अपनी बात ग़ज़ल के साथ
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--ओंकार सिंह विवेक
साथियो नमस्कार🙏🙏
"दिल्ली रचनाकार-1" हिंदी साहित्य का एक प्रतिष्ठित व्हाट्सएप्प ग्रुप है जहाँ माह के किसी एक मंगलवार को मुझे भी ग़ज़ल समीक्षक के रूप में अपने दायित्व का निर्वहन करना होता है।समीक्षा कार्य के साथ-साथ कभी-कभार ग़ज़ल के संबंध में पटल पर अपने अनुभव और जानकारी भी मैं साझा करता रहता हूँ।इस बार पटल पर जो तरही मिसरा ग़ज़ल कहने के लिए दिया गया था उस पर लोगों द्वारा कही 22गई ग़ज़लों की समीक्षा करते समय कुछ विचार पटल पर नए सीखने वालों के साथ साझा किए थे जो यहाँ भी उद्धृत कर रहा हूँ--
निःसंदेह पटल से जहाँ एक ओर कुछ मँझे हुए ग़ज़लकार जुड़े हुए हैं तो ख़ासी तादाद में सीखने में रुचि रखने वाले रचनाकार भी हैं जो शिद्दत से सीखने का प्रयास कर भी रहे हैं। जो मँझे हुए कलाकार हैं उनके बारे में कुछ कहना तो सूरज को दिया दिखाने जैसी बात होगी।
अतः मैं दूसरी श्रेणी अर्थात सीखने वालों के साथ कुछ बातें साझा करना चाहता हूँ ।ये कुछ ऐसी बातें हैं जिन पर अमल करके मैं ग़ज़ल के विद्यार्थी के रूप में अपने सर्जन में निखार का निरंतर प्रयास कर रहा हूँ,शायद औरों को भी इससे फ़ायदा हो।
*अधिकांश लोग बह्र को साधने में समर्थ दिखाई पड़ते हैं।
• हो यह रहा है कि बह्र तो खींच-तानकर लोग पूरी कर रहे हैं परंतु वाक्य विन्यास,मानक वर्तनी और कहन पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं।
• ग़ज़ल में जितनी महत्वपूर्ण बात बह्र साधना और क़ाफ़िए मिलाना है उतना ही महत्वपूर्ण कहन और मिसरों में रब्त का होना है।अतः इस ओर अभी और अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है।
मिसरों में रब्त न होने का एक उदाहरण देखिए--
करने चले थे होम,मगर हाथ जल गए,
हम यूँ हँसे कि आँख से आँसू निकल गए।
उक्त मतले की पहली और दूसरी -दोनों ही पंक्तियाँ अलग-अलग अर्थ दे रही हैं।होम करते समय हाथ जलने से हँसने का कोई तालमेल नहीं है अतः यह शेर बेमानी हो जाता है।
पटल पर ऐसा बहुत देखने में आ रहा है।लोग पहला मिसरा अच्छा-भला कहते -कहते दूसरे मिसरे में प्रसंग ही बदल देते हैं जो बिल्कुल भी उचित नहीं।
• ग़ज़ल को सिन्फ़-ए-नाज़ुक इसलिए ही कहा जाता है कि यह लफ़्ज़ों के साथ बहुत नाज़ुक बर्ताव चाहती है।सिर्फ़ बह्र/मात्रा पूरी करने के लिए भारी-भरकम या असंगत शब्दों को ठूँस देने से शेर की कहन ही बिगड़ जाती है अतः यह पहलू बहुत अधिक ध्यान चाहता है।
• कहने और बताने को बहुत सी बातें हैं पर सब कुछ एक सिटिंग में मुमकिन नहीं है।
• सीखने-सिखाने का क्रम जीवन भर चलता है अतः हमें बिना किसी ईगो के जिस पर भी (सीनियर/जूनियर का भेद छोड़कर) हमसे अधिक जो भी ज्ञान है उसे सीखना और लेना चाहिए।
• यहाँ तो ऐसा नहीं देखने में आया पर कई पटलों पर देखने में आया है कि लोग अपनी रचनाओं पर वाह वाह की टिप्पणियाँ तो सार्वजनिक रूप से पटल पर चाहते हैं लेकिन आलोचनात्मक टिप्पणी इनबॉक्स में चाहते हैं जो किसी भी समीक्षक के लिए बड़ी विचित्र स्थिति होती है।यदि सीखने की ललक है तो शालीनता से की गई समीक्षात्मक/आलोचनात्मक टिप्पणियों को सह्रदयता से लेना चाहिए इसमें सीनियर और जूनियर जैसी कोई दीवार बीच में नहीं आनी चाहिए।हाँ, जूनियर लोगों का भी यह दायित्व बनता है कि आलोचनात्मक टिप्पणी शालीनता के साथ करें।सीखने और सिखाने का यह सिलसिला बना रहना चाहिए क्योंकि इसी में सुधार और निखार की संभावना छिपी है।
लीजिए पेश है तरही मिसरे पर मेरी भी एक ग़ज़ल
मिसरा -- दिल किसी का दुखा नहीं सकते ।
2122 1212 22 /112 फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
ग़ज़ल : ओंकार सिंह विवेक
©️
ख़ुद को गर आज़मा नहीं सकते,
तय है,मंज़िल भी पा नहीं सकते।
जानते हैं जो वक़्त की क़ीमत,
एक पल भी गँवा नहीं सकते।
हमको ही बख़्श देंगे ये नेमत,
पेड़ फल ख़ुद तो खा नहीं सकते।
©️
कितनी मतलब परस्त है दुनिया,
आपको कुछ बता नहीं सकते।
इस तरह तो हमें न भटकाओ,
राह गर तुम दिखा नहीं सकते।
फिर तो उम्मीद छोड़ दें सुख की,
दुख अगर कुछ उठा नहीं सकते।
जिनका संवेदना से रिश्ता है,
"दिल किसी का दुखा नहीं सकते"।
एक मज़लूम की सदा को 'विवेक',
आप अब यूँ दबा नहीं सकते।
©️ ओंकार सिंह विवेक
ओंकार सिंह विवेक --ग़ज़लकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१५-०४ -२०२२ ) को
'तुम्हें छू कर, गीतों का अंकुर फिर उगाना है'(चर्चा अंक -४४०१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक आभार आपका🙏🙏
Deleteप्रेरक ग़ज़ल !
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका🙏🙏
Deleteनिश्चित ही ग़ज़ल के संबंध में आपकी ये सीख नौसिखियों के बेहद काम आने वाली होगी...धन्यवाद इस तरह आसान शब्दों में समझाने के लिए...
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका🙏🙏🌷
Deleteलाजवाब ग़ज़ल, और महत्वपूर्ण जानकारियां भी। सादर नमस्कार आपको 🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteमान्यवर हार्दिक आभार🙏🙏🌷🌷
Deleteसार्थक और सटीक जानकारी
ReplyDeleteबेहद उम्दा गज़ल
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबेहतरीन ग़ज़ल और उपयोगी जानकारी नौसिखियों के लिए।
ReplyDeleteअतिशय आभार आपका🙏🙏
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