May 18, 2019

इज़हार-ए-ख़्याल

चित्र:साभार गूगल से
ग़ज़ल-ओंकार सिंह'विवेक'
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चाहे कैसी भी महफ़िल हो रास न हरगिज़ आती है,
इस दिल का क्या कीजे इसको तनहाई ही भाती है।

दिल  से  दिल के  रिश्ते कितने पाकीज़ा हैं सच्चे  हैं,
उनको मेरी हर मुश्किल की आप  ख़बर हो जाती है।

मेल  हुआ  तो है  उनमें कुछ लोगों के समझाने पर ,
देखें  अब  यह आपसदारी कितने दिन रह पाती है।

शौक  उड़ानों का  रखना कोई  इतना आसान नहीं,
पंछी  के  घायल  पंखों  की  पीड़ा यह बतलाती है।

पूछ  रहे  हो  आप  सियासत के बारे में,तो सुन लो,
यह वो शय है जो हर रोज़ मसाइल को उलझाती है।
                     ---------------ओंकार सिंह'विवेक'

May 17, 2019

फ़िक्र की परवाज़

ग़ज़ल-ओंकार सिंह'विवेक'
कभी  तो  चाहता  है  यह  बुलंदी  आसमानों   की,
कभी दिल माँग करता है मुसलसल ही ढलानों की।

अभी  भी  सैकड़ों  मज़दूर  हैं  फुटपाथ  पर  सोते,
अगरचे  बात  की  थी  आपने  सबको मकानों  की।

उसूलों  की  पज़ीरायी, वफ़ा-अख़लाक़  के  जज़्बे,
इन्हें   बतला   रहें   हैं   लोग   बातें  दास्तानों   की।

चला  आयेगा  कोई  फिर  नया इक  ज़ख्म देने को,
कमी   कब   है  ज़माने   में   हमारे  मेहरबानों  की।

नदी  को  क्या  रवानी, सोचिये  हासिल  हुयी होती,
ग़ुलामी  वो  अगर  तसलीम  कर  लेती  चटानों की।
-------------ओंकार सिंह'विवेक'
@सर्वाधिकार सुरक्षित
चित्र गूगल से साभार

May 15, 2019

माँ का साथ

डगर  का ज्ञान होता है अगर माँ साथ होती है,
सफ़र आसान होता  है अगर माँ साथ होती है।
मेरा कोई जगत में बाल बाँका कर नहीं सकता,
सदा  ह भान होता है अगर  माँ साथ होती है।
------------ओंकार सिंह विवेक

May 14, 2019

हिना

फूलों से खिलता यह घर है रची हथेली  कहती है,
सबका मन ख़ुशबू से तर है रची हथेली कहती है।
हम भी अपने मन में दीपक जला रखें उम्मीदों के,
ख़ुशियों का पावन अवसर है रची हथेली कहती है।
                      -------------ओंकार सिंह विवेक

April 29, 2019

सियासत

           ग़ज़ल
उसूलों  की  तिजारत  हो  रही है,
मुसलसल यह हिमाकत हो रही है।

इधर  हैं  झुग्गियों  में  लोग  भूखे,
उधर  महलों  में दावत हो रही  है।

जवानों की शहादत पर भी देखो,
यहाँ  हर पल सियासत हो रही है।

धरम, ईमान, तहज़ीब-ओ-तमद्दुन,
कहाँ  इनकी हिफ़ाज़त  हो रही है।

न बन पाया मैं इस दुनिया के जैसा,
तभी तो मुझ को दिक़्क़त हो रही है।
----------ओंकार सिंह 'विवेक'

April 27, 2019

बच्चों का कोना


       ग़ज़ल
मन से करिए  रोज़ पढ़ाई,
पापा  ने यह बात  बताई।

पढ़ कर  बेटा नाम करेगा,
माँ   बापू ने आस  लगाई।

टीचर  जी ने  ख़ूब  सराहा,
जब भी देखी साफ़ लिखाई।

अव्वल  दर्ज़ा  पास हुये तो,
देंगे   सारे    लोग    बधाई।

पढ़-लिखकर औरों को पढ़ायें,
होगी   जग  में   ख़ूब   बढ़ाई।

फिर अच्छा  है  सैर  सपाटा,
पहले  कर  लें  आप  पढ़ाई।

        हमारा बेटा
सबसे न्यारा सबसे प्यारा,
हम दोनों का राजदुलारा।
हम को इससे हैं आशायें,
कर देगा यह नाम हमारा।

