October 31, 2024
🪔🪔प्यार के दीप जलाएँ कि अब दिवाली है🪔🪔
October 25, 2024
साहित्यकार महेश राही जयंती समारोह
महफ़िलों का नूर थे शृंगार थे
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साहित्यकार महेश राही जी की 90 वीं जयंती पर हुआ भव्य कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह
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कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के पूजन तथा स्मृति शेष राही जी की छवि के समक्ष पुष्प अर्पित करने के उपरांत डॉo प्रीति अग्रवाल की सरस्वती वंदना से हुआ।
कवि ओंकार सिंह विवेक ने राही जी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा--
महफ़िलों का नूर थे, शृंगार थे,
सबकी चाहत थे सभी का प्यार थे।
जानते हैं जिनको 'राही' नाम से,
वो अदब के इक बड़े फ़नकार थे।
प्रदीप माहिर ने अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति कुछ इस तरह दी--
धूप में दिन भर जली है,
तब कहीं कोशिश फली है।
भेड़िए सब एकजुट हैं,
सामने एक लाडली है।
राजवीर सिंह राज़ ने कहा --
साथ में चल रही है दुआ आपकी,
मुस्तक़िल फल रही है दुआ आपकी।
डॉo निलय सक्सैना ने अपनी भाव अभिव्यक्ति कुछ यों दी --
बह चलूंगी बांसुरी की तान बनकर,
तुम कभी जो सांस का आधार दोगे।
सुरेन्द्र अश्क रामपुरी ने कहा :
कज़ा अब हर किसी की सेज पर है,
ये दुनिया आख़िरी स्टेज पर है।
सचिन सार्थक ने कहा :
अभी एकांत एकाकी कहां है,
अभी तो देह मेरा स्वर यहीं हैं।
प्रवासी था पखेरू उड़ गया है,
मगर टूटे हुए कुछ पर यहीं हैं।
कवि शिवकुमार चन्दन ने कहा
अंजनी दुलारे लाल करैं नित्य प्रतिपाल,
राम नाम के रसिक आनंद लुटाते हैं ।
इनके अतिरिक्त अनमोल रागिनी चुनमुन, सुधाकर सिंह, डॉo प्रीति अग्रवाल, पतराम सिंह, सुमित सिंह, पूनम दीक्षित, रवि प्रकाश, रामकिशोर वर्मा, धीरेन्द्र सक्सैना, जितेन्द्र नंदा तथा विनोद शर्मा आदि कवियों ने भी अपनी सुंदर और सामयिक रचनाओं के माध्यम से देर रात तक श्रोताओं को बांधे रखा।
साहित्यकार रवि प्रकाश ने 'सहकारी युग' समाचार पत्र में छपे उनके उपन्यास 'डोलती नैया' के बारे में विस्तार से बताया।नीलम गुप्ता ने कहा कि राही जी एक साहित्यकार होने के साथ ही सबके सुख-दुःख में काम आने वाले नेक इंसान थे। महर्षि विद्या मंदिर इंटर कॉलेज की रिटायर्ड प्रिंसिपल जय हिंद आर्य ने कहा कि राही जी उनके संरक्षक और एक सच्चे मार्गदर्शक थे।
श्री दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि जब मैंने ज़िला बाल विज्ञान कांग्रेस समन्वयक के तौर पर रामपुर में कार्य शुरू किया था तो राही जी ने ही उस काम को आगे बढ़ाने में मेरी मदद की थी।
राही जी के सुपुत्रों अक्षय रस्तौगी तथा संजय रस्तौगी ने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि पिताजी ने हमें सदैव ईमानदारी के पथ पर चलते हुए जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। संजय रस्तौगी ने अपने पिता श्री की पुस्तक के एक अंश का पाठ भी किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ज्ञान मंदिर पुस्तकालय के अध्यक्ष सुरेश चंद्र अग्रवाल ने की तथा मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार शिव कुमार चन्दन जी रहे। प्रवेश रस्तौगी जी तथा भारत विकास परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र गुप्ता जी कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।मंचासीन सभी अतिथियों ने राही जी का स्मरण करते हुए उनके साहित्यिक अवदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कार्यक्रम के अंत में मंचासीन अतिथियों द्वारा साहित्यकारों तथा अन्य मेहमानों को स्मृति चिह्न तथा उपहार आदि देकर सम्मानित किया गया।
