चंद अशआर कोरोना काल में बदले चिंतन के परिणामस्वरूप कुछ यों भी हुए)
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सूनी सड़कें , गलियाँ-ओ- बाज़ार नहीं रहने,
और बहुत दिन धुँधले मंज़र यार नहीं रहने।
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-----ओंकार सिंह विवेक
बहुत ख़ूब ... अच्छा शेर है ...
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु आभार मान्यवर
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