November 23, 2023

पल्लव काव्य मंच रामपुर (उoप्रo)का शारदीय काव्य महोत्सव

नमस्कार मित्रो 🌹🙏

साहित्यकार अपने सृजन से समाज,देश और दुनिया को जोड़ने की बात करता है। साहित्यकार का ज़ात-बिरादरी और देशों की सीमाबंदियों से कोई सरोकार नहीं होता। वह अपने विराट चिंतन और जन कल्याणकारी सृजन से देश और दुनिया को दिशा देने का पुनीत कार्य करता है।कुछ ऐसा ही विश्वव्यापी सद्भावना का संदेश लेकर विराटनगर नेपाल से दो वरिष्ठ साहित्यकार अपनी धर्म पत्नियों के साथ रामपुर पधारे।
नेपाली तथा हिंदी भाषाओं के इन वरिष्ठ साहित्यकारों डॉक्टर घनश्याम परिश्रमी जी तथा डॉक्टर देवी पंथी जी के सम्मान में पल्लव काव्य मंच रामपुर द्वारा शानदार शारदीय काव्य महोत्सव का आयोजन किया गया।२२ नवंबर,२०२३ को माया देवी धर्मशाला रामपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में विदेशी तथा स्थानीय साहित्यकारों के साथ पड़ोस के नगरों संभल और बहजोई के साहित्यकारों ने भी सहभागिता की।
कार्यक्रम के पहले चरण का शुभारंभ पूर्व में त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमाण्डू, नेपाल में सेवारत रह चुके इन दो साहित्यकारों के सम्मान में शानदार कवि सम्मेलन
से हुआ।
कविता पाठ करते हुए सम्भल से पधारे व्यंग्य कवि अतुल शर्मा ने कहा- भ्रष्टाचारी दम भरते हैं सत्ता के प्रभावों में/लोकतंत्र फिर बिक जाता है औने-पौने भावों में।
राजीव शर्मा ने कहा- रामपुर की खास निशानी चाकू मेरा नाम/इसी शहर में बनता हूँ मैं यही मेरी पहचान। 
कविता पाठ करते हुए पँवासा के ज्ञानप्रकाश उपाध्याय ने कहा- खून की हर बूँद से लिख देंगे हिंदुस्तान/तुझपे समर्पित मेरा दिल मेरी जान। 
पल्लव काव्य मंच के उपाध्यक्ष ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक ने तंज कसते हुए कहा- लुत्फ़ क्या आएगा शराफ़त में/आप अब आ गये सियासत में। 
अध्यक्ष शिव कुमार चन्दन ने कहा-चल पड़ी अनवरत फिर चली हर नदी/पहले गन्तव्य से कब रुकी हर नदी। 
बहजोई से कवि दीपक गोस्वामी चिराग ने बेटियों को नसीहत करते हुए कहा- मात-पिता के प्रेम का रख गौरैया मोल/धरती के भगवान हैं मात-पिता अनमोल। 
रश्मि चौधरी ने कहा- कुछ बोझ दिल से उतारा जाए/उसे एक बार फिर पुकारा जाए। 
शायर प्रदीप राजपूत माहिर ने कहा- आपका साथ ही जब मयस्सर नहीं/ये मुक़द्दर तो कोई मुक़द्दर नहीं। 
कवि सचिन सार्थक ने कहा-प्यार खामोशियाँ प्यार है बोलना/प्यार काँधों पे सिर रख के है डोलना। 
शायर अश्क रामपुरी ने फरमाया- आँधियों का का दम निकाला जाएगा/ अब दिए में ख़ून डाला जाएगा। 
विनोद शर्मा ने मानवता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा-जहाँ इंसानियत की रौशनी हो/वहीं काबा है अपना सर झुका लो।  
अनमोल रागिनी ने कहा- मत देना कर्तव्य है मतदाता अधिकार/मत देने से ही बने लोकतंत्र सरकार। 
डॉo प्रीति अग्रवाल ने कहा- पैसा है बहुमूल्य रखना इसका मान/बिन पैसे पाता नहीं कोई भी सम्मान।
विराटनगर नेपाल से आये डॉ देवी पंथी ने कहा- झूम के सावन आया देखो तो/बादल ने पानी बरसाया देखो तो।
 लुम्बिनी प्रदेश नेपाल से डॉ घनश्याम परिश्रमी ने कहा- कविता अरुणोदय की लाली/कविता बनती पूजन थाली।
 डॉ देवी पंथी ने नेपाल में ग़ज़ल के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालते हुए वहां इस विधा के तेज़ी से लोकप्रिय होने का भी ज़िक्र किया।
 डॉ घनश्याम परिश्रमी ने नेपाल में हिन्दी और नेपाली भाषा के सह-अस्तित्व और विकास से अवगत कराया।
नेपाल से ही आयीं राधिका पंथी और राधा न्यौपाने ने भी अपना काव्यपाठ प्रस्तुत किया। 
कार्यक्रम के अंत में नेपाल एवं बाहर से आये साहित्यकारों को शॉल, प्रशस्ति पत्र तथा स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर सीताराम शर्मा, हरीश सक्सेना, गोविंद शर्मा, सुनील वैश्य, रामसागर शर्मा, जावेद रहीम, नवीन पाण्डे, राजवीर सिंह राज़, अशोक सक्सेना, हरीश सक्सेना आदि उपस्थित रहे। संचालन महासचिव प्रदीप राजपूत माहिर ने किया।
कार्यक्रम की स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा सुंदर कवरेज के लिए पल्लव काव्य मंच रामपुर उनका हार्दिक आभार प्रकट करता है।

प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक
ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/ब्लॉगर

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