September 19, 2022

अखिल भारतीय काव्य धारा रामपुर का लखनऊ कवि सम्मेलन



अखिल भारतीय काव्यधारा रामपुर की लखनऊ इकाई का आज़ादी का अमृत महोत्सव कवि सम्मेलन तथा साहित्यकार सम्मान समारोह 
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         --- ओंकार सिंह विवेक 
वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय श्री जितेंद्र कमल आनंद जी द्वारा स्थापित अखिल भारतीय काव्य धारा साहित्यिक संस्था की लखनऊ शाखा द्वारा दिनांक १८सितंबर ,२०२२ को बंसल लॉन, विक्रमनगर, मानक नगर लखनऊ में एक शानदार कवि सम्मेलन और साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन संपन्न हुआ।

इस कार्यक्रम में स्थानीय साहित्यकारों के अतिरिक्त दूर-दूर से आए २५ साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।

सांय ५ बजे कार्यक्रम के अध्यक्ष जितेंद्र कमल आनंद,मुख्य अतिथि ओंकार सिंह विवेक,डाक्टर शिवभजन कमलेश, प्रेमशंकर शास्त्री तथा विशिष्ठ अतिथि देवेंद्र सिंह यादव जीतू जी ने मां सरस्वती की छवि के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित और पुष्प अर्पित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए बरेली की साहित्यकार राजबाला धैर्य द्वारा सर्वप्रथम रश्मि लहर जी को सरस्वती वंदना हेतु मंच पर आमंत्रित किया गया।इसके पश्चात साहित्यकारों को क्रमवार रचना पाठ हेतु आमंत्रित किया जाता रहा।सभी रचनाकारों ने आज़ादी का अमृत महोत्सव, राजभाषा हिंदी और अन्य विभिन्न सामयिक विषयों को लेकर अपनी मोहक प्रस्तुतियों से देर रात तक चले इस कार्यक्रम में श्रोताओं को बांधे रखा।
कुछ रचनाकारों के कविता पाठ की पंक्तियां आवलोकनार्थ प्रस्तुत हैं :
बरेली से राजबाला धैर्य 
 जाति धर्म पर लफड़े-झगड़े,क्षेत्रवाद पर दंगे, 
 भूल सभ्यता देवभूमि की काम करें बेढंगे। 

संस्था-अध्यक्ष जितेंद्र कमल आनंद रामपुर से
 आंधियाँ आएँ तो आने दो कमल,
लिपटी शाखों से तितलियां देखीं।

लखनऊ से डा शिव भजन कमलेश 
आँधियों सर उठाओ नहीं, हम अमन चाहते, 
तुम सताओं नहीं।

रामपुर से पंडित जगदीश शर्मा मधुर
 सीमा पर एक जवान जो शहीद हो गया, 
 वीरता के बीज वो भारत में बो गया।  

 लखनऊ से वर्षा श्रीवास्तव 
 लोरियों की धुन सी लग रही हैं गीतिका, 
 अक्षरों का ज्ञान दे रहीं हैं वीथिका।
 गीत लग रहें हैं जैसे यज्ञ का हवन, 
 हिन्द को प्रणाम मेरी, हिन्दी को प्रणाम।

रामपुर से ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक ने हिंदी भाषा को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा :

अंगरेजी ने आज सब, बदल दिया परिवेश,
कहां  रह  गया हिंद अब, हिंदी वाला देश।

सब भाषाएं सीखिए,लेकिन रखिए ध्यान,
किसी दशा में हो नहीं,हिंदी का अपमान।

लखनऊ से अशोक पाण्डेय अनहद
 पूरे भारत संग जगत में अलख जगाएं ऐसी, 
 दुनिया का संपर्क सूत्र बन जाए हिंदी भाषा। 

लखनऊ से कवयित्री रश्मि लहर 
काश हो ना युद्ध, ना संहार फिर,
देश के नव-रुप को आते लिखूँ अब। 
इन कवियों के अतिरिक्त संजय कुमार श्रीवास्तव सागर, मनोज यादव, संजय हमनवा,कुलदीप नारायण, मीना लोकेश,रेनू यादव, सुरेखा अग्रवाल स्वरा, पूनम मिश्रा, प्रिया सिंह, स्वधा रविंद्र उत्कर्षिता, महेंद्र पाल सिंह यादव, डॉ आलोक कुमार यादव आदि साहित्यकारों ने भी अपना काव्य पाठ प्रस्तुत किया।

काव्यपाठ के मध्य ही साहित्यिक सेवाओं हेतु साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र और अंगवस्त्र आदि भेंट करके अखिल भारतीय काव्य धारा और सुरभि कल्चरल ग्रुप द्वारा सम्मानित करने का सिलसिला निरंतर जारी रहा। 
कार्यक्रम में संस्था द्वारा प्रकाशित "आज़ादी का अमृत महोत्सव" काव्य संग्रह का मंचासीन अतिथियों द्वारा लोकार्पण भी किया गया। 

इस बीच काव्यधारा की लखनऊ इकाई का गठन करते हुए संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने रश्मि लहर जी को उपाध्यक्ष तथा आचार्य प्रेम शंकर शास्त्री जी को महासचिव नियुक्त किया। शैलेंद्र सक्सैना जी पूर्व में ही संस्था के सचिव नियुक्त किए जा चुके हैं।
कार्यक्रम के कुछ और चित्र तथा मीडिया कवरेज

कार्यक्रम के अंत में समापन भाषण में मुख्य अथिति ओंकार सिंह विवेक ने कहा कि संस्था और इसके संस्थापक श्री आनंद जी द्वारा हिंदी के संवर्धन  हेतु किए जा रहे प्रयास वंदनीय हैं ।उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसी संस्थाओं का तन-मन और धन से सहयोग करना चाहिए। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर शिवभजन कमलेश जी ने संस्था के संरक्षक श्री आनंद जी के बड़े भाई प्रसिद्ध साहित्यकार श्री वीरेन्द्र सरल जी के साथ अपने आत्मीय संबंध और अपनी साहित्यिक यात्रा का स्मरण करते हुए संस्था की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की। विशिष्ट अतिथि श्री देवेंद्र सिंह यादव जीतू जी ने संस्था के ऐसे आयोजनों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए भविष्य में भी ऐसे आयोजनों में अपनी ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया।संस्था-अध्यक्ष श्री आनंद जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करके उनका उद्देश्य हिंदी भाषा की सेवा करना और नए साहित्यकारों को मंच प्रदान करके उनकी प्रतिभा को निखारना हैं।संस्था की लखनऊ इकाई के महासचिव श्री प्रेम शंकर शास्त्री जी ने अपने काव्य पाठ के उपरांत सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम समापन की घोषणा की। कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के अन्य पदाधिकारियों के अतिरिक्त सचिव शैलेंद्र सक्सैना जी और उनकी धर्म पत्नी का विशेष सहयोग रहा।

     ओंकार सिंह विवेक
     गजलकार,समीक्षक, कॉन्टेंट राइटर, ब्लॉगर
 (ब्लॉगर की कॉन्टेंट पॉलिसी के तहत सर्वाधिकार सुरक्षित)




  

4 comments:

  1. सुखद, बहुत बहुत शुभकामनाएं!

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    1. स्मरणीय रहेंगे ये सुखद पल, सुखद अहसास

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