November 27, 2023

इज़हारे-ख़याल : एक तरही ग़ज़ल

शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏

कई दिनों बाद एक तरही ग़ज़ल सृजित हुई है।आपकी प्रतिक्रियाओं हेतु प्रस्तुत कर रहा हूं:

मिसरा'-ए-तरह 👉 मैनें खुद से भी दोस्ती की है
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ग़ज़ल -- ओंकार सिंह विवेक 
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सब  ख़ता  इसमें  आदमी की है,
साँस उखड़ी जो  ये  नदी  की है।

वो जो  सच  की  दुहाई  देता था,
झूठ   की   उसने  पैरवी  की  है।

धूप का  क्यों  न  ख़ैर मक़्दम हो,   
ठंड  भी  तो  ये  जनवरी  की  है। 
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ताड़  तिल  का  बना  के  छोड़ेगा,
जैसी फ़ितरत उस आदमी की है।

हौसले  को  सलाम  है   गुल   के,
एक   पत्थर   से   दोस्ती  की  है।      

फूल-फल  ही  नहीं  दिए  केवल,
छाँव  भी   पेड़  ने   घनी  की है।

जो  ग़ज़ल  हम  सुना रहे हैं तुम्हें,
बस मुकम्मल अभी-अभी की है।
          @ओंकार सिंह विवेक

November 23, 2023

पल्लव काव्य मंच रामपुर (उoप्रo)का शारदीय काव्य महोत्सव

नमस्कार मित्रो 🌹🙏

साहित्यकार अपने सृजन से समाज,देश और दुनिया को जोड़ने की बात करता है। साहित्यकार का ज़ात-बिरादरी और देशों की सीमाबंदियों से कोई सरोकार नहीं होता। वह अपने विराट चिंतन और जन कल्याणकारी सृजन से देश और दुनिया को दिशा देने का पुनीत कार्य करता है।कुछ ऐसा ही विश्वव्यापी सद्भावना का संदेश लेकर विराटनगर नेपाल से दो वरिष्ठ साहित्यकार अपनी धर्म पत्नियों के साथ रामपुर पधारे।
नेपाली तथा हिंदी भाषाओं के इन वरिष्ठ साहित्यकारों डॉक्टर घनश्याम परिश्रमी जी तथा डॉक्टर देवी पंथी जी के सम्मान में पल्लव काव्य मंच रामपुर द्वारा शानदार शारदीय काव्य महोत्सव का आयोजन किया गया।२२ नवंबर,२०२३ को माया देवी धर्मशाला रामपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में विदेशी तथा स्थानीय साहित्यकारों के साथ पड़ोस के नगरों संभल और बहजोई के साहित्यकारों ने भी सहभागिता की।
कार्यक्रम के पहले चरण का शुभारंभ पूर्व में त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमाण्डू, नेपाल में सेवारत रह चुके इन दो साहित्यकारों के सम्मान में शानदार कवि सम्मेलन
से हुआ।
कविता पाठ करते हुए सम्भल से पधारे व्यंग्य कवि अतुल शर्मा ने कहा- भ्रष्टाचारी दम भरते हैं सत्ता के प्रभावों में/लोकतंत्र फिर बिक जाता है औने-पौने भावों में।
राजीव शर्मा ने कहा- रामपुर की खास निशानी चाकू मेरा नाम/इसी शहर में बनता हूँ मैं यही मेरी पहचान। 
कविता पाठ करते हुए पँवासा के ज्ञानप्रकाश उपाध्याय ने कहा- खून की हर बूँद से लिख देंगे हिंदुस्तान/तुझपे समर्पित मेरा दिल मेरी जान। 
पल्लव काव्य मंच के उपाध्यक्ष ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक ने तंज कसते हुए कहा- लुत्फ़ क्या आएगा शराफ़त में/आप अब आ गये सियासत में। 
अध्यक्ष शिव कुमार चन्दन ने कहा-चल पड़ी अनवरत फिर चली हर नदी/पहले गन्तव्य से कब रुकी हर नदी। 
बहजोई से कवि दीपक गोस्वामी चिराग ने बेटियों को नसीहत करते हुए कहा- मात-पिता के प्रेम का रख गौरैया मोल/धरती के भगवान हैं मात-पिता अनमोल। 
रश्मि चौधरी ने कहा- कुछ बोझ दिल से उतारा जाए/उसे एक बार फिर पुकारा जाए। 
शायर प्रदीप राजपूत माहिर ने कहा- आपका साथ ही जब मयस्सर नहीं/ये मुक़द्दर तो कोई मुक़द्दर नहीं। 
कवि सचिन सार्थक ने कहा-प्यार खामोशियाँ प्यार है बोलना/प्यार काँधों पे सिर रख के है डोलना। 
शायर अश्क रामपुरी ने फरमाया- आँधियों का का दम निकाला जाएगा/ अब दिए में ख़ून डाला जाएगा। 
विनोद शर्मा ने मानवता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा-जहाँ इंसानियत की रौशनी हो/वहीं काबा है अपना सर झुका लो।  
अनमोल रागिनी ने कहा- मत देना कर्तव्य है मतदाता अधिकार/मत देने से ही बने लोकतंत्र सरकार। 
डॉo प्रीति अग्रवाल ने कहा- पैसा है बहुमूल्य रखना इसका मान/बिन पैसे पाता नहीं कोई भी सम्मान।
विराटनगर नेपाल से आये डॉ देवी पंथी ने कहा- झूम के सावन आया देखो तो/बादल ने पानी बरसाया देखो तो।
 लुम्बिनी प्रदेश नेपाल से डॉ घनश्याम परिश्रमी ने कहा- कविता अरुणोदय की लाली/कविता बनती पूजन थाली।
 डॉ देवी पंथी ने नेपाल में ग़ज़ल के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालते हुए वहां इस विधा के तेज़ी से लोकप्रिय होने का भी ज़िक्र किया।
 डॉ घनश्याम परिश्रमी ने नेपाल में हिन्दी और नेपाली भाषा के सह-अस्तित्व और विकास से अवगत कराया।
नेपाल से ही आयीं राधिका पंथी और राधा न्यौपाने ने भी अपना काव्यपाठ प्रस्तुत किया। 
कार्यक्रम के अंत में नेपाल एवं बाहर से आये साहित्यकारों को शॉल, प्रशस्ति पत्र तथा स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर सीताराम शर्मा, हरीश सक्सेना, गोविंद शर्मा, सुनील वैश्य, रामसागर शर्मा, जावेद रहीम, नवीन पाण्डे, राजवीर सिंह राज़, अशोक सक्सेना, हरीश सक्सेना आदि उपस्थित रहे। संचालन महासचिव प्रदीप राजपूत माहिर ने किया।
कार्यक्रम की स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा सुंदर कवरेज के लिए पल्लव काव्य मंच रामपुर उनका हार्दिक आभार प्रकट करता है।

