October 21, 2022

पुस्तक समीक्षा : छंदमेध

मित्रो नमस्कार🙏🙏🌹🌹

आज आपके सम्मुख आदरणीया मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की काव्य कृति 'छंदमेधा' की समीक्षा लेकर हाज़िर हूं। प्रतिक्रिया से अवश्य ही अवगत कराएं।

पुस्तक    :    छंदमेधा
रचनाकार :    मीना भट्ट सिद्धार्थ
समीक्षक  :   ओंकार सिंह विवेक
पृष्ठ संख्या :  100
प्रकाशक   :  साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली 

श्रीमती मीना भट्ट सिद्धार्थ,जबलपुर (मध्य प्रदेश) की एक वरिष्ठ साहित्यकार हैं।आप ज़िला जज के ओहदे से रिटायर होने के बाद साहित्य और समाज सेवा के कार्यों में निमग्न हैं।मीना जी साहित्य की लगभग सभी विधाओं यथा लघुकथा/गीत/ग़ज़ल/अन्य विविध हिंदी छंदों में श्रेष्ठ सृजन के लिए जानी जाती हैं। आपकी अब तक कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। पहली पुस्तक 'पंचतंत्र में नारी' वर्ष 2016 में प्रकाशित हुई थी।हाल ही में आपकी एक और किताब ई-फॉर्म में 'छंदमेध' के नाम से आई है।इस पुस्तक को साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा नि:शुल्क छापा गया है।पुस्तक को मीना जी ने अपने दिवंगत पुत्र सिद्धार्थ को समर्पित किया है।

छंद एक पुरातन ज्ञान है।यति, गति और लय छंद के तीन प्रमुख गुण हैं।इनके योग से ही छंद का सृजन होता है। मीना जी की इस काव्य कृति में हिंदी भाषा के विविध सनातनी छंदों में प्रेम, करुणा और भक्ति भाव से ओतप्रोत रचनाएँ देखने को मिलती हैं। मैं निश्चित रूप से यह कह सकता हूं कि श्रीमती मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की यह काव्य कृति हिंदी का संवर्धन करके उसका गौरव और मान बढ़ाएगी।
इस पुस्तक की अधिकांश रचनाएँ पढ़कर मैंने उन पर चिंतन और मनन भी किया है। समीक्षा में सभी का उल्लेख तो नहीं किया जा सकता। हां,कुछ रचनाओं के चुनिंदा अंश अवश्य आपके साथ साझा करना चाहूंगा ताकि आपको मीना जी के चिंतन की गहराई का अनुमान हो सके।

पुस्तक के प्रारंभ में ही वर्णिक छंद सिंहनाद में मीना जी ने ईश स्मरण की महत्ता को किस सुंदरता के साथ अभिव्यक्ति किया है, देखिए :
        प्रभु नाम धाम सुखकारी,
        भजते सदैव वनवारी।
       नित आस है मिलन जानो,
       प्रिय वास है ह्रदय मानो।
रचनाकार चीज़ों को एक ख़ास नज़र से देखता है।उसका सोच सत्य और नैतिकता को काव्य रूप में अभिव्यक्त करने के लिए हमेशा व्याकुल रहता है। मीना जी ने गजपति छंद में सत्य की सत्ता की स्थापना की कामना कितने सुंदर शब्दों में की है,देखें :
          अटल सत्य चमके,
           सहज देख दमके।
           भ्रमित झूठ भटके,
            नयन देख खटके।

नि:संदेह झूठ को भटकना चाहिए और सत्य की सत्ता स्थापित होनी ही चाहिए।मीना जी की इस कृति में ऊपर उल्लिखित छंदों के अतिरिक्त हिंदी के अन्य विभिन्न छंदों यथा भृंग,दीपक,राजरमणीय, कामदा,सुमति तथा मनहरण आदि में हमें प्रेम, करुणा और भक्ति भाव की मार्मिक अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। एक स्थान पर शिष्या छंद में मां दुर्गा की शानदार स्तुति देखिए :
      मां की मीठी वाणी है,
      दुर्गा तो कल्याणी है।
      अम्बे है मां काली भी,
      माता जोता वाली भी।
एक कवि का ह्रदय भी अथाह सागर के समान होता है।उसमें प्रेम, करुणा और भक्ति आदि भावों के अनेक रत्न छुपे होते हैं। मीना जी के ह्रदय-सागर के प्रेम भाव का प्रमाणिका छंद का एक मोती देखिए :
            उदास में निहारती,
           पिया तुम्हें पुकारती।
           वसंत की उमंग है,
           बजे पिया मृदंग है।
मीना जी की सभी छंदबद्ध रचनाएँ ह्रदय को छूती हैं। कविता की सार्थकता भी तभी है जब वह सीधे आदमी के दिल में उतर जाए और उसे आह या वाह करने के लिए विवश कर दे।पुस्तक में संकलित सभी रचनाओं की भाषा बहुत ही सहज और सरल है।भाव, कथ्य और शिल्प का अच्छा संयोजन है।एक और अच्छी बात इस पुस्तक की यह है कि इसमें हर छंदबद्ध रचना से पूर्व उसका पूरा विधान तथा मापनी आदि अंकित है जो आम तौर पर काव्य पुस्तकों में देखने को नहीं मिलती।पुस्तक को बहुत ही आकर्षक ढंग से डिज़ाइन किया गया है जिसके लिए संपादक मंडल बधाई का पात्र है।
मैं यही कामना करता हूं कि श्रीमती मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की यह काव्य कृति साहित्य जगत में बड़े स्नेह से पढ़ी और सराही जाए।
    धन्यवाद!!!

स्थान : रामपुर                                 ओंकार सिंह विवेक 
दिनांक : 21अक्टूबर,2022       ग़ज़लकार/समीक्षक/ब्लॉगर






12 comments:

  1. धन्यवाद।आभार

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (22-10-2022) को "आ रही दीपावली" (चर्चा अंक-4588) पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    Replies
    1. आभार आदरणीय। ज़रूर 🙏🙏

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  3. छंद की महत्ता को जन सामान्य तक पहुँचाने के लिए मीना जी को बधाई, सार्थक समीक्षा

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  4. छंद की महत्ता को रेखांकित करने के लिए आदरणीया मीना जी को बधाई और आपका आभार इस जानकारी को हम तक पहुँचाने के लिए।
    आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं

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    Replies
    1. आभार आदरणीया 🙏🙏
      आपको भी दीपोत्सव की सपरिवार हार्दिक बधाई।

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  5. सुन्दर समीक्षा । छन्दों के महत्व को जन सामान्य तक पहुँचाने के लिए आपका व मीना जी का बहुत बहुत आभार । दीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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    1. आभार आदरणीया। आपको भी पर्व की अशेष शुभकामनाएं।

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