देर से ही सही, कड़क सर्दी का एहसास शुरू हो गया है। जिसे ख़ून जमा देने वाली ठंड कहते हैं वह उत्तर भारत में धीरे-धीरे अपना रौद्र रूप दिखा रही है। अपना और अपनों का ख़ास ख़याल रखते हुए मौसम का आनंद लेते रहें।
लीजिए प्रस्तुत हैं मौसम के अनुसार मेरे कुछ दोहे :
सर्दी वाले दोहे
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माह जनवरी आ गया,ठंड हुई विकराल।
ऊपर से करने लगा,सूरज भी हड़ताल।।
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बोला आँख तरेरकर, सुलगा हुआ अलाव।
और कहीं ऐ ठंड तू, दिखलाना यह ताव।।
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खाँसी और ज़ुकाम का,करके काम तमाम।
अदरक वाली चाय ने, ख़ूब कमाया नाम।।
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कल कुहरे का देखकर,दिन-भर घातक रूप।
कुछ पल ही छत पर रुकी,सहमी-सहमी धूप।।
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©️ ओंकार सिंह विवेक
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 04 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार 🙏
DeleteWah, Sundar chitran
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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