महफ़िलों का नूर थे शृंगार थे
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साहित्यकार महेश राही जी की 90 वीं जयंती पर हुआ भव्य कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह
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कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के पूजन तथा स्मृति शेष राही जी की छवि के समक्ष पुष्प अर्पित करने के उपरांत डॉo प्रीति अग्रवाल की सरस्वती वंदना से हुआ।
कवि ओंकार सिंह विवेक ने राही जी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा--
महफ़िलों का नूर थे, शृंगार थे,
सबकी चाहत थे सभी का प्यार थे।
जानते हैं जिनको 'राही' नाम से,
वो अदब के इक बड़े फ़नकार थे।
प्रदीप माहिर ने अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति कुछ इस तरह दी--
धूप में दिन भर जली है,
तब कहीं कोशिश फली है।
भेड़िए सब एकजुट हैं,
सामने एक लाडली है।
राजवीर सिंह राज़ ने कहा --
साथ में चल रही है दुआ आपकी,
मुस्तक़िल फल रही है दुआ आपकी।
डॉo निलय सक्सैना ने अपनी भाव अभिव्यक्ति कुछ यों दी --
बह चलूंगी बांसुरी की तान बनकर,
तुम कभी जो सांस का आधार दोगे।
सुरेन्द्र अश्क रामपुरी ने कहा :
कज़ा अब हर किसी की सेज पर है,
ये दुनिया आख़िरी स्टेज पर है।
सचिन सार्थक ने कहा :
अभी एकांत एकाकी कहां है,
अभी तो देह मेरा स्वर यहीं हैं।
प्रवासी था पखेरू उड़ गया है,
मगर टूटे हुए कुछ पर यहीं हैं।
कवि शिवकुमार चन्दन ने कहा
अंजनी दुलारे लाल करैं नित्य प्रतिपाल,
राम नाम के रसिक आनंद लुटाते हैं ।
इनके अतिरिक्त अनमोल रागिनी चुनमुन, सुधाकर सिंह, डॉo प्रीति अग्रवाल, पतराम सिंह, सुमित सिंह, पूनम दीक्षित, रवि प्रकाश, रामकिशोर वर्मा, धीरेन्द्र सक्सैना, जितेन्द्र नंदा तथा विनोद शर्मा आदि कवियों ने भी अपनी सुंदर और सामयिक रचनाओं के माध्यम से देर रात तक श्रोताओं को बांधे रखा।
साहित्यकार रवि प्रकाश ने 'सहकारी युग' समाचार पत्र में छपे उनके उपन्यास 'डोलती नैया' के बारे में विस्तार से बताया।नीलम गुप्ता ने कहा कि राही जी एक साहित्यकार होने के साथ ही सबके सुख-दुःख में काम आने वाले नेक इंसान थे। महर्षि विद्या मंदिर इंटर कॉलेज की रिटायर्ड प्रिंसिपल जय हिंद आर्य ने कहा कि राही जी उनके संरक्षक और एक सच्चे मार्गदर्शक थे।
श्री दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि जब मैंने ज़िला बाल विज्ञान कांग्रेस समन्वयक के तौर पर रामपुर में कार्य शुरू किया था तो राही जी ने ही उस काम को आगे बढ़ाने में मेरी मदद की थी।
राही जी के सुपुत्रों अक्षय रस्तौगी तथा संजय रस्तौगी ने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि पिताजी ने हमें सदैव ईमानदारी के पथ पर चलते हुए जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। संजय रस्तौगी ने अपने पिता श्री की पुस्तक के एक अंश का पाठ भी किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ज्ञान मंदिर पुस्तकालय के अध्यक्ष सुरेश चंद्र अग्रवाल ने की तथा मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार शिव कुमार चन्दन जी रहे। प्रवेश रस्तौगी जी तथा भारत विकास परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र गुप्ता जी कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।मंचासीन सभी अतिथियों ने राही जी का स्मरण करते हुए उनके साहित्यिक अवदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कार्यक्रम के अंत में मंचासीन अतिथियों द्वारा साहित्यकारों तथा अन्य मेहमानों को स्मृति चिह्न तथा उपहार आदि देकर सम्मानित किया गया।
अंत में कार्यक्रम के आयोजक संजय रस्तौगी ने सभी के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में भारत विकास परिषद के जगन्नाथ चावला,माधव गुप्ता ,विकास पांडे, सतीश भटिया, प्रशांत गुप्ता आदि के साथ परिजनों सहित राजीव कुमार अग्रवाल, मुकेश आर्य ,नवीन पाण्डे, दिनेश रस्तौगी , दिलीप रस्तौगी, सुरेश रस्तौगी तथा अनमोल कुमार अनुज आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का सफल संचालन साहित्यकार ओंकार सिंह विवेक द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम की प्रतिष्ठित समाचार पत्रों द्वारा सुंदर कवरेज की गई जिसके लिए उनका हार्दिक साधुवाद एवं आभार 🌹🌹🙏🙏
प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/साहित्य समीक्षक/कॉन्टेंट राइटर/टेक्स्ट ब्लॉगर
Bahut sundar aayojan, badhai.
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
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