January 2, 2025

कुछ दोहे घातक सर्दी के नाम!!!

देर से ही सही, कड़क सर्दी का एहसास शुरू हो गया है। जिसे ख़ून जमा देने वाली ठंड कहते हैं वह उत्तर भारत में धीरे-धीरे अपना रौद्र रूप दिखा रही है। अपना और अपनों का ख़ास ख़याल रखते हुए मौसम का आनंद लेते रहें।
लीजिए प्रस्तुत हैं मौसम के अनुसार मेरे कुछ दोहे :

सर्दी वाले दोहे 
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माह जनवरी आ   गया,ठंड  हुई   विकराल।

ऊपर  से  करने  लगा,सूरज  भी  हड़ताल।।

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बोला आँख तरेरकर, सुलगा  हुआ  अलाव।

और  कहीं  ऐ ठंड तू, दिखलाना  यह ताव।।

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खाँसी और ज़ुकाम  का,करके काम तमाम।

अदरक वाली  चाय  ने, ख़ूब कमाया नाम।।

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कल कुहरे का देखकर,दिन-भर  घातक  रूप।

कुछ पल ही छत पर रुकी,सहमी-सहमी धूप।।

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                            ©️ ओंकार सिंह विवेक 



January 1, 2025

नव वर्ष,2025 मंगलमय हो !!!

मित्रो असीम सुप्रभात 🌹🌹🙏🙏 

नूतन वर्ष आप सभी के जीवन को हर्ष और उल्लास से भर दे। गत वर्ष जो प्राप्त हुआ उसका जश्न मनाएं और जो नहीं मिला उसके दुःख को भूलकर नए उत्साह और उमंग के साथ मंज़िल तक पहुंचने के लिए सार्थक प्रयास किए जाएं।
 नए वर्ष में ब्लॉग पर पहली पोस्ट के रूप में मेरी इस ग़ज़ल का आनंद लीजिए 🌹🌹

नए साल से उम्मीद बाँधे हुए एक ग़ज़ल

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     -- ओंकार सिंह विवेक

©️

जहाँ में हर इक शख़्स ख़ुशहाल होगा,

तवक़्क़ो है अच्छा  नया  साल  होगा।

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मुहब्बत   के    हर   सू   परिंदे  उड़ेंगे,

कहीं  नफ़रतों का न अब जाल होगा।

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बढ़ेगी  न  केवल  अमीरों की  दौलत,

ग़रीबों का तबक़ा भी ख़ुशहाल होगा।

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सुगम होंगी सबके ही जीवन की राहें,

न भारी  किसी  पर  नया साल होगा।

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सलामत   रहेगी  उजाले   की  हस्ती,

अँधेरा   जहाँ  भी  है  पामाल  होगा।

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उठाएँगे   ज़िल्लत   यहाँ   झूठ  वाले,

बुलंदी  पे  सच्चों  का  इक़बाल होगा।

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न  होगा  फ़क़त  फ़ाइलों-काग़ज़ों  में,

हक़ीक़त में भी मुल्क ख़ुशहाल होगा।

          ---©️ ओंकार सिंह विवेक

                    रामपुर-उoप्रo 

   

           



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