प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर

November 15, 2023

त्योहार के बहाने

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपों का त्योहार दीपावली आया और चला गया। कुछ बस्तियों में ख़ूब धूम-धड़ाका हुआ।कुछ घरों में हज़ारों की आतिशबाज़ी आई और स्वाहा कर दी गई। अमीरों के यहाँ मिठाइयों/ड्राई फ्रूट्स और गिफ्ट्स के जमकर आदान-प्रदान हुए।
.        (चित्र : गूगल से साभार) 
दूसरी तरफ़ कुछ बस्तियों में वो धूम-धड़ाका या उत्साह का माहौल देखने को नहीं मिला जो होना चाहिए था। निर्धन फुटपाथ पर फड़ लगाकर सामान ही बेचते रहे ताकि दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर सकें।
समाज में इस आर्थिक क्षमता या परचेसिंग पॉवर में हद दर्जे की असमानता/असंतुलन को देखकर ह्रदय बहुत व्यथित हुआ।इसके पीछे संसाधनों का असमान वितरण/अभाव, सामाजिक स्तर/सामाजिक विसंगति या अर्थशास्त्र के तमाम तर्क हो सकते हैं जिन पर बुद्धिजीवी लंबी बहसें कर सकते हैं।
.      (चित्र : गूगल से साभार)
तथ्य और कारण कोई भी हों परंतु दीपावली पर जब एक तरफ़ भरपूर मस्ती और एक तरफ़ मायूसी देखी तो कवि मन से दो दोहे सृजित हुए जो आप सभी के साथ साझा कर रहा हूं :
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महलों में ही बँट गया,सब का  सब उजियार।
झोपड़ियों में रह गया,फिर वह ही अँधियार।।

सजने  दो  जिनके  लिए, सजें हाट - बाज़ार।
अपनी  तो  है  जेब  पर, भारी  हर  त्योहार।।
               @ओंकार सिंह विवेक 

November 7, 2023

हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली का काव्य प्रतिभा सम्मान समारोह ,2023