अंत में कार्यक्रम के आयोजक संजय रस्तौगी ने सभी के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में भारत विकास परिषद के जगन्नाथ चावला,माधव गुप्ता ,विकास पांडे, सतीश भटिया, प्रशांत गुप्ता आदि के साथ परिजनों सहित राजीव कुमार अग्रवाल, मुकेश आर्य ,नवीन पाण्डे, दिनेश रस्तौगी , दिलीप रस्तौगी, सुरेश रस्तौगी तथा अनमोल कुमार अनुज आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का सफल संचालन साहित्यकार ओंकार सिंह विवेक द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम की प्रतिष्ठित समाचार पत्रों द्वारा सुंदर कवरेज की गई जिसके लिए उनका हार्दिक साधुवाद एवं आभार 🌹🌹🙏🙏
प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/साहित्य समीक्षक/कॉन्टेंट राइटर/टेक्स्ट ब्लॉगर
October 23, 2024
कथाकार/उपन्यासकार स्मृतिशेष महेश राही जी
कथाकार/उपन्यासकार स्मृतिशेष महेश 'राही' जी
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बिछड़ा कुछ इस अदा से कि ऋतु ही बदल गई,
इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया।
प्रसिद्ध शायर ख़ालिद शरीफ़ साहब का ऊपर कोट किया हुआ शेर स्मृतिशेष साहित्यकार महेश राही जी की शख़्सियत को बख़ूबी बयान करता है। रामपुर की साहित्यिक सभाएँ,अदब की तमाम महफ़िलें तथा प्रसिद्द ज्ञान मंदिर पुस्तकालय आदि सभी में राही जी के न होने से आज एक ख़ालीपन-सा महसूस होता है।उन दिनों रामपुर में होने वाले लगभग सभी साहित्यिक आयोजनों में राही जी की सक्रिय सहभागिता होती थी।नए लोगों को प्रोत्साहित करना, हर एक से आत्मीयता से मिलना और सबको साथ लेकर चलना राही जी की विशेषता थी। यही कारण है कि वे साहित्य जगत में सबके प्रिय रहे।
महेश चंद्र रस्तौगी उर्फ़ महेश राही जी एक सिद्धहस्त कहानीकार तथा उपन्यासकार थे।आपका जन्म 24 अक्टूबर,1934 को जनपद बदायूँ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।आप जनपद रामपुर के कलेक्ट्रेट से वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी पद से वर्ष 1994 में सेवा निवृत्त हुए तथा 14 नवंबर,2015 को आपने इस नश्वर संसार से विदा ली।
स्मृतिशेष महेश राही जी के कहानी संग्रहों 'धुंध और धूल', 'आख़िरी जवाब' तथा 'कारगिल के फूल' ने साहित्य जगत में उनकी ख़ूब पहचान बनाई। उनके कहानी संग्रह 'कारगिल के फूल' को पढ़कर राष्ट्र प्रेम की भावना हृदय में बलवती होती है। राही जी के कहानी संग्रह 'आख़िरी जवाब' ने उन्हें रातों-रात साहित्य जगत में चर्चित कर दिया था। आपातकाल के दौरान उनका यह कहानी संग्रह काफ़ी विवादों में रहा।उनके उपन्यास 'तपस' में राष्ट्रीय सरोकार और सामाजिक चेतना की झलक देखने को मिलती है।यों तो राही जी मूल रूप से एक कहानीकार/उपन्यासकार थे परंतु उन्होंने कुछ कविताएं भी लिखीं जो 'स्वर' काव्य संकलन के रूप में प्रकाशित हुईं।राही जी देश भर में चले लघु पत्रिका आंदोलनों में बहुत सक्रिय रहे।
रामपुर के प्रतिष्ठित पत्रकार स्मृति शेष महेंद्र प्रसाद गुप्त जी के समाचार पत्र 'सहकारी युग' में आपका उपन्यास "डोलती नैया" सिलसिलेवार प्रकाशित हुआ।आपकी कहानियां राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका 'सारिका' तथा 'अमर उजाला' एवं 'दैनिक जागरण' आदि समाचार पत्रों में अक्सर छपती रहती थीं।स्वर्गीय महेश राही जी ने स्क्रीन प्ले राइटिंग में भी हाथ आज़माया। प्रसिद्ध साहित्यकार श्री मूल चंद गौतम जी द्वारा निकाली जाने वाली प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका "परिवेश" का सह संपादन भी राही जी ने किया। राही जी रामपुर के प्रसिद्ध साहित्यकार स्मृतिशेष डॉक्टर छोटे लाल शर्मा नागेंद्र जी द्वारा निकाली जाने वाली साहित्यिक पत्रिका "विश्वास" के संरक्षक भी रहे।
निःसंदेह राही जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। साहित्यकार/अदीब कभी मरता नहीं है।वह अपनी रचनाओं के माध्यम से सदैव समाज में ज़िंदा रहता है। राही जी अपनी श्रेष्ठ साहित्यिक कृतियों के माध्यम से आज भी हम सबके बीच विद्यमान हैं।
