September 14, 2024
प्रथमा यू पी ग्रामीण बैंक सेवा निवृत्त कर्मचारी कल्याण समिति के दो प्रमुख आधार स्तंभ
September 7, 2024
सुख़न के रंग
अलग जीवन की रंगत हो गई है,
भलों की जब से सोहबत हो गई है।
कहा है जब से उसने साथ हूँ मैं,
हमारी दूनी ताक़त हो गई है।
तलब करने लगी अब हक़ रि'आया,
चलो इतनी तो हिम्मत हो गई है।
शिकायत कुछ नहीं हमको ग़मों से,
ग़मों को ये शिकायत हो गई है।
गुज़र कैसे करें तनख़्वाह में फिर,
उन्हें रिश्वत की जो लत हो गई है।
है जस की तस ही,लेकिन फ़ाइलों में,
ग़रीबी कब की रुख़सत हो गई है।
हमें भाये भी कैसे सिन्फ़ दूजी,
ग़ज़ल से जो मुहब्बत हो गई है।
©️ ओंकार सिंह विवेक
August 31, 2024
उनका हर 'ऐब छुप ही जाना है
रौशनी का यही निशाना है,
तीरगी को मज़ा चखाना है।
आस टूटे न क्यों युवाओं की,
शहर में मिल न कारख़ाना है।
भा गई है नगर की रंगीनी,
अब कहाँ उनको गाँव आना है।
लोग हैं वो बड़े घराने के,
उनका हर 'ऐब छुप ही जाना है।
वो सियासत में आ गए जब से,
मालो-ज़र का कहाँ ठिकाना है।
हमको हर ना-उमीद के मन में,
आस का इक दिया जलाना है।
और उम्मीद क्या करें उनसे,
हम पे इल्ज़ाम ही लगाना है।
©️ ओंकार सिंह विवेकAugust 26, 2024
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई की रंगारंग काव्यगोष्ठी
छेड़ो वह धुन आज फिर, हे ! गिरधर गोपाल
(श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर रंगारग काव्यगोष्ठी)
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भगवान विष्णु के आठवें अवतार योगीराज श्री कृष्ण के जन्म की अष्टमी का उत्साह इस समय पूरे देश में है।आम तौर से लोग दो दिन तक इस उत्सव को मनाते हैं।इस अवसर पर लोग व्रत- उपवास रखते हैं, श्री कृष्ण की लीलाओं की सुंदर झांकिया सजाते हैं।भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों तथा लोगों के द्वारा घरों में में भव्य सजावट और पूजा के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या(25अगस्त,2024)पर उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की रामपुर इकाई की एक कवि गोष्ठी सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक के आवास
सत्याविहार फेज-2 पर आयोजित की गई। काव्य गोष्ठी में अनेक उदीयमान तथा वरिष्ठ कवियों ने अवसर के अनुकूल भावपूर्ण रचनाएँ सुनाकर देर रात तक समां बांधे रखा।कार्यक्रम राजवीर सिंह राज़ की सुंदर सस्वर सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुआ। उसके पश्चात कवि पतराम सिंह ने देश प्रेम से ओतप्रोत अपनी सुंदर रचना प्रस्तुत की । उन्हें अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति पर भरपूर प्रशंसा और प्रोत्साहन मिला :
जागो भारत वीरो जागो यह समय नहीं है सोने का,
दर्पण-सा मुखड़ा चमका दो इस भारत देश सलोने का।
अपनी भावपूर्ण छंद मुक्त रचनाओं के लिए जाने जाने वाले साहित्यकार जावेद रहीम ने अपनी रचना में आसमान का सुन्दर चित्रण करते हुए कहा :
चाँद ने पहन ली ओढ़नी सितारों की,
बारात सजी है टिमटिमाते सितारों की।
सभा की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक ने श्रीमद भगवतगीता के उपदेशों की महत्ता पर अपना यह शे'र प्रस्तुत किया :
गीता के उपदेशों ने वो संशय दूर किया,
रोक रहा था जो अर्जुन को वाण चलाने से।
उन्होंने श्री कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में अपना एक दोहा भी सुनाया जिसे काफ़ी पसंद किया गया :
जिसको सुनकर मुग्ध थे, गाय गोपियाँ ग्वाल।
छेड़ो वह धुन आज फिर, हे!गिरधर गोपाल।।
सभा के ऊर्जावान और उत्साही सचिव राजवीर सिंह राज़ ने अपने दमदार तरन्नुम में एक ग़ज़ल पेश की :
तुम गए तो सोचते ही रह गए,
दरमियां क्यों फा़सले ही रह गए।
अच्छी शायरी से अपनी पहचान बनाने वाले सभा के संयोजक सुरेंद्र अश्क रामपुरी ने अपनी कई ग़ज़लें सुनाईं। उनका यह मार्मिक शे'र देखिए :
रोयी किसी की बेटी तो हम भी थे रोए ख़ूब,
हमसे तो उसकी रुख़सती देखी नहीं गई।
अपने दोहों से पहचान बनाने वाले गोष्ठी के मुख्य अतिथि राम किशोर वर्मा ने कहा :
'ठाकुर' जी का द्वार हो,या ठाकुर का द्वार।
दोनों दर तब पहुँचता, हो जाता लाचार।।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि शिवकुमार चंदन ने कन्हैया से कुछ इस प्रकार विनती की
जग की कुटिलता से चंदन व्यथित आज,
द्वार पे हो ठाड़ो कान्हा, आय के बचाय दे।
सूक्ष्म जलपान के बाद कार्यक्रम के समापन पर संयोजक सुरेन्द्र अश्क रामपुरी द्वारा सभी का आभार प्रकट किया गया।