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏


हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली का पुस्तक विमोचन और 
ग़ज़लकार सम्मान समारोह,2023
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 स्व वित्तपोषित संस्था हिंदुस्तानी भाषा अकादमी दिल्ली द्वारा 5 नवंबर, 2023 को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केंद्र में ग़ज़ल संग्रह "गुलदस्ता-ए-ग़ज़ल" का विमोचन, ग़ज़लकार सम्मान तथा पुस्तक में चयनित ग़ज़लकारों के ग़ज़ल पाठ का एक शानदार कार्यक्रम आयोजित किया गया।
मशहूर उस्ताद शायर सीमाब सुल्तानपुरी जी ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की और 'गुलदस्ता-ए-गज़ल' साझा ग़ज़ल-संग्रह को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ग़ज़ल-गुरु श्री देवेंद्र मांझी जी मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन रहे। विशेष अतिथि के रूप में सर्वभाषा ट्रस्ट के निदेशक डॉ. केशव मोहन पांडे इस समारोह में शामिल थे।
बताते चलें कि ग़ज़ल संग्रह हेतु लगभग 170 से 175 ग़ज़लकारों ने अपनी रचनाएँ प्रेषित की थीं जिनमें से 50 ग़ज़लकारों की दो-दो श्रेष्ठ ग़ज़लों का चयन किया गया था।सौभाग्य से मुझे भी इस संग्रह में छपने का अवसर प्राप्त हुआ।
समारोह में मेरठ के वरिष्ठ साहित्यकार श्री बृजराज किशोर 'राहगीर' को हिंदुस्तानी भाषा काव्य प्रतिभा सम्मान -2023 प्रदान करने के साथ ही पुस्तक में छपे अन्य श्रेष्ठ ग़ज़लकारों को भी  सम्मानित किया गया।यह सम्मान उन्हें ग़ज़ल विधा के उस्ताद शायर श्री देवेंद्र मांझी एवं सीमाब  सुल्तानपुरी जी द्वारा प्रदान किए गए। 
सभी चयनित रचनाकारों को मिले सम्मान विशेष है क्योंकि यह एक पारदर्शी और पूर्ण निष्पक्ष प्रक्रिया के बाद प्रदान किए गए हैं।
 अकादमी द्वारा इससे पूर्व में साहित्य की गीत विधा पर यह सम्मान दिया गया था। 
 कार्यक्रम में अकादमी के अध्यक्ष श्री सुधाकर पाठक ने अकादमी की कार्यपद्धति और इसकी भावी योजनाओं के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम का सफल संचालन संस्था की कार्यकारिणी के सदस्य- सुश्री संजय गरिमा, डा.सोनिया अरोड़ा और समन्वयक विनोद पाराशर जी ने किया।
भारतीय भाषाओं के उन्नयन एवं संवर्धन को समर्पित संस्था 'हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के इस पुनीत कार्य की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है।समारोह में देश भर से आए हुए श्रेष्ठ ग़ज़लकारों से मिलने का अनुभव बहुत सुखद रहा।
कार्यक्रम में आमंत्रित तथा सम्मानित करने के लिए मैं अकादमी के प्रमुख श्री सुधाकर पाठक जी तथा श्री विनोद पाराशर जी का ह्रदय से आभार प्रकट करता हूं 🙏🙏
 --- ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर





November 1, 2023

(यादगार लमहे)भाई प्रदीप पचौरी का सेवा निवृत्ति समारोह

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३० अक्टूबर,२०२३ को रात लगभग आठ बजे भाई प्रदीप पचौरी जी का फोन आया कि कल मैं बैंक-सेवा से निवृत्ति प्राप्त कर रहा हूं।इस अवसर पर मैंने बैंक के साथियों के लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया है जिसमें आप सादर आमंत्रित हैं। मैंने उन्हें जीवन की अगली पारी के लिए शुभकामना देते हुए सहर्ष आने की स्वीकृति दी।
अगले दिन दोपहर में पुन: भाई पचौरी जी और प्रथमा यू पी ग्रामीण बैंक की मुख्य शाखा के क्षेत्राधिकारी प्रिय प्रिंस कुमार का फोन आया कि सर आपको कार्यक्रम कंडक्ट भी करना है।मुझे ख़ुशी हुई कि बैंक से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्राप्त करने के चार साल बाद भी वर्तमान बैंक कर्मी मुझे उतना ही स्नेह देते हैं।मुझे बैंक सेवा में बिताए अपने वे पुराने दिन याद आ गए जब मैं अपने सहकर्मियों के साथ प्रथमा बैंक क्षेत्रीय कार्यालय में ऐसे तमाम कार्यक्रम सफलता पूर्वक कंडक्ट किया करता था।बैंक के मुख्य कार्यालय मुरादाबाद के ट्रेनिंग सेंटर का एसोशिएट डायरेक्टर रहते हुए भी ऐसे तमाम कार्यक्रम कंडक्ट करने का अवसर प्राप्त होता रहता था जिसके प्रतिफल में अपने उच्चाधिकारियों से प्रशंसा भी प्राप्त होती थी।
अब और अधिक विषयांतर न करते हुए मुद्दे पर आता हूं।३१ अक्टूबर,२०२३ को शाम लगभग साढ़े सात बजे बैंक की मुख्य शाखा रामपुर में भाई प्रदीप पचौरी जी की विदाई पार्टी का आयोजन किया गया।

