August 25, 2020

पहले जैसे लोगों के व्यवहार नहीं रहने

चंद अशआर कोरोना काल में बदले चिंतन के परिणामस्वरूप कुछ यों भी हुए)
----------------------------------------------------------
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

सूनी  सड़कें , गलियाँ-ओ- बाज़ार  नहीं  रहने,
और  बहुत  दिन  धुँधले  मंज़र यार नहीं रहने।

🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
    -----ओंकार सिंह विवेक
       आगे पढ़िए------

2 comments:

  1. बहुत ख़ूब ... अच्छा शेर है ...

    ReplyDelete
  2. उत्साहवर्धन हेतु आभार मान्यवर

    ReplyDelete

Featured Post

सामाजिक सरोकारों की शायरी

कवि/शायर अपने आसपास जो देखता और महसूस करता है उसे ही अपने चिंतन की उड़ान और शिल्प कौशल के माध्यम से कविता या शायरी में ढालकर प्र...