April 13, 2020

कोरोना वारियर्स को सलाम



(सभी चित्र:गूगल से साभार)

कोरोना से उपजे सवाल:दोहे           --ओंकार सिंह विवेक

दवा,चिकित्सा उपकरण,त्वरित उचित उपचार।
इन  सब  का  हो  देश में , अभी और विस्तार।।

जीवन   शैली  शीघ्र  ही ,  बदलें  अपनी  लोग।
ऐसा  कुछ   संदेश   भी ,  देता   है  यह  रोग।।

इस    संचारी  रोग  का  ,  होगा  बहुत  प्रभाव।
देखेंगे  हम   विश्व  में ,  सामाजिक   बदलाव।।

आख़िर  कुछ  तो  बात  है , जो  सारा  संसार।
आज  रहा  है  चीन  को , बार  बार धिक्कार।।

वाह!रे क्लोरोक्वीन

'कोरोना'  ने  विश्व   का ,  बदला   ऐसा  सीन।
अमरीका  भी माँगता , हम से 'क्लोरोक्वीन'।।

जीतेगा हिंदुस्तान

साहस   रख  संघर्ष   को , रहते   जो   तैयार।
हर  विपदा  बाधा  सदा  ,  माने  उनसे  हार।।

धैर्य  और  साहस  रखें , बालक-वृद्ध-जवान।
जीतेगा  इस  जंग  में ,  अपना   हिन्दुस्तान।।

'कोरोना' वारियर्स को सलाम


कठिन समय में कर रहे ,रात और दिन काम।
हे 'कोरोना' वारियर ,  तुमको  नमन-प्रणाम।।
                       ------///ओंकार सिंह विवेक
                               (सर्वाधिकार सुरक्षित)
               www.vivekoks.blogspot.com



February 23, 2020

निवाले

सूखे हुए निवाले


ग़ज़ल-ओंकार सिंह विवेक
काम    हमारे    रोज़   उन्होंने   अय्यारी   से   टाले   थे,
जिनसे   रक्खी   आस   कहाँ  वो  यार भरोसे वाले  थे।

जब   मोती   पाने   के  सपने   इन  आँखों  में पाले  थे,
गहरे   जाकर  नदिया , सागर  हमने  ख़ूब  खँगाले  थे।

जिनकी वजह से सबको मयस्सर आज यहाँ चुपड़ी रोटी,
उनके   हाथों    में   देखा   तो   सूखे   चंद  निवाले   थे।

दाद  मिली  महफ़िल  में  थोड़ी  तो  ऐसा महसूस हुआ,
ग़ज़लों  में  हमने  भी  शायद   अच्छे  शेर  निकाले  थे।

जंग   भले   ही  जीती हमने  पर यह भी महसूस किया,
जंग   जो  हारे  थे  हमसे  वे  भी  सब  हिम्मत वाले थे।

                                  --------ओंकार सिंह विवेक
                                         (सर्वाधिकार सुरक्षित)         

February 22, 2020

काश!हमारा बचपन लौटे

यह मेरे छोटे भाई एडवोकेट आर.पी.एस.सैनी की जुड़वाँ बेटियों का छाया चित्र है जो मुझे परिवार में किसी अवसर पर या अनायास ही लिए गए छाया चित्रों में सबसे अधिक प्रिय है।अपना पसंदीदा होने के कारण इस फोटो को मैंने आठ वर्ष पूर्व फेसबुक पर साझा किया था।आज फेसबुक ने स्मरण कराया  तो इस फोटो के साथ जुड़ी भावनाओं के साथ कुछ लिख कर फिर से इसे साझा करने का मन हुआ।
इस छाया चित्र में बच्चियों के मुख पर खिली मुस्कान,मासूमियत और शरारत में जो निर्दोषता और स्वाभाविकता  छुपी हुई है उससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।हम जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं वैसे वैसे स्वाभाविकता और मासूमियत जैसे आकर्षक भाव हमारे अंदर और बाहर  से कम होते जाते हैं।हम चेहरे और आंतरिक भावों से अधिक से अधिक बनावटी होते जाते हैं,यहाँ तक की फोटो खिंचवाते वक़्त भी हमारे चेहरों पर स्वाभाविक भाव नहीं झलक पाते।काश!हम बच्चों जैसा स्वाभाविक व्यवहार करना सीख  सकें जिसमें किसी से बात करने से पहले सौ सौ बार यह न सोचना पड़े की अपने स्वार्थ और द्वेष को साधने के लिए हमें क्या बात करनी है और क्या नहीं।हमें किसी से बात करते समय चेहरे पर झूठी मुस्कान या बनावटी ग़ुस्सा न सजाना पड़े।चेहरे पर ग़ुस्से या ख़ुशी का जो भी भाव हो वह स्वाभाविक हो।इस ख़ूबी  के लिए हमें फिर से बच्चों से ही बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है।बच्चे अगर रूठते हैं तो भी नेचुरल रूप से और अगर खिलखिलाते हैं और ख़ुश होते हैं तो भी नेचुरल रूप से  ही। फिर हम बड़ों को क्या हो जाता है जो हम धीरे धीरे मासूमियत,निष्कलुषता और निर्दोषता से दूर होते चले जाते हैं?
सोचिए----सोचिए---सोचिए   और ख़ूब सोचिए कि हम कहने को तो बड़े होते जा  रहे हैं पर सोच और स्वभाव में आख़िर क्यों इतने छोटे होते चले जा रहे हैं?
ये मासूम बेटियाँ अब बड़ी होकर  लगभग 13 वर्ष की हो चुकी हैं तथा 7th स्टैंडर्ड में पढ़ रही हैं पर इनकी इस तस्वीर नें मुझे आज यह सब लिखने को प्रेरित किया जिसे आप सब के साथ साझा कर रहा हूँ।
          ----- ओंकार सिंह विवेक
                सर्वाधिकार सुरक्षित

December 30, 2019

अटल रही पहचान




कुछ दोहे अटल जी
 की स्मृति में
नैतिक मूल्यों का  किया, सदा मान सम्मान।
दिया अटल जी ने नहीं,ओछा कभी बयान।।

विश्व मंच  पर  शान से , अपना  सीना तान।
अटल बिहारी ने  किया,हिंदी का यश गान।।

राजनीति   में   आपने , ऐसे   किए  कमाल।
जिनकी देते आज भी, जग में लोग मिसाल।।

सारा जग करता रहे, शत शत  तुम्हें  प्रणाम।
अटल बिहारी जी रहे, अमर  तुम्हारा  नाम।।
                     ----------ओंकार सिंह विवेक
                                 सर्वाधिकार सुरक्षित

December 29, 2019

ठिठुरन से बेहाल

                          चित्र:गूगल से साभार

December 13, 2019

अपनी कहन

चंद अशआर---
शिकायत कुछ नहीं है ज़िन्दगी  से,
मिला जितना मुझे हूँ ख़ुश उसी से।

ज़रा    कीजे   अँधेरों    से   लड़ाई,
तभी  होगा  तआरुफ़   रौशनी   से।

न  छोड़ेगा  जो उम्मीदों  का दामन,
वो होगा आशना इक दिन ख़ुशी से।

रखें  उजला  सदा किरदार अपना,
सबक़  लेंगे ये बच्चे  आप   ही से।

उसे  अफ़सोस  है अपने किए पर,
पता चलता है आँखों की नमी से।
          -------ओंकार सिंह विवेक
                   रामपुर-उ0प्र0
              मोबाइल 9897214710
              (सर्वाधिकार सुरक्षित)
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