          दोहे

बच्चों  हमको  है  सदा , ये आशा विश्वास,
बदलोगे तुम लोग ही ,दुनिया का इतिहास।

रखते हो बच्चों अगर ,तुम मंज़िल की चाह,
चुन  लो  अपने  वासते,  सच्चाई  की  राह।
            --------------ओंकार सिंह'विवेक'

April 26, 2019

नरेंद्र भाई मोदी : जन्म तिथि विशेष


मित्रो नमस्कार 🙏🙏🌹🌹

अगर मैं कहूं कि वर्षों या दशकों बाद देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो व्यक्तिगत स्वार्थ और वोटों की राजनीति न करके सिर्फ़ राष्ट्रहित की बात को आगे रखकर देश की बागडौर संभाले हुए है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
यदि वोटों और सत्ता का लालच होता तो मोदी जी द्वारा नोटबंदी या जी एस टी जैसे कठोर निर्णय न लिए गए होते।
धारा-३७० को  ख़त्म करने की बात हो या फिर एन आर सी अथवा नए कृषि क़ानून सभी निर्णय देश के हित और विकास को ध्यान में रखकर लिए गए।
आईए देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्य रखने के लिए निरंतर प्रयासरत देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्म दिवस के अवसर पर उनके दीर्घायु होने की कामना करें।

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी
के जन्म दिवस पर विशेष 
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©️
जग  में  धाक   जमाने    वाले   मोदी  भाई हैं,
देश  का  मान   बढ़ाने   वाले   मोदी   भाई हैं।

भारत  माँ  की और  जो  कोई आँख उठाएगा,
उसकी  नींद   उड़ाने    वाले   मोदी  भाई   हैं।

बनती है पहचान अलग, कुछ हट कर करने से,
सब   को   यह  बतलाने  वाले  मोदी  भाई  हैं।
©️
दुनिया  में  चर्चित-ताक़तवर  सब  नेताओं को,
अपना    यार   बनाने    वाले   मोदी  भाई  हैं।

कहते  हैं   यह  बात  हमेशा  घोर    विरोधी भी,
हर  उलझन  सुलझाने    वाले,  मोदी  भाई   हैं।

सारी  दुनिया  में  भारत  की अपने  कौशल  से,
जय  जयकार   कराने    वाले   मोदी  भाई   हैं।
               --- ©️ओंकार सिंह'विवेक'
                       सर्वाधिकार सुरक्षित
(चित्र : गूगल से साभार)

April 24, 2019

माँ

ग़ज़ल-ओंकार सिंह विवेक
दूर रंज-ओ-अलम और सदमात हैं,
माँ है तो खुशनुमां घर के हालात हैं।

सब मुसलसल उसी को सताते रहे,
यह न सोचा कि माँ के भी जज़्बात हैं।

दुख ही दुख वो उठाती है सब के लिये,
माँ के हिस्से में कब सुख के लम्हात हैं।

लौट  भी  आ मेरे  लाल  परदेस  से,
मुंतज़िर माँ की आँखें ये दिन रात हैं।

चूमती  है  जो मंज़िल ये  मेरे  क़दम,
यह तो माँ की दुआओं के असरात हैं।

बाल बाँका मेरा कौन कर पायेगा,
माँ के जब तक दुआ में उठे हाथ हैं।
---------ओंकार सिंह'विवेक'

April 23, 2019

हमने भी मतदान किया

जिस तरह हर  देश में  शासन को चलाने की एक निर्धारित  व्यवस्था होती है उसी प्रकार शासकों के चुनाव की भी विश्व के अलग-अलग देशों में अलग-अलग प्रणालियाँ होती हैं |अधिकांश प्रजातांत्रिक देशों में जनता द्वारा सीधे वोटिंग के द्वारा शासकों और जन प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है|

