छेड़ो वह धुन आज फिर, हे ! गिरधर गोपाल
(श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर रंगारग काव्यगोष्ठी)
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भगवान विष्णु के आठवें अवतार योगीराज श्री कृष्ण के जन्म की अष्टमी का उत्साह इस समय पूरे देश में है।आम तौर से लोग दो दिन तक इस उत्सव को मनाते हैं।इस अवसर पर लोग व्रत- उपवास रखते हैं, श्री कृष्ण की लीलाओं की सुंदर झांकिया सजाते हैं।भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों तथा लोगों के द्वारा घरों में में भव्य सजावट और पूजा के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या(25अगस्त,2024)पर उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की रामपुर इकाई की एक कवि गोष्ठी सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक के आवास
सत्याविहार फेज-2 पर आयोजित की गई। काव्य गोष्ठी में अनेक उदीयमान तथा वरिष्ठ कवियों ने अवसर के अनुकूल भावपूर्ण रचनाएँ सुनाकर देर रात तक समां बांधे रखा।कार्यक्रम राजवीर सिंह राज़ की सुंदर सस्वर सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुआ। उसके पश्चात कवि पतराम सिंह ने देश प्रेम से ओतप्रोत अपनी सुंदर रचना प्रस्तुत की । उन्हें अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति पर भरपूर प्रशंसा और प्रोत्साहन मिला :
जागो भारत वीरो जागो यह समय नहीं है सोने का,
दर्पण-सा मुखड़ा चमका दो इस भारत देश सलोने का।
अपनी भावपूर्ण छंद मुक्त रचनाओं के लिए जाने जाने वाले साहित्यकार जावेद रहीम ने अपनी रचना में आसमान का सुन्दर चित्रण करते हुए कहा :
चाँद ने पहन ली ओढ़नी सितारों की,
बारात सजी है टिमटिमाते सितारों की।
सभा की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक ने श्रीमद भगवतगीता के उपदेशों की महत्ता पर अपना यह शे'र प्रस्तुत किया :
गीता के उपदेशों ने वो संशय दूर किया,
रोक रहा था जो अर्जुन को वाण चलाने से।
उन्होंने श्री कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में अपना एक दोहा भी सुनाया जिसे काफ़ी पसंद किया गया :
जिसको सुनकर मुग्ध थे, गाय गोपियाँ ग्वाल।
छेड़ो वह धुन आज फिर, हे!गिरधर गोपाल।।
सभा के ऊर्जावान और उत्साही सचिव राजवीर सिंह राज़ ने अपने दमदार तरन्नुम में एक ग़ज़ल पेश की :
तुम गए तो सोचते ही रह गए,
दरमियां क्यों फा़सले ही रह गए।
अच्छी शायरी से अपनी पहचान बनाने वाले सभा के संयोजक सुरेंद्र अश्क रामपुरी ने अपनी कई ग़ज़लें सुनाईं। उनका यह मार्मिक शे'र देखिए :
रोयी किसी की बेटी तो हम भी थे रोए ख़ूब,
हमसे तो उसकी रुख़सती देखी नहीं गई।
अपने दोहों से पहचान बनाने वाले गोष्ठी के मुख्य अतिथि राम किशोर वर्मा ने कहा :
'ठाकुर' जी का द्वार हो,या ठाकुर का द्वार।
दोनों दर तब पहुँचता, हो जाता लाचार।।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि शिवकुमार चंदन ने कन्हैया से कुछ इस प्रकार विनती की
जग की कुटिलता से चंदन व्यथित आज,
द्वार पे हो ठाड़ो कान्हा, आय के बचाय दे।
सूक्ष्म जलपान के बाद कार्यक्रम के समापन पर संयोजक सुरेन्द्र अश्क रामपुरी द्वारा सभी का आभार प्रकट किया गया।
गोष्ठी का संचालन स्थानीय इकाई के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक तथा सचिव राजवीर सिंह राज़ ने संयुक्त रूप से किया।
--- ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक
अध्यक्ष उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई
कार्यक्रम की दैनिक जागरण,शाह टाइम्स समाचार पत्रों द्वारा सुंदर कवरेज के लिए हार्दिक आभार 🙏🙏 👇👇
कृष्ण जन्माष्टमी पर शुभकामनाएँ, सुंदर आयोजन
ReplyDeleteआभार आदरणीया। आपको भी पर्व की अशेष मंगलकामनाएं 🙏🙏
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