मेरा 1990 के दशक में स्मृतिशेष राही जी से काफ़ी संपर्क रहा।कई बार गोष्ठियों/साहित्यिक कार्यक्रमों में उनके साथ सहभागिता की। काफ़ी समय तक मैं परिवार सहित रामपुर सिविल लाइंस की एकता विहार कॉलोनी में रहा जहां राही जी अपने छोटे पुत्र अक्षय रस्तौगी के साथ रहा करते थे।उनके साथ कई बार मॉर्निंग वॉक पर जाते हुए साहित्यिक परिचर्चा होती रहती थी।वहां उन्होंने अपने घर कवि गोष्ठी भी आयोजित की थी जिसकी स्मृतियां मेरे मस्तिष्क में आज भी ताज़ा हैं।
राही जी की 90 वीं जयंती पर उनकी स्मृतियों को ताज़ा करने के लिए उनके सुपुत्र श्री संजय रस्तौगी तथा अक्षय रस्तौगी एक साहित्यिक परिचर्चा तथा कवि गोष्ठी का आयोजन कर रहे हैं जो गौरव और हर्ष का विषय है। मैं इस अवसर पर स्मृतिशेष राही जी को विनम्र श्रद्धांजलि 🌹 🌹 🙏🙏अर्पित करते हुए एक मशहूर शायर के इस शेर के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं :
मौत उसकी है ज़माना करे जिसका अफ़सोस,
यूँ तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिए।
प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक
साहित्यकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/टैक्स्ट ब्लॉगर
राही जी की स्मृति में उनके सुपुत्र श्री संजय रस्तौगी जी द्वारा कराए गए भव्य साहित्यिक कार्यक्रम की सम्मानित समाचार पत्रों द्वारा व्यापक कवरेज की गई।हम सम्मानित अख़बारों का दिल से आभार प्रकट करते हैं।
October 16, 2024
किसी के तंज़ का नश्तर चुभा है
ये दिल यूँ ही नहीं ज़ख़्मी हुआ है,
किसी के तंज़ का नश्तर चुभा है।
किसे ला'नत-मलामत भेजते हो,
अरे! वो आदमी चिकना घड़ा है।
वो नादाँ ही है जो दरिया के आगे,
समुंदर प्यास का लेकर खड़ा है।
कहा है ख़ार के जैसा किसी ने,
किसी ने ज़ीस्त को गुल-सा कहा है।
उसे धमका रहा है रोज़ कोहरा,
ये कैसा वक़्त सूरज पर पड़ा है।
समझ में आ तो जाती बात मेरी,
मगर वो चापलूसों से घिरा है।
कहाँ तुमको नगर में वो मिलेगी,
मियाँ!जो गाँव की आब-ओ-हवा है।
©️ ओंकार सिंह विवेक
October 15, 2024
हाय यह कैसा मानव !
बस्ती में लागू हुआ,जंगल का क़ानून।।
जंगल का क़ानून,मनुजता है नित रोती।
फिर भी चिंता हाय,किसी को तनिक न होती।।
कर्मों से जो आज,हुए जाते हैं दानव।
कैसे बोलो मित्र, उन्हें हम कह दें मानव।।
©️ ओंकार सिंह विवेक
October 7, 2024
कुओं-तालों में अब पानी नहीं है
कुओं-तालों में अब पानी नहीं है,
नदी में भी वो तुग़्यानी नहीं है।
सभी के ज़ख्मों पर रखना है मरहम,
किसी को चोट पहुँचानी नहीं है।
दुखों में भी ये कहते थे पिता जी,
मुझे कुछ दुख-परेशानी नहीं है।
करे जो ज्ञान पर अभिमान अपने,
वो कुछ भी हो मगर ज्ञानी नहीं है।
ख़ुदा-रा ख़त्म हो ये दौर इसमें,
उसूलों की निगहबानी नहीं है।
चुनावी घोषणा ठहरी चुनावी,
'अमल में वो कभी आनी नहीं है।
अलग हों शे'र में मिसरों की बहरें,
ग़ज़ल में इतनी आसानी नहीं है।
©️ ओंकार सिंह विवेकOctober 1, 2024
जय अपनी हिन्दी, जय प्यारी हिन्दी
September 27, 2024
प्रथमा यू पी ग्रामीण बैंक सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण समिति की विशाल आम सभा मुरादाबाद में संपन्न
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मित्रो प्रणाम 🙏🙏 आपको यह बताते हुए हर्ष की अनुभूति हो रही है कि अंजुमन प्रकाशन गृह प्रयागराज द्वारा प्रेषित सूचना के अनुसार ...
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(प्रथमा यू पी ग्रामीण बैंक सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष श्री अनिल कुमार तोमर जी एवं महासचिव श्री इरफ़ान आलम जी) मित्रो संग...
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बहुुुत कम लोग ऐसे होते हैैं जिनको अपनी रुचि के अनुुुसार जॉब मिलता है।अक्सर देेखने में आता है कि लोगो को अपनी रुचि से मेल न खाते...
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शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏 संगठन में ही शक्ति निहित होती है यह बात हम बाल्यकाल से ही एक नीति कथा के माध्यम से जानते-पढ़ते और सीखते आ रहे हैं...