मंच पर कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण भाई प्रदीप पचौरी जी के साथ क्षेत्रीय प्रबंधक संजय जौहरी जी,वरिष्ठ प्रबंधक हरनंदन गंगवार जी तथा मुख्य शाखा के वरिष्ठ प्रबंधक सौरभ कुमार अमरनानी जी विराजमान रहे। सर्वप्रथम मंचासीन महानुभावों द्वारा बुके तथा फूल मालाओं से भाई प्रदीप पचौरी जी का स्वागत किया गया।उसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सभी बैंक कर्मियों तथा पचौरी जी के परिजनों एवं रिश्तेदारों द्वारा मालाएं पहनाकर उनका स्वागत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए मैंने पचौरी जी के ३७ वर्ष २ माह के कार्यकाल पर सूक्ष्म प्रकाश डालते हुए वक्ताओं को अवसर के अनुकूल विचार व्यक्त करने के लिए मंच पर आमंत्रित किया। हरनंदन गंगवार , प्रदीप यादव तथा प्रिंस कुमार आदि ने इस अवसर पर बोलते हुए बैंक स्टाफ के साथ पचौरी जी के सरल व्यवहार और सहयोग को लेकर प्रशंसा करते हुए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दीं।
मुख्य शाखा रामपुर के प्रबंधक सौरभ जी ने रामपुर शाखा में पचौरी जी के सूक्ष्म कार्यकाल की प्रशंसा करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं।रामपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक संजय जौहरी साहब ने पचौरी जी से अपने पुराने जुड़ाव को लेकर कई संस्मरण सुनाए तथा उनकी क्रिकेट में रुचि और इसमें उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया।जौहरी साहब ने बैंक की ओर से भविष्य में भी पचौरी जी को हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया।
पचौरी जी के परिजनों और रिश्तेदारों द्वारा भी इस अवसर पर पचौरी जी के साथ जुड़े कई संस्मरण और अनुभव साझा करते हुए उनके आत्मीयतापूर्ण व्यवहार की प्रशंसा की गई।इस अवसर पर सभी लोग काफ़ी भावुक नज़र आए जो स्वाभाविक भी है।अपने भावुक संबोधन में सेवानिवृत्ति प्राप्त कर रहे भाई प्रदीप पचौरी ने कहा कि मैंने अपनी सामर्थ्य के अनुसार बैंक को अपना सौ प्रतिशत देने का पूरा प्रयास किया।कुछ परेशानियां भी आईं और कटु अनुभव भी हुए परंतु उनको कार्य का अंग मानते हुए स्वीकार किया ।उन्होंने सभी से मिले सहयोग के लिए आभार प्रकट किया।अंत में बैंक की ओर से क्षेत्रीय प्रबंधक,शाखा प्रबंधक तथा अन्य बैंक स्टाफ द्वारा पचौरी जी को मोमेंटो, शॉल और गिफ्ट आदि प्रदान किए गए।शाखा प्रबंधक द्वारा सभी का आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई।
शाखा से विदाई के बाद भाई प्रदीप पचौरी जी द्वारा सब के लिए सूर्या बैंक्वेट हॉल में एक शानदार डिनर पार्टी का आयोजन किया गया।इस पार्टी में पुराने तमाम साथियों से भेंट करके मन को प्रसन्नता हुई। ऐसे आयोजनों में सम्मिलित होने का एक फ़ायदा यह भी होता है कि जिन लोगों से पारिवारिक व्यस्तताओं के चलते व्यक्तिगत रूप से मिलना नहीं हो पाता उनसे भेंट हो जाती है और घर-परिवार में सबकी  ख़ैरियत भी पता चल जाती है।इस दृष्टि से यह अवसर उपलब्ध कराने के लिए भाई प्रदीप पचौरी का अतिरिक्त हार्दिक आभार प्रकट करना बनता है।
नीचे इस अवसर पर साथियों के साथ लिए गए कुछ छायाचित्र प्रस्तुत हैं :


अंत में अपने इस दोहे के माध्यम से पचौरी जी को जीवन की अगली पारी के लिए शुभकामना देते हुए उनके दीर्घायु होने की कामना करता हूं :

