रहे भारत के माथे पर इसी तहज़ीब का टीका।
गले मिलते रहें सब लोग शिकवे भूलकर सारे,
सदा सद्भावना से युक्त हो माहौल बस्ती का।
----ओंकार सिंह विवेक
🇬🇼 दोहे : होली है 🇬🇳
---ओंकार सिंह विवेक
🇬🇳
दीवाली के दीप हों , या होली के रंग,
इनका आकर्षण तभी ,जब हों प्रियतम संग।
🇬🇳
रस्म निभाने को गले , मिलते थे जो यार,
अपनेपन से वे मिले , होली अबकी बार।
🇬🇳
होली का त्योहार है , हो कुछ तो हुड़दंग,
हमसे यह कहने लगे , नीले - पीले रंग।
🇬🇳
महँगाई ने जेब को ,जब से किया उदास,
गुझिया की जाती रही,तब से सखे मिठास।
🇬🇳
----ओंकार सिंह विवेक, रामपुर
🌷मुक्तक: होली है🌷
---ओंकार सिंह विवेक
🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇳🇬🇼
रंग- अबीर- गुलाल उड़ाएँ , होली है,
गुझिया खाएँ और खिलाएँ , होली है।
बस मृदुता का भाव रखें मन के अंदर,
कटुता का हर भाव जलाएँ, होली है।
🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼🇬🇼
----ओंकार सिंह विवेक
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-03-2021) को "देख तमाशा होली का" (चर्चा अंक-4019) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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रंगों के महापर्व होली और विश्व रंग मंच दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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मुग्ध करती रंग बिखेरती रचनाएं - - शुभकामनाओं सह।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteरंगों के महापर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।