गोष्ठी का संचालन स्थानीय इकाई के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक तथा सचिव राजवीर सिंह राज़ ने संयुक्त रूप से किया।
--- ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक
अध्यक्ष उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई
कार्यक्रम की दैनिक जागरण,शाह टाइम्स समाचार पत्रों द्वारा सुंदर कवरेज के लिए हार्दिक आभार 🙏🙏 👇👇
August 23, 2024
जनसरोकार
August 19, 2024
रूखी-सूखी खानी है
August 11, 2024
चिंतन के बहु रंग
August 5, 2024
करें साथियो आज कुछ, दोहों में संवाद
August 4, 2024
लीजिए पेश है फिर एक ------
July 30, 2024
"कुछ मीठा कुछ खारा" से
July 25, 2024
नवोदय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था(पंजीo)लखनऊ की काव्य गोष्ठी
July 21, 2024
मुलाक़ात हसीन लोगों से (कड़ी--2)
कि जिन से मिलिए तो तन्हाई ख़त्म होती है।
---- इफ़्तिख़ार शफी
(ग़ाज़ियाबाद निवासी आदरणीय मान सिंह बघेल साहब और उनके परिजनों के साथ सपत्नीक कुछ सुखद क्षण बिताने का अवसर मिला)
ऊपर कोट किया गया शेर जिन लोगों के बारे में सिर्फ़ "सुना है" कहता है हम तो ऐसे लोगों से साक्षात मिलकर आए। उन लोगों से मिलकर जब हमारी तन्हाई ख़त्म हुई तो इस शेर की गहराई समझ में आई।
जी हां, मैं बात कर रहा हूं आदरणीय मान सिंह बघेल साहब और उनके परिजनों की।उन लोगों से यों तो पहली बार मिलना हुआ परंतु जिस आत्मीयता और सादा-दिली से वे लोग मिले उससे लगा ही नहीं कि हम उनसे पहली बार मिल रहें हैं। वरिष्ठ साहित्यकार श्री बघेल साहब से मेरा परिचय साहित्यिक व्हाट्सएप ग्रुप पल्लव काव्य मंच रामपुर, उत्तर प्रदेश के माध्यम से हुआ।बघेल साहब यदा कदा वहां अपनी रचनाएँ पोस्ट करते हैं और दूसरे लोगों की रचनाओं पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएं भी व्यक्त करते रहते हैं।मां शारदे ने आपको बहुत ही मधुर कंठ प्रदान किया है।आप अक्सर ही मेरी तथा अन्य साहित्यकारों की रचनाएँ पसंद आने पर कभी-कभी रचनाओं के ऑडियो तथा वीडियो बनाकर साहित्यिक समूहों में पोस्ट करते रहते हैं तथा मुझे व्यक्तिगत व्हाट्सएप पर भी भेजते रहते हैं। मैं बघेल साहब की सदाशयता को नमन करता हूं।बघेल साहब से प्रायः फ़ोन पर ही बात होती थी परंतु कल दिल्ली से रामपुर लौटते हुए ग़ाज़ियाबाद चिरंजीव विहार में उनसे उनके दौलत ख़ाने पर मिलने का संयोग बना।
बातचीत के बीच ही परिजन चाय-नाश्ता तैयार करके ले आए।सबने प्रेमपूर्वक बातचीत करते हुए नाश्ता किया। श्री बघेल साहब की धर्मपत्नी,पुत्र वधु,बेटे तथा एक प्यारे से पोते से काफ़ी देर तक आत्मीय वार्तालाप हुआ।जब हमने उनसे रुख़सती लेनी चाही तो बघेल साहब बोले कि आप बिना खाना खाए भला कैसे जा सकते हैं।हम पति-पत्नी ने उन्हें काफ़ी समझाया कि हम लोग खाना खाकर आए हैं और अब शाम को घर जाकर ही खाना खाएँगे पर वे कहां मानने वाले थे।उन्होंने कहा कि ठीक है खाना न सही कुछ हल्का-फुल्का तो ज़रूर खाकर जाएंगे और उन्होंने अपनी धर्मपत्नी तथा पुत्रवधू से कहा कि आप लोग डोसा बनाइए। हमने बघेल साहब के ड्राइंग रूम में बैठकर गरमा-गरम डोसा खाया और दशहरी आमों का लुत्फ़ लिया।इस परिवार की मेहमान नवाज़ी और अपनेपन ने हमें बहुत प्रभावित किया।
बघेल साहब के पुत्र, जो टेक महिंद्रा कंपनी में कार्यरत है,ने हमारी कुछ तस्वीरें लीं और उसमें अपने तकनीकी हुनर का तड़का भी लगाया। वे सभी तस्वीरें आपके अवलोकनार्थ यहां साझा की गई हैं।इस परिवार के साथ समय बिताकर बहुत आनंद की अनुभूति हुई।घंटों उन लोगों के साथ अच्छा समय बिताकर घर की राह ली।
मेरी ईश्वर से यही कामना है कि बघेल साहब का परिवार यों ही हंसता-मुस्कुराता रहे।इस शेर के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी,
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी।
----- शाइर बशीर बद्र
(प्रस्तुति:ओंकार सिंह विवेक)
आoबघेल साहब द्वारा गाई गई मेरी एक ग़ज़ल 👈👈
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बहुुुत कम लोग ऐसे होते हैैं जिनको अपनी रुचि के अनुुुसार जॉब मिलता है।अक्सर देेखने में आता है कि लोगो को अपनी रुचि से मेल न खाते...
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शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏 संगठन में ही शक्ति निहित होती है यह बात हम बाल्यकाल से ही एक नीति कथा के माध्यम से जानते-पढ़ते और सीखते आ रहे हैं...