     हर विपदा-बाधा मिटे,हो जीवन  ख़ुशहाल।
     मित्र पचौरी है दुआ,आप  जिएं सौ  साल।।
              @ ओंकार सिंह विवेक 
प्रस्तुति :
ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर

विशेष :
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(अनुरोध है कि ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर ब्लॉग के मुख पृष्ठ पर दाईं ओर फॉलोअर्स के चित्रों के नीचे follow ऑप्शन दबाकर तथा अगला स्टेप पूरा करके ब्लॉग को फॉलो अवश्य करें ।यदि unfollow ऑप्शन दिखाई दे तो कृपया उसे न दबाएं क्योंकि इसका अर्थ है कि आप पहले ही ब्लॉग को follow कर चुके हैं 🙏🙏)

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October 27, 2023

रस सिद्ध शायर देवी प्रसाद गौड़ 'मस्त' की 110 वीं जयंती

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏
     
        (मंच पर अतिथि के रूप में साहित्यकारों एवम् रणधीर प्रसाद गौड़ धीर जी के परिजनों के साथ सुखद पल)
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बरेली के वरिष्ठ शायर और कवि आदरणीय रणधीर प्रसाद गौड़ धीर साहब का लगभग एक माह पूर्व फोन आया था कि हमारे पिताश्री मशहूर शायर और कवि पंडित देवी प्रसाद गौड़ मस्त जी की ११० वीं जयंती पर आयोजित होने वाले कवि सम्मेलन और साहित्यकार सम्मान समारोह में आप सादर आमंत्रित हैं। 
आदरणीय धीर साहब का स्नेह मुझे अक्सर ही साहित्यिक कार्यक्रमों में मिलता रहा है। यह भी एक सुखद संयोग है कि उनका प्रारंभिक जीवन मेरे गृह नगर रामपुर में ही बीता है सो अक्सर रामपुर से जुड़ी  पुरानी यादों को लेकर उनसे फोन पर बात होती रहती है।
 आदरणीय गौड़ साहब की मुहब्बतों के चलते
 २६ अक्टूबर ,२०२३ को रामपुर के वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय शिव कुमार चंदन जी के साथ उक्त कार्यक्रम में जाना हुआ।        
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्य भूषण सुरेश बाबू मिश्रा एवं विशिष्ट अतिथिगण रामपुर से पधारे शिवकुमार चंदन एव ओंकार सिंह विवेक रहे।अध्यक्षता वरिष्ठ शायर विनय सागर जायसवाल ने की।कार्यक्रम बरेली कवि गोष्ठी आयोजन समिति के तत्वावधान में संपन्न हुआ।कार्यक्रम में सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा आदरणीय धीर साहब के ग़ज़ल संग्रह "सलाम-ए-इश्क़" का विमोचन किया गया।
     (रणधीर प्रसाद गौड़ धीर जी के ग़ज़ल संग्रह 
       सलाम-ए-इश्क़ का विमोचन)

 दूसरे चरण में साहित्यकार  शिव कुमार चंदन, ओंकार सिंह विवेक शायर असद मिनाई, असरार नसीमी, नईम खान शबाव कासगंजबी एवं किच्छा के नबी अहमद मंसूरी  को  साहित्यिक क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान के लिए 'पं.देवी प्रसाद गौड़ मस्त साहित्य सम्मान' प्रदान किया गया।सम्मान स्वरूप शॉल, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह संस्था के अध्यक्ष/ कार्यक्रम संयोजक रणधीर प्रसाद गौड़ धीर, महासचिव बृजेंद्र तिवारी तथा संस्था सचिव उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने प्रदान किए।
     (कार्यक्रम में मेज़बान रणधीर प्रसाद गौड़ धीर तथा मंचासीन अतिथियों से 'पंडित देवी प्रसाद गौड़ मस्त साहित्य सम्मान' ग्रहण करते हुए)

 तृतीय सत्र में कवि सम्मेलन/ मुशायरा हुआ जिसमें कवियों/शायरों ने ने अपने समसामयिक काव्य पाठ से श्रोताओं को अंत तक बांधे रखा।कार्यक्रम में मंच पर आसीन कवियों के अतिरिक्त शिवरक्षा पांडेय, ज्ञान देवी वर्मा सत्यम्,वेद प्रकाश शर्मा अंगार,दीपक मुखर्जी, रामधनी निर्मल,रामकुमार भारद्वाज अफरोज, प्रकाश निर्मल, इंद्रदेव त्रिवेदी, निर्भय सक्सेना,डॉ शिव नरेश शुक्ल, एस.ए.हुदा,मिलन कुमार मिलन, राम कृष्ण शर्मा,सत्यवती सिंह सत्या, मिथिलेश गौड़ ,रामकुमार कोली, डॉ राजेश शर्मा ककरेली, उमेश अद्भुत,यदुवीर प्रसाद गौड़,ओमवीर सिंह, स्नेहा सिंह, सुरेंद्र बीनू सिंहा,मुजम्मिल हुसैन,अशोक कुमार व राजकुमार अग्रवाल आदि ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का सफल संचालन मनोज दीक्षित टिंकू ने किया।
               (कार्यक्रम में काव्य पाठ करते हुए)
    