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहाँ जनता द्वारा सीधे वोटिंग के माध्यम से जन प्रतिनिधियों और शासकों का चुनाव किया जाता है।यह एक पारदर्शी चुनाव पद्धति है तथा इस प्रणाली से सांसदों/विधायकों के चुनाव में एक-एक वोट अथवा मत का बहुत महत्त्व होता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अच्छी तरह सोच समझकर अपने वोट के संवैधानिक अधिकार का आवश्यक रूप से इस्तेमाल करना चाहिए।इस दौर में नैतिक मूल्यों में निरंतर गिरावट देखने को मिल रही है। लोग मूल्यों और सिद्धांतों को ताक पर रखकर छल,कपट और अवसरवादी राजनीति करने में लगे हुए हैं।राजनीति की यह दशा देखकर इस बार मन में यह विचार आया कि ऐसे स्वार्थी और अवसरवादी लोगों को वोट देने से तो अच्छा है कि वोट दिया ही न जाये।परन्तु अगले ही पल एक जागरूक नागरिक होने के नाते अपने दायित्व का एहसास भी हुआ और मन ने यह कहा कि ऐसा करके भी तू किसका भला करेगा। देश और समाज की चिंता करने वाले अन्य लोग भी यदि तेरी तरह ही सोचकर वोट करने नहीं निकलेंगे तो इससे कोई अच्छा सन्देश नहीं जायेगा और एक बड़ा वर्ग जो देश और समाज की बेहतरी चाहता है अच्छे लोगों को अपने वोट से चुनकर संसद में भेजने से स्वयं को वंचित कर लेगा जो किसी भी दशा में अच्छा नहीं है।जब हमारे देश में जन प्रतिनिधियों  को चुनने की एक मात्र यही प्रक्रिया है तो फिर और कोई विकल्प भी नहीं रह जाता है।अत: अपने मत/वोट का उपयोग न करना कोई बुद्धिमत्ता पूर्ण कार्य नहीं होगा।
आम तौर पर लोगों का यह मानना है कि अब ऐसे अच्छे लोग हैं ही नहीं जिन्हें चुनकर संसद में भेजा जाये।अगर इस बात को मान भी लिया जाये तो भी हमारा यह दायित्व बनता है कि हम बुरे या ख़राब लोगों में से ही कुछ ऐसे लोगों को चुनना तय करें जो उन बुरे लोगों में से कुछ कम बुरे हैं क्योंकि इसके अलावा कोई और  चारा भी तो नहीं है।इन्हीं सब तथ्यों को सोचकर अनेक अंतर्द्वंदों से दो-चार होता हुआ मन इस नतीजे पर पहुँचा कि मतदान करना चाहिए और यदि सभी उम्मीदवार बुरे हैं तो उनमे से सबसे कम बुरे लोगों को चुनने के लिए हर आदमी को वोट करना चाहिए।यही सोचकर मैंने अपनी धर्म पत्नी के साथ प्रात: 7.30 बजे ही पोलिंग बूथ पर पहुँच कर अपने मत/वोट का प्रयोग करके लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी हिस्सेदारी और ज़िम्मेदारी पूरी की।धर्म पत्नी भी वोट देकर बहुत ख़ुश नज़र आयीं | शायद उन्हें भी संविधान द्वारा दिए गए अपने वोट देने के अधिकार का प्रयोग करके गर्व महसूस हो रहा था।होता भी क्यों नहीं , आख़िर हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के एक ज़िम्मेदार नागरिक के तौर पर अपने मताधिकार का प्रयोग करके जो आ रहे थे।

पोलिंग बूथ से बाहर निकलकर घर आते हुए रास्ते में  कवि मन में कुछ दोहों का सृजन हुआ --  
               
               रखने को  निज देश के,लोकतंत्र  का  मान।
               जाकर पहले  बूथ पर, करना  है  मतदान।।

               रखने को  निज  देश के, लोकतंत्र का मान।
               छोड़-छाड़कर काम सब,करना है मतदान।।

               रखने को  निज देश  के,लोकतंत्र का  मान।
               आओ  प्यारे  साथियो,कर  आएँ  मतदान।।

               रखने को निज देश के, लोकतंत्र का मान।
                घर-घर जाकर बोल दें,करना है मतदान।।

                रखने को निज देश के, लोकतंत्र का मान।
                हर वोटर का लक्ष्य हो,करना  है मतदान।।
                             ---- ©️ ओंकार सिंह विवेक

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