January 8, 2025

मानव-स्वास्थ्य


             मानव-स्वास्थ्य 

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जब हम किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की बात करते हैं तो मन में प्राय: शारीरिक स्वास्थ्य का भाव ही उत्पन्न होता है।स्वास्थ्य शब्द का प्रसंग आने या चर्चा होने पर हम किसी व्यक्ति के शरीर की संरचना या उसके मोटे अथवा पतले होने की दशा तक ही सीमित हो जाते हैं।वास्तव में स्वास्थ्य शब्द अपने आप में बहुत व्यापकता लिए हुए है।व्यक्ति के सम्पूर्ण स्वास्थ्य के दो पहलू होते हैं-- पहला शारीरिक स्वास्थ्य और दूसरा मानसिक तथा आत्मिक स्वास्थ्य।किसी व्यक्ति को स्वस्थ तभी कहा जा सकता है जब वह व्यक्ति भौतिक शरीर से स्वस्थ होने के साथ ही मानसिक और आत्मिक रूप से भी पूरी तरह स्वस्थ हो। यदि कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से बहुत बलिष्ठ है परन्तु मानसिक रूप से बीमार है तो हम उसे स्वस्थ व्यक्ति की श्रेणी में नहीं रख सकते।इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति मानसिक स्तर पर सक्षम हो परन्तु  शारीरिक दृष्टि से कमज़ोर हो  तो भी हम उसे पूरी तरह  स्वस्थ नहीं कह सकते |

व्यक्ति को अपने स्थूल शरीर को स्वस्थ  रखने के लिए अच्छे  खान-पान ,व्यायाम अथवा शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है।यदि वह ऐसा नहीं करेगा तो उसका  शरीर दुर्बल हो जायेगा और उसकी प्रतिरोधक क्षमता भी शिथिल पड़ जाएगी।परिणामस्वरूप व्यक्ति शारीरिक रूप से असक्त होकर अनेक व्याधियों का शिकार हो जाएगा।इस अवस्था से बचने के लिए उसे अपने शरीर को चलाने के लिए अपनी डाइट पर ध्यान देना होगा।शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सभी मौसमी फल, सब्ज़ियां, दूध,घी या जो भी प्रकृति ने  हमें सुपाच्य  खाद्य  उपलब्ध  कराया है उसका सेवन करना चाहिए एवं किसी भी रोग से ग्रस्त होने की दशा में चिकित्सीय  परामर्श लेना चाहिए।


व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के लिए स्थूल शरीर के साथ-साथ अपने आत्मिक स्वास्थ्य की चिंता करना भी परम आवश्यक है।यदि व्यक्ति शारीरिक रूप से बलशाली है परन्तु उसकी आत्मा और मन बीमार और कमज़ोर हैं तो भी व्यक्ति का समग्र विकास संभव नहीं है। अत :व्यक्ति के लिए अपने  तन के स्वास्थ्य के साथ मन और आत्मा के स्वास्थ्य  की चिंता करना भी उतना ही आवश्यक है। जिस तरह स्थूल  शरीर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा व्यायाम और भोजन आवश्यक है उसी प्रकार मन और आत्मा के अच्छे  स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति का अच्छे लोगों की संगत में बैठना और अच्छा साहित्य पढ़ना भी अति आवश्यक है।जिस प्रकार अच्छा भोजन स्थूल शरीर की ख़ुराक है उसी प्रकार अच्छे लोगों की संगत एवं अच्छे साहित्य का पठन-पाठन व्यक्ति के मन और आत्मा की ख़ुराक है।


मन और आत्मा को स्वस्थ रखने के लिए सदैव सकारात्मक सोच,सत्संग् और अच्छे साहित्य को पढ़ते रहना अति आवश्यक है।अत: यदि व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ होगा तभी उसका चारित्रिक विकास संभव है :

            तन  तेरा  मज़बूत  हो, मन भी  हो  बलवान।

           अपने इस व्यक्तित्व को,सफल तभी तू मान।।

                                   ©️ ओंकार सिंह विवेक 



दो पहलू सेहत के 🌹🌹🌺🌺👈👈

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