August 27, 2020

ज़िंदगी से

ग़ज़ल--ओंकार  सिंह विवेक
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शिकायत  कुछ  नहीं  है  ज़िंदगी से,
मिला  जितना मुझे हूँ ख़ुश उसी से।
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मुक़द्दर   से   गिला  वे  कर  रहे  हैं,
हुए  नाकाम  जो  अपनी  कमी  से।
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ज़रुरत   और   मजबूरी  जगत   में,
कराती  हैं  न  क्या क्या आदमी से।
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जिन्होंने  आस  का  दीपक जलाया,
हुए  वे  एक दिन परिचित ख़ुशी से।
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असर कुछ कर न पाये जो दिलों पर,
नहीं   है  फ़ायदा   उस   शायरी   से।
🌷
                   ----ओंकार सिंह विवेक

5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-08-2020) को    "समय व्यतीत करने के लिए"  (चर्चा अंक-3808)    पर भी होगी। 
    --
    श्री गणेश चतुर्थी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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  2. बहुत बढ़िया ग़ज़ल।

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