December 11, 2024
ज्ञान 'गीता' का
December 7, 2024
हाज़िरी नई ग़ज़ल के साथ
पुत्री कोआशीर्वाद देने हेतु रामपुर नगर (उत्तर प्रदेश) के कई प्रसिद्ध कविगण तथा शा'इर उपस्थित हुए।सभी का मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूं 🌹🌹🙏🙏
लीजिए पेश है मेरी नई ग़ज़ल
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©️
जो मुखौटा कहीं उतर जाए,
आज का शख़्स ख़ुद से डर जाए।
उसका जीना भी कोई जीना है,
जिस बशर का ज़मीर मर जाए।
पाए मोहन भी रोज़गार यहाँ,
और अहमद भी काम पर जाए।
ये जो मुझ पर है शा'इरी का नशा,
कोई सूरत नहीं, उतर जाए।
सब में कमियाँ निकालने वाले,
तेरी ख़ुद पर भी तो नज़र जाए।
कितनों की आज भी ये ख़्वाहिश है,
तीरगी से चराग़ डर जाए।
भीड़ हर सू है चालबाज़ों की,
साफ़-दिल आदमी किधर जाए।
©️ ओंकार सिंह विवेक
लड़ेगा हवा से दिया जानते हैं 🌹🌹👈👈
December 5, 2024
अपनों के बहाने !
कुंडलिया छंद
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©️
आहत कैसे हो नहीं, यह दिल बारंबार।
अपने ही जब नित करें,घातक शब्द-प्रहार।।
घातक शब्द-प्रहार, हुआ है मुश्किल जीना।
जीवन का सुख-चैन,आज अपनों ने छीना।
करो कृपा हे ईश! तनिक हो जाए राहत।
अपनों के कटु शब्द,करें अब और न आहत।।
©️ ओंकार सिंह विवेक
Foundation year celebration of Rampur Raza Library and Museum 👈👈
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