एक भी  चाल।
हुए कृष्ण जी अवतरित,बनकर उसका काल।।

बाल  रूप  में   आ   गए, उनके   घर  भगवान।
नंद-यशोदा   गा   रहे,मिलकर   मंगल    गान।।

जिसको  सुनकर  मुग्ध थे,गाय-गोपियाँ-ग्वाल।
छेड़ो वह  धुन आज  फिर ,हे गिरिधर गोपाल।।
  
दुष्टों   का   कलिकाल  के, करने    को   संहार।
चक्र सुदर्शन  कृष्ण   जी, पुन: लीजिए   धार।।

कर्मयोग   से    ही   बने, मानव   सदा   महान।
यही   बताता   है   हमें, गीता   का   सद्ज्ञान।।

लेते   रहिए   नित्य प्रति, वंशीधर   का    नाम।
बन   जाएंगे    आपके, सारे    बिगड़े    काम।।
                              @ओंकार सिंह विवेक

(चित्र : गूगल से साभार)

   

September 3, 2023

🇮🇳🇮🇳एक देशभक्ति गीत 🇮🇳🇮🇳

नमस्कार मित्रो🌹🌹🙏🙏


आज दो अंतरों के एक देशभक्ति दोहा गीत का आनंद लीजिए :
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हम भारत के वीर हैं, अलग हमारी शान।
कम होने  देंगे नहीं,कभी  देश का मान।।

    आँख उठाएगा अगर, दुश्मन इसकी ओर।
    नहीं  मिलेगा  देखने,उसको अगला भोर।।

मिट जाएगी विश्व के, नक्शे से पहचान।
कम होने देंगे नहीं --------

     बड़ी- बड़ी उपलब्धियां, बड़े- बड़े हैं काम।
     शांति और सदभाव  का, देता  है पैग़ाम।।

जग में फिर क्यों हो नहीं, भारत का गुणगान।।
कम होने देंगे नहीं -------
        @ओंकार सिंह विवेक 


August 31, 2023

लाल को खाना-कमाना आ गया

कई दिन बाद एक मुकम्मल ग़ज़ल दोस्तों की नज़्र
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झुग्गियों  का  हक़ दबाना आ  गया,
कोठियों को  ज़ुल्म ढाना  आ गया।

लग  रहा  है  खेत  की  मुस्कान  से, 
धान  की  बाली में  दाना  आ गया।

दूधिया ख़ुश  है कि बेटे को भी अब, 
दूध  में   पानी  मिलाना  आ   गया।

साफ़गोई   की   इलाही   ख़ैर    हो, 
चापलूसों  का   ज़माना  आ   गया।

चाहिए अब और  क्या  माँ-बाप को,    
लाल को  खाना-कमाना  आ  गया।

वो   सभी  रौनक   हुए  दरबार   की,   
हाँ में  जिनको सर हिलाना आ गया।

रोज़   रोगी   सांस   के    बढ़ने  लगे,               
गाँव  में   क्या  कारखाना आ  गया।

करते-करते मश्क़,मिसरे पर 'विवेक',
हमको भी मिसरा  लगाना  आ गया।
          @ओंकार सिंह विवेक 

August 23, 2023

चंद्रयान-3 की आज होगी चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग

140 करोड़ भारत वासियों के सीने उस समय गर्व से चौड़े हो जाएंगे जब आज शाम छः बजकर चार मिनट पर भारत के चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर उतरेंगे।इतना ही नहीं भारत विश्व का ऐसा पहला देश बन जाएगा जिसका यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेगा।आज तक केवल अमेरिका,सोवियत संघ (रूस) और चीन के ही लैंडर चंद्रमा पर उतरे हैं।इस श्रेणी में अब भारत चौथा देश बन जाएगा।
आइए आज शाम हम सब देश वासी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनें, इसी मंगल कामना के साथ :
140 करोड़ भारत वासियों की ओर से 👇👇

आज चंदा पे हम,
रख ही देंगे क़दम।
@ओंकार सिंह विवेक 
  चित्र : (गूगल से साभार) 

August 4, 2023

मंडोली रेस्टोरेंट दुर्ग (छत्तीसगढ़)


         मंडोली रेस्टोरेंट दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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हाल ही में कुछ पारिवारिक कारणों से छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर और इसके नज़दीक के नगरों दुर्ग तथा भिलाई आदि जाना हुआ।
यह हमारी पहली छत्तीसगढ़ यात्रा थी।लगभग चार दिन के प्रवास के दौरान हम दुर्ग में होटल "द एवलॉन" में रुके।यह होटल रेलवे स्टेशन से लगभग ५०० मीटर की दूरी पर मालवीय नगर चौक के पास एक प्राइम लोकेशन पर स्थित है।होटल सुविधाओं और सजावट की दृष्टि काफ़ी अच्छा है।
पहले दिन देर रात को पहुंचने के कारण हम लोग काफ़ी थके हुए थे अत: खाना होटल में ही ऑर्डर किया।खाना ठीक था परंतु जैसा कि होटलों में होता है,यह अपेक्षाकृत मंहगा था।

