June 20, 2021

फादर्स-डे स्पेशल

आज पिता-दिवस पर पिता श्री
को समर्पित एक ग़ज़ल
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        ---- ओंकार सिंह विवेक
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मफ़ऊ लु    मफ़ाईलु    मफ़ाईलु    फ़ऊलुन
©️ 
मेरी  सभी  ख़ुशियों  का  हैं आधार पिता जी,
और माँ के भी जीवन का हैं शृंगार पिता जी।
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सप्ताह  में   हैं  सातों  दिवस  काम  पे  जाते,
जानें   नहीं  क्या  होता  है  इतवार पिता जी।
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हालाँकि ज़ियादा  नहीं  कुछ आय के साधन,
फिर  भी  चला  ही लेते हैं परिवार पिता जी।
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ख़ैरात   किसी   की  भी  गवारा  नहीं  करते,
है   फ़ख़्र   मुझे , हैं   बड़े  ख़ुद्दार   पिता  जी।
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दुख  अपना  बताते  नहीं ,पर  सबका हमेशा,
ग़म   बाँटने   को  रहते  हैं  तैयार  पिता  जी।
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दुनिया बड़ी ज़ालिम है , सजग हर घड़ी रहना,
समझाते  हैं  मुझको  यही  हर बार पिता जी।
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ये  आपकी  ही सीख का है मुझ पे असर,जो-
विपदा  से   नहीं  मानता   मैं  हार  पिता  जी।
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पीटो   मुझे   या   चाहे   कभी   कान  मरोड़ो,
हर  बात  का  है आपको अधिकार पिता जी।
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सर  से  न   उठे  मेरे  कभी  आप  का  साया,
मिलता  रहे  बस  यूँ ही सदा  प्यार पिता जी।
🌹 
 ©️ ओंकार सिंह विवेक
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