(साहित्यकार बंधुओं उपमेंद्र सक्सैना तथा टिंकू जी के साथ)
              (कार्यक्रम में उपस्थित कवि एवं श्रोतागण)

     (कार्यक्रम में वरि० साहित्यकार चंदन जी के साथ)
 (काव्य पाठ करते हुए मेज़बान वरिष्ठ शायर/कवि रणधीर प्रसाद गौड़ धीर साहब)

अंत में जलपान के बाद धीर साहब ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।
कार्यक्रम में आदरणीय रणधीर प्रसाद गौड़ धीर साहब के परिजनों ने जिस आत्मीयता और आतिथ्य भाव से आगंतुकों की आवभगत की उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। कार्यक्रम की आयोजन व्यवस्था में संस्था के सचिव प्रिय भाई उपमेंद्र सक्सैना जी की सक्रियता ने भी बहुत प्रभावित किया।
पंडित देवी प्रसाद गौड़ मस्त जी को स्मृतियों को नमन करते हुए अपनी इन चार पंक्तियों के साथ पोस्ट को समाप्त करता हूं :
             महफ़िलों   का   नूर  थे   शृंगार  थे,
             सबकी चाहत थे सभी का प्यार थे।
             'मस्त' था जिनका तख़ल्लुस दोस्तो,
             वो अदब के  इक बड़े फ़नकार  थे।
                           @ ओंकार सिंह विवेक 

कार्यक्रम की स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा शानदार कवरेज की कुछ झलकियाँ 👇👇
         
ओंकार सिंह विवेक
 -- ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर

October 18, 2023

शायद जल्द इलक्शन आने वाला है



दोस्तो लीजिए हाज़िर है मेरी नई ग़ज़ल
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ग़ज़ल-ओंकार सिंह विवेक
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बदला    रातों - रात   उन्होंने  पाला  है ,
शायद  जल्द  इलक्शन  आने  वाला हैI

झूठे    मंसब     पाते     हैं     दरबारों   में,
सच्चों  की  क़िस्मत  में  देश-निकाला है।

भूखे  पेट  जो   सोते   हैं  फुटपाथों  पर,
हमने  उनका  दर्द   ग़ज़ल  में  ढाला  है।
@
यार ! उसूल  परस्ती  और   सियासत  में,
तुमने ख़ुद को किस मुश्किल में डाला है।

ज़ेहन   में   चलते  रहते   हैं   ऊला-सानी,
हमने अच्छा  शौक़  ग़ज़ल  का  पाला है।

नीचे   तक   पूरी   इमदाद   नहीं   पहुँची,
ऊपर आख़िर  कुछ  तो  गड़बड़झाला है।

घर में आख़िर बेटी  के जज़्बात 'विवेक',
माँ  से  बेहतर  कौन  समझने  वाला  है।
        ----- @ओंकार सिंह विवेक
 (मेरे शीघ्र प्रकाश्य ग़ज़ल संग्रह "कुछ मीठा कुछ खारा" से)
(चित्र : गूगल से साभार)


  (रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के २५० वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में)

(अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हास्य-व्यंग्य के शायर पॉपुलर मेरठी जी के साथ)

 (भारत विकास परिषद रामपुर - उत्तर प्रदेश के सदस्यों को अपने ग़ज़ल संग्रह "दर्द का एहसास" की प्रतियाँ भेंट करते हुए)
------@ ओंकार सिंह विवेक 


October 13, 2023

एक साहित्यिक परिचर्चा/विचार गोष्ठी


नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

 (रामपुर की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े साहित्यकार अंबेडकर पार्क रामपुर में साहित्यिक गतिविधियों के प्रचार-प्रसार के संबंध में विचार-विमर्श करते हुए)

