आजकल दिल्ली विधान सभा चुनाव से पहले दिल्ली में जो कुछ चल रहा है उसको लेकर जो मनस्थिति बनी उसमें कुछ दोहों का सृजन हुआ। दोहे आपकी 'अदालत में पेश हैं :
कुछ दोहे वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य को लेकर
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कहने को कहते रहें,कुछ भी आप जनाब।
'गठबंधन' की गाँठ है,खुलने को बेताब।।
'झाड़ू' को खलने लगा,'पंजे' का व्यवहार।
आख़िर कब तक हो नहीं,आपस में तकरार।।
'पंजे' से तो हैं बहुत, 'दीदी' भी नाराज़।
फिर कैसे सुर में बजे,'गठबंधन' का साज़।।
'झाड़ू', 'पंजे' में अगर,नहीं बनेगी बात।
चढ़ पाएगी किस तरह,दिल्ली में बारात।।
©️ ओंकार सिंह विवेक
(चित्र गूगल से साभार)
Behatreen
ReplyDeleteShukriya
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