October 31, 2024

🪔🪔प्यार के दीप जलाएँ कि अब दिवाली है🪔🪔

सभी साथियों तथा शुभचिंतकों को दीपोत्सव की हार्दिक मंगलकामनाएं एवं बधाई 🎁🎁🌹🌹🙏🙏

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दीपावली का पर्व सबके जीवन में सुख-समृद्धि और प्रकाश लेकर आए।हम सब दीप से दीप जलाने की मुहिम को आगे बढ़ाएं।जो साधन संपन्न नहीं हैं उनकी त्योहार मनाने में जो भी बन पड़े, मदद करें। यही मानवता का सच्चा सन्देश होगा।
मुझे गत वर्ष दीपावली पर कही गई अपनी ग़ज़ल का मतला' याद आ रहा है :
    तम को नफ़रत के मिटाएँ कि अब दिवाली है,
    प्यार  के  दीप  जलाएँ  कि  अब  दिवाली  है।
                                ©️ ओंकार सिंह विवेक 
आज ही मुकम्मल हुई ताज़ा ग़ज़ल भी आपकी प्रतिक्रिया हेतु प्रस्तुत कर रहा हूं :

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©️ 
जो   मुखौटा    कहीं    उतर    जाए,
आज  का  शख़्स ख़ुद  से डर जाए।

उसका  जीना  भी   कोई  जीना  है,
जिस  बशर  का  ज़मीर  मर  जाए।

पाए   मोहन    भी    रोज़गार   यहाँ,
और  अहमद  भी  काम  पर  जाए।

ये  जो  मुझ पर  है शा'इरी का नशा,
कोई     सूरत     नहीं, उतर    जाए।

सब   में   कमियाँ   निकालने   वाले,
तेरी  ख़ुद  पर  भी   तो  नज़र जाए।

है ये कितनों की आज भी ख़्वाहिश,
तीरगी     से     चराग़    डर    जाए।

भीड़    हर    सू   है  चालबाज़ों  की,
साफ़-दिल   आदमी   किधर  जाए।
              ©️ ओंकार सिंह विवेक 

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2 comments:

  1. Behatreen, hardik badhai deepawali ki

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  2. हार्दिक आभार 🪔🪔🌹🌹🙏🙏

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