हर व्यक्ति,देश या सरकार एक सीमा तक ही किसी आपात स्थिति से निपटने की पूर्व तैयारियों से सज्जित होते हैं।यदि कोई आपदा यकायक ही विकराल रूप धारण कर ले तो संसाधनों या सुरक्षा उपायों की अपर्याप्तता का सामना तो करना ही पड़ता है। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि हम मात्र सिस्टम को ही दोष न दें अपितु अवसर की गंभीरता को समझते हुए जितना भी बन पड़े पीड़ितों और प्रभावित लोगों की मदद करें और अपना मनोबल ऊँचा रखते हुए सबका आत्मविश्वास और हौसला बढ़ाने का वातावरण बनाने में अपना योगदान दें, यही मानवता की सबसे बड़ी सेवा होगी।
आज दुनिया जिस संकट से गुज़र रही है वह संकट बहुत जल्दी ही दूर होगा और गुलशन फिर से पहले जैसा ही हँसे और मुस्काएगा इसी आशा और विश्वास के साथ--
ओंकार सिंह विवेक🙏🙏🌹🌹🌷🌷🇬🇳🇬🇳👍👍
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ओंकार सिंह विवेक
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