 चूंकि हमें कई दिन वहां रुकना था अत: अगले दिन  आसपास थोड़े सस्ते और ठीक-ठाक घर जैसा खाना परोसने वाले होटल की तलाश शुरू की।इस काम में हम जल्दी ही कामयाब भी हो गए जब हमें मालवीय नगर चौक पर ही मंडोली के नाम से एक छोटा किंतु बहुत व्यवस्थित और 
साफ़-सुथरा होटल मिल गया।दो दिन हमने वहीं भोजन किया।यह होटल एक परिवार द्वारा चलाया जा रहा है।होटल स्वामी ,उनकी पत्नी तथा पुत्र बड़े प्रेम से इस रेस्टोरेंट को चला रहे हैं।
    (मंडोली रेस्टोरेंट के स्वामी की धर्म पत्नी जी और होटल कर्मचारियों के साथ हम पति-पत्नी)

मंडोली की किचिन में घर के लोगों के साथ अधिकांश व्यवहार कुशल महिला कर्मचारी ही काम करते हैं। हम जब भी इस होटल में खाना खाने गए अक्सर वहां काफ़ी लोगों को खाना खाते हुए देखा।किसी पूरे परिवार का स्वयं प्यार से खाना बनाकर ग्राहकों को आत्मीयता के साथ सर्व करना हमें  बहुत प्रभावित कर गया।नॉर्थ इंडियन सात्विक थाली के साथ-साथ ये लोग साउथ इंडियन और चाय,पोहा और नाश्ते में पराठा आदि सब कुछ सर्व करते हैं।इनकी घरेलू नॉर्मल थाली और स्पेशल थाली अन्य होटलों की थाली से अपेक्षाकृत कम रेट पर उपलब्ध है। संदर्भ हेतु होटल का मेन्यू नीचे दिया है :
मंडोली भोजनालय की नॉर्मल /साधारण थाली में एक दाल,दो सब्ज़ी,चटनी,सलाद,चुपड़ी हुई चार तवा रोटी तथा चावल सम्मिलित होते हैं।चावल न लेने पर ये लोग दो रोटी अतिरिक्त देते हैं जो हमारे लिए बहुत ज़रूरी भी था क्योंकि हम लोग चावल कम पसंद करते हैं।होटल में यहां के अधिकांश लोगों को हमने चावल ही खाते देखा।इसके पीछे एक कारण यह भी है कि छत्तीसगढ़ को भारत का Rice Bowl भी कहा जाता है क्योंकि यहां चावल/धान बहुत अधिक मात्रा में पैदा होता है।
खाना तो पैसे देकर किसी भी होटल में खाया जा सकता था परंतु खाने के साथ इस रेस्टोरेंट को चलाने वाले परिवार से जो आत्मीयता हमें प्राप्त हुई वह दिल को छू गई।प्रसंगवश मुझे किसी शायर का यह शेर याद आ गया :
     कितने हसीन लोग थे जो मिलके एक बार,
     आँखों में  जज़्ब हो गए दिल में समा गए।
खाना खाने के बाद रेस्टोरेंट स्वामी और उनकी पत्नी से काफ़ी बातें हुईं।देश-प्रदेश और राजनीति को लेकर भी वार्तालाप हुआ। यह परिवार हमें देश-प्रदेश और समाज की चिंता करने वाला काफ़ी जागरूक परिवार लगा।बातों ही बातों में हमने उनसे कहा कि कल हमें वापस जाना है।हम चाहते हैं कि रास्ते के लिए खाना आपके होटल से ही पैक कराकर ले जाएँ।उन्होंने कहा कि होटल में पूरा खाना तो ११ बजे के बाद ही ठीक से तैयार हो पाता है परंतु फिर भी यदि आप कहें तो हम लोग कोशिश करके आपके स्टेशन जाने से पहले ही पराठे तैयार करके दही ,चटनी आदि के साथ पैक कर देंगे। हमने सहर्ष स्वीकृति दे दी। हमारी ट्रेन अगले दिन ११ बजे की थी।
अगले दिन सुबह जब हम साढ़े नौ बजे पहुंचे तो होटल स्वामी जी की पत्नी जल्दी-जल्दी हमारे लिए देशी घी के परांठे,आलू की सब्ज़ी तथा दही और चटनी आदि तैयार कराकर पैक करने में लग गईं।ठीक सवा दस बजे उन्होंने हमें खाना पैक करके दे दिया और बड़े स्नेह के साथ हमें विदा भी किया साथ ही आग्रह किया कि अगली बार इधर आना हो तो हमारे रेस्टोरेंट में अवश्य आएँ।सहमति के साथ उनको प्रणाम करते हुए शीघ्र ही हम उनसे विदा ली क्योंकि ग्यारह बजे तक हमें रेलवे स्टेशन भी पहुंचना था। इस परिवार के साथ जो यादगार मुलाक़ात रही सोचा उसे इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से आपके साथ साझा किया जाए।
मेरा आप सभी स्नेही जनों से अनुरोध है कि जब कभी आपका दुर्ग (छत्तीसगढ़) जाना हो तो मालवीय नगर चौक पर इस छोटे किंतु साफ़-सुथरे और स्तरीय होटल पर घर जैसे खाने का स्वाद अवश्य लें।
प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक
साहित्यकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर

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नई ग़ज़ल!!! नई ग़ज़ल!!! नई ग़ज़ल!!!

असीम सुप्रभात मित्रो 🌷🌷🙏🙏 🌷🌱🍀🌴🍁🌸🪷🌺🌹🥀🌿🌼🌻🌾☘️💐 मेरी ग़ज़ल प्रकाशित करने के लिए आज फिर "सदीनामा" अख़बार के संपादक मं...