आज ही के दिन योगेश्वर श्री कृष्ण जी ने अधर्म के समूल नाश हेतु धरा पर अवतार लिया था। योगीराज की लीलाएं जीवन जीने की कला सिखाती हैं। श्री कृष्ण के गीता में दिए गए उपदेश हमें सुख-दुःख में समभाव रखते हुए कर्म किए जाने की प्रेरणा देते हैं। आइए श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को कर्तव्य पथ पर अग्रसर होने हेतु दिए गए उपदेशों को आत्मसात करते हुए हर्षोल्लास के साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाएं।
जय श्री कृष्ण 🌹🌹🙏🙏
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर कहे गए मेरे कुछ दोहों का आनंद लीजिए :
दोहे : श्री कृष्ण जन्माष्टमी
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-- @ओंकार सिंह विवेक
लिया द्वारकाधीश ने,जब पावन अवतार।
स्वत: खुल गया कंस के,बंदीग्रह का द्वार।।
काम न आई कंस की, कुटिल एक भी चाल।
हुए कृष्ण जी अवतरित,बनकर उसका काल।।
बाल रूप में आ गए, उनके घर भगवान।
नंद-यशोदा गा रहे,मिलकर मंगल गान।।
जिसको सुनकर मुग्ध थे,गाय-गोपियाँ-ग्वाल।
छेड़ो वह धुन आज फिर ,हे गिरिधर गोपाल।।
दुष्टों का कलिकाल के, करने को संहार।
चक्र सुदर्शन कृष्ण जी, पुन: लीजिए धार।।
कर्मयोग से ही बने, मानव सदा महान।
यही बताता है हमें, गीता का सद्ज्ञान।।
लेते रहिए नित्य प्रति, वंशीधर का नाम।
बन जाएंगे आपके, सारे बिगड़े काम।।
@ओंकार सिंह विवेक
(चित्र : गूगल से साभार)
सुंदर बोध देतीं पंक्तियाँ
ReplyDeleteआभार आदरणीया
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