अभी कुछ दिन पहले तक लग रहा था कि हम कोरोना जैसी घातक बीमारी से जंग जीतने के आख़िरी चरण में पहुँच चुके हैं।परंतु पिछले कुछ दिनों से तेज़ी से बढ़ते कोरोना के केस देखकर लग रहा है कि हम पहले से भी कहीं ज़्यादा प्रचंड कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आ गए हैं।यह बहुत चिंता की बात है।इधर देखने में आ रहा है कि लोग अब कोरोना को बहुत हल्के में लेने लग गए हैं।मास्क,दो गज दूरी और सेनेटाइजर और साफ-सफ़ाई के प्रति अचानक लोगों की उदासीनता ने कोरोना के ख़तरे को फिर से बढ़ा दिया है।इस दूसरी लहर में भारत में नौजवान पीढ़ी कोरोना से बहुत अधिक प्रभावित होती नजर आ रही है इसलिए बुज़ुर्गों के साथ ही नौजवानों को ख़ासतौर पर सावधानी बरतने की ज़रूरत है।हम सब को यह समझने की ज़रूरत है कि कोरोना का ख़तरा अभी टला नहीं है वरन एक नए स्ट्रेन के रूप में और बड़ी तैयारी के साथ हमारे सामने खड़ा है।हमें सावधानी रखते हुए इसे हराने के फिर से प्रण करना है।अतः सभी से अनुरोध है कि सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइंस का पालन करें और अपनी सेहत का ख़्याल रखें।
भारत के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने कोरोना वैक्सीन का निर्माण करके विश्व को अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और असाधरण प्रतिभा का परिचय दिया है।अतः हमारा दायित्व है कि हम देश के वैज्ञानिकों को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दें और कोरोना के विरुद्ध अपनी प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए कोरोना
वैक्सीन को जल्दी से जल्दी लगवाएँ।इसमें किसी भी तरह के संशय और संदेह को मन में न पनपने दें।कोरोना वैक्सीन पूरी तरह से टेस्टेड और सुरक्षित है।मैंने भी कल ज़िला चिकित्सालय रामपुर-उ0प्र0 में जाकर अपनी पत्नी के साथ निःशुल्क कोरोना वैक्सीन लगवाई ।हमें किसी प्रकार की कोई परेशानी महसूस नहीं हुई।
आओ टीका लगवाएँ
कोरोना को निबटाएँ।
----ओंकार सिंह विवेक
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-04-2021) को "आओ कोरोना का टीका लगवाएँ" (चर्चा अंक-4029) पर भी होगी।
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मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। परन्तु प्रसन्नता की बात यह है कि ब्लॉग अब भी लिखे जा रहे हैं और नये ब्लॉगों का सृजन भी हो रहा है।आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत अच्छी रचना
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