अगर व्यक्ति को हताशा, निराशा और आत्मबल में कमी का आभास हो तो पवित्र ग्रंथ 'गीता' का पाठ अवश्य करना चाहिए। गीता में जीवन में आने वाली तमाम परेशानियों और दुविधाओं का हल बहुत ही व्यवहारिक ढंग से समझाया गया है। इसमें सत्य मार्ग पर चलते हुए बिना फल की इच्छा किए कर्म करते रहने की शिक्षा दी गई है। सांसारिक बंधनों में जकड़ा व्यक्ति जब दुविधाओं के भंवर में फंसता है तो यह पवित्र ग्रंथ उसे रास्ता दिखाता है।गीता हमें अधर्म और अनीति छोड़कर सत्य के साथ नीति मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।हम सब जानते हैं कि कुरुक्षेत्र के मैदान में अपनों को सामने देखकर अर्जुन को युद्ध से विरक्ति उत्पन्न हुई थी तो योगेश्वर श्री कृष्ण के गीता में दिए गए दिव्य ज्ञान ने ही उन्हें कर्तव्य का बोध कराया था। प्रसंगवश मुझे अपनी एक ग़ज़ल का यह शेर याद आ गया : 'गीता' के उपदेशों ने वो संशय दूर किया,
रोक रहा था जो अर्जुन को वाण चलाने से।
©️ ओंकार सिंह विवेक
हाल ही में मेरी एक ताज़ा ग़ज़ल कोलकता से प्रकाशित होने वाले प्रतिष्ठित अख़बार 'सदीनामा' में छपी।आप भी उसका आनंद लीजिए।मेरे साथ ही आदरणीय गिरीश अश्क साहब की भी उम्दा ग़ज़ल छपी है। मैं उनको भी एक अच्छी ग़ज़ल के लिए तहे दिल से मुबारकबाद देता हूं।
Bahut sundar
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 12 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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हार्दिक आभार आपका ।
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