September 15, 2022

वाह रे ! क़ुदरत

शुभ प्रभात मित्रो 🌹🌹🙏🙏

आज सवेरे के सुहावने मौसम का अवलोकन करते हुए मुझे यह पोस्ट लिखने में बहुत आनंद की अनुभूति हो रही है।प्रकृति के साथ मनुष्य द्वारा किए जा रहे खिलवाड़ और उसके दुष्परिणामों के बारे में पहले भी कई अवसरों पर मैं अपने ब्लॉग पर लिख चुका हूं।
इस समय लिखने बैठा हूं तो मुझे किसी पुरानी फ़िल्म की ये दो पंक्तियां सहसा स्मरण हो आईं:

           क़ुदरत  के   खेल   निराले   मेरे   भैया,
           क़ुदरत का लिखा कौन टाले मेरे भैया।

सचमुच  क़ुदरत के आगे किसी का कोई वश नहीं चलता मगर यह भी सच है की यदि हम इसके साथ संतुलन बनाकर चलें तो यह आदमी को अनमोल उपहार भी प्रदान करती है।जंगल,नदी, पहाड़,फल-फूल और पेड़-पौधों का जो अनमोल तोहफ़ा   क़ुदरत ने हमें बख़्शा है उसका कोई तोड़ नहीं है।आदमी के व्यवहार से कुपित होकर प्रकृति जो अपना रौद्र रुप दिखाती है वह भी किसी से छिपा नहीं है। यह हमें आजकल मौसमों के असंतुलित और अप्रत्याशित व्यवहार से साफ़ पता चल रहा है।अब न तो गर्मी और जाड़े के मौसम में वांछित अनुपात में गर्मी और सर्दी ही पड़ती है और न ही बारिश के मौसम में कुछ हिस्सों में आवश्यकता के अनुरूप बारिश होती है।कहीं सुखा ही सूखा तो कहीं सैलाब के हालत पैदा हो जाते हैं।मौसमों का यह असंतुलन दुनिया में विद्यमान हर चीज़ के अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी है।
काश! दुनिया इस विचार करे और प्रगति की इस अंधी दौड़ में  क़ुदरत के साथ अनावश्यक छेड़-छाड़ करने से बचे।यह निरंतर चिंता का विषय है कि अब अक्सर मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणियां भी ग़लत साबित होती जा रही हैं।इस बार भी ऐसा ही देखने में आया।वर्षा ऋतु के प्रारंभ में ही मौसम वैज्ञानिकों ने कहा था कि इस बार आशा के अनुरूप भरपूर बारिश होगी किंतु ऐसा नहीं हुआ।इस बार देश के तमाम हिस्सों में ५०प्रतिशत से भी कम बारिश हुई जो फसलों के लिए अभिशाप सिद्ध हुई। यह अलग बात है कि कुछ हिस्से भयानक बाढ़ की चपेट में भी आए।

इधर हमारे क्षेत्र रुहेलखंड (उत्तर प्रदेश) में इस बार मौसम का लंबा सूखा झेलने के बाद एक अच्छी ख़बर की संभावना हो रही है। इस क्षेत्र में १६ और १७ सितंबर को अच्छी बारिश की संभावना बताई जा रही है।प्रदेश की  ग्रामीण कृषि मौसम इकाई के अनुसारअगर २० से ३० मिलीमीटर तक वर्षा होती है तो फसल को लाभ रहेगा लेकिन इससे अधिक वर्षा होने पर फसल को नुक़सान भी हो सकता है।कई जगह बुधवार को आसमान में छाए बादल धरती पर मेहरबान भी हुए।शीतल हवाओं ने भी मौसम को खुशगवार बनाया।तापमान की गिरावट ने भी भारी उमस से थोड़ी राहत प्रदान की है।
काश ! मौसम यूं ही खुशगवार बना रहे और आशा के अनुरूप ही इंद्र देवता जग को अपनी कृपा का पात्र बनाएं इसी आशा के साथ लीजिए मेरी ताज़ा ग़ज़ल का आनंद :

 
(ब्लॉगर की पॉलिसी की तहत कंटेंट के सभी अधिकार सुरक्षित)


---ओंकार सिंह विवेक 

16 comments:

  1. बेहतरीन ग़ज़ल

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 16 सितंबर 2022 को 'आप को फ़ुरसत कहाँ' (चर्चा अंक 4553) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

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  3. शानदार ,ज्ञानवर्धक संप्रेषण

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  4. शानदार , ज्ञानवर्धक संप्रेषण आदरणीय

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  5. प्रकृति और पर्यावरण के लिए गहरी चिन्ता के साथ बेहतरीन प्रस्तुति।

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय 🙏🙏

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  6. वाह! गज़ब 👌
    काव्य के साथ भूमिका सराहनीय।

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  7. Bahut sundar hai
    Vah kya baat hai

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