January 8, 2022

बड़ी दिलकश तुम्हारी शायरी है

ग़ज़ल--  ©️ओंकार सिंह विवेक
©️
यूँ   लगता   है,  गुलों   की  ताज़गी  है,
बड़ी    दिलकश   तुम्हारी   शायरी   है।

कमी   कुछ  आपसी   विश्वास   की  है, 
अगर  बुनियाद  रिश्तों   की   हिली  है।

न   जाने     ऊँट   बैठे    कौन   करवट,
दिये   की   फिर   हवाओं   से  ठनी  है।
©️
ज़ुबां  से   फिर  गया  है  वो   भी  देखो,
जिसे   समझा,   उसूलों   का   धनी  है।

किए    हैं    तीरगी    से    हाथ   दो-दो,
मिली   यूँ   ही    नहीं   ये    रौशनी   है।

सो  उसकी   फ़िक्र तो  होगी ही   आला,
किताबों   से    जो   गहरी    दोस्ती   है।

सदा  है   मौत   के  साये   में,  फिर  भी,
सँवरती   और     सजती     ज़िंदगी   है।
       ----©️ ओंकार सिंह विवेक

10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 09 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    Replies
    1. हार्दिक आभार यादव जी

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  2. बहुत खूब साहब जी🙏🙏🌹🌹👍👍

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  3. बहुत ही लाजवाब गजल

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  4. बहुत सुन्दर !
    सीधी-सादी, सच्ची बात !

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  5. शानदार ग़ज़ल हर शेर लाजवाब।
    उम्दा सृजन।

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