रामपुर जनपद के हिंदी तथा उर्दू दोनों ही भाषाओं के अनेक साहित्यकारों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रही है।हिंदी साहित्यकारों में कल्याण कुमार जैन शशि, प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंघल और डॉक्टर छोटे लाल नागेंद्र और पुराने उर्दू साहित्यकारों में जलील नोमानी, होश नोमानी और अज़हर इनायती आदि को कौन नहीं जानता।वर्तमान में भी जनपद के अनेक वरिष्ठ एवं उदीयमान रचनाकार तथा साहित्यिक संस्थाएँ अपने-अपने गद्य एवं पद्य सृजन से भाषाओं को समृद्ध करने में निमग्न हैं। वर्तमान में वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र कमल आनंद और शिव कुमार चंदन जी जैसे लोग अपने साहित्यिक समूहों के माध्यम से निरंतर हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में लगे हुए हैं।
रामपुर की प्रमुख साहित्यिक संस्थाएँ यथा उ0 प्र0 साहित्य सभा रामपुर इकाई, आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, पल्लव काव्य मंच आदि आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं।
रामपुर में साहित्यिक गतिविधियों को और अधिक विस्तार देने तथा सभी संस्थाओं के समन्वय से ज़िले में बड़े साहित्यिक आयोजनों को मूर्त रूप देने को लेकर रामपुर के साहित्यकारों द्वारा अंबेडकर पार्क रामपुर में एक परिचर्चा और विचार गोष्ठी आयोजित की गई।
सभी साहित्यकार कहीं-कहीं कविता के गिरते स्तर को लेकर भी चिंतित दिखाई दिए। सभी ने यह महसूस किया की अच्छी कविता गंभीर चिंतन और मनन चाहती है।यदि हम अच्छा सोचेंगे/पढ़ेंगे तभी अच्छा लिख पाएंगे जो पाठकों/श्रोताओं द्वारा पसंद किया जाएगा।नई पीढ़ी के साहित्यकारों को विभिन्न प्रचार माध्यमों और सोशल मीडिया पर छाने की जितनी जल्दी है उतनी गंभीरता उनके साहित्य सृजन में दिखाई नहीं देती। यदपि इसके अपवाद भी दिखाई देते हैं।

सभी साहित्यकार इस बात पर एकमत दिखाई दिए कि अपने-अपने बैनरों के तले साहित्यिक आयोजनों में एक दूसरे को आमंत्रित करने के साथ-साथ यदा कदा सामूहिक रूप से बड़े साहित्यिक आयोजनों के बारे में भी सोचना चाहिए।आख़िर कविता के माध्यम से सभी का एक उद्देश्य है और वह है- साहित्य और समाज की सेवा। तो क्यों न फिर किसी तरह के पूर्वाग्रह को छोड़कर इस दिशा में सामूहिक प्रयास भी  किए जाएँ।विचार गोष्ठी में इस पर कुछ सहमति बनती दिखाई दी जो एक शुभ संकेत है। विचार-विमर्श में यह भी तय हुआ कि शासन/प्रशासन को इस आशय का एक सामूहिक ज्ञापन दिया जाए कि ज़िला स्तर पर आयोजित कराए जाने वाले साहित्यिक कार्यक्रमों में स्थानीय साहित्यकारों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाना चाहिए।इससे स्थानीय साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी प्रतिभा भी निखरेगी। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रोत्साहन पाकर कुछ नया करने की ऊर्जा मिलती है। स्थानीय साहित्यकारों की यह पहल प्रशंसनीय है।इस पहल में प्रतिभाशाली युवा रचनाकार भाई राजवीर सिंह राज़ का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
मजरूह सुल्तानपुरी साहब के इस शेर के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं:
  मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,
  लोग  साथ आते  गए और कारवां बनता गया।
              --- मजरूह सुल्तानपुरी
प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक 
























🌹 दोस्तों के बहाने 🌹

रामपुर (उत्तर प्रदेश) की रज़ा लाइब्रेरी की स्थापना के 250 वर्ष पूर्ण होने पर 7,8 और 9अक्टूबर,2023 को प्रशासन की ओर से कई सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस प्रकार के कार्यक्रम वर्ष भर चलते रहेंगे। वृहद स्तर पर ऐसे  विशाल कार्यक्रमों का आयोजन जनपद वासियों के लिए गौरव की बात है। रामपुर तथा रज़ा लाइब्रेरी की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान से सब भली भांति परिचित हैं। इस प्रकार के आयोजन निश्चित ही रामपुर की इस साँझी विरासत को और अधिक मजबूत बनाएंगे। 
रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के २५० वें स्थापना वर्ष पर आयोजित होने वाले अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में हाल ही में हुए तीन दिवसीय सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों में जिन तीन दोस्तों/मुख़लिसों की कंपनी में वहाँ जाना हुआ उनका ज़िक्र न किया जाए तो यह ब्लॉग पोस्ट अधूरी रहेगी।


पिछले लगभग एक वर्ष से मैं स्वामी विवेकानंद के आदर्शों का अनुसरण करने वाली स्वयं सेवी संस्था भारत विकास परिषद से भी जुड़ा हुआ हूं। पारिवारिक व्यस्तता के बीच महीने में कम से कम एक बार तो इसकी पारिवारिक बैठकों में जाना हो ही जाता है। आप चाहे किसी उत्सव/कार्यक्रम या बैठक में चले जाईए अपनी रुचि और मिज़ाज के कुछ लोग वहां मिल ही जाएंगे।परिषद में भी ऐसे कई लोग हैं जिनसे अच्छी घुटने लगी है।परिषद के ऐसे ही एक वरिष्ठ साथी हैं बड़े भाई श्री प्रशांत कुमार गुप्ता जी(ऊपर चित्र में सबसे बाईं तरफ़)।बहुत ही डैशिंग पर्सनालिटी के मालिक हैं।यों तो सीनियर सिटीजन हैं परंतु उनकी पर्सनालिटी अच्छे-अच्छे नौजवानों पर भारी है। उनका बाह्य रूप जितना सुंदर है उतने ही सुंदर वह मन और व्यवहार से भी हैं।कलात्मक अभिरुचि के धनी श्री प्रशांत जी साहित्य तथा संगीत में गहरी रुचि रखते हैं। श्री प्रशांत जी आजकल अपनी कलात्मक रुचि के कार्यों में व्यस्त रहते हुए मस्त ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। उनके मुहब्बत भरे इसरार पर तीनों ही दिन रज़ा लाइब्रेरी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में जाकर पूरा लुत्फ़ उठाने का मौक़ा मिला।
इसी कड़ी में एक नाम अनुज रविंद्र पाल सिंह जी(तस्वीर के मध्य) का आता है जो भारत विकास परिषद के बहुत ऊर्जावान सदस्य हैं।आप बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक हैं और कैरियर को लेकर बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों का भी मार्गदर्शन करते हैं। सिंह साहब भी बहुत ही विनम्र और संजीदा इंसान है।बातचीत में उन्होंने बताया कि अच्छे साहित्य में उनकी गहन रुचि है और अब तक मुंशी प्रेमचंद के कई उपन्यास पढ़ चुके हैं।रविंद्र जी डॉक्टर कुमार विश्वास के भी बड़े फैन हैं।
इस कड़ी में भारत विकास परिषद के तीसरे वरिष्ठ साथी आदरणीय उमेश कुमार रस्तौगी साहब हैं जिन्हें प्यार से सब पहलवान साहब कहते हैं।आप कलेक्ट्रेट रामपुर से सेवानिवृत्त हुए हैं और जीवन की इस पारी को भी बड़े मस्तमौला ढंग से गुज़ार रहे हैं, ईश्वर उन्हें दीर्घायु प्रदान करें।पहलवान साहब बहुत व्यवहार कुशल हैं और समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं। हर जगह पूरे रोब-दाब के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में दक्ष हैं। आपकी ऊर्जा भी नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है।इन तीनों लोगों के साथ लाइब्रेरी के कार्यक्रमों का आनंद लेना एक अविस्मरणीय अनुभव रहा।
  कार्यक्रम में मुशायरे वाले दिन जब हम लोग क़िले में प्रवेश करने ही वाले थे कि इस मुशायरे में आमंत्रित मशहूर 
तंज़-ओ-मज़ाह के शायर मुहतरम पॉपुलर मेरठी साहब अपने दो साथियों के साथ कार्यक्रम स्थल की ओर जाते हुए मिल गए। वरिष्ठ साथी श्री प्रशांत जी ने उन्हें पहचानकर अदब से सलाम ठोका और उनकी हास्य व्यंग्य की रचनाओं की बहुत तारीफ़ की।हम लोग भी उनसे गर्मजोशी के साथ मिले। उन्होंने हमारे साथ मुस्कुराते हुए तस्वीर भी खिंचवा ली।
पॉपुलर मेरठी साहब का यह शेर शायद आपको हँसने पर मजबूर करे :
     एक बीवी कई साले हैं ख़ुदा ख़ैर करे,

    खाल सब खींचने वाले हैं ख़ुदा ख़ैर करे।

             --- पॉपुलर मेरठी 


किसी मशहूर शायर का यह शेर अपने इन दिलचस्प दोस्तों की नज़र करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं :
       कितने हसीन लोग थे जो मिलके एक बार,
        आँखों में जज़्ब हो गए, दिल में समा गए।
                 ------ अज्ञात
प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक
साहित्यकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर 


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