श्री दीक्षित दनकौरी जी के संयोजन में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले ग़ज़ल कुंभ कार्यक्रम में पिछले कई सालों से मैं सहभागिता करता आ रहा हूं।इस कार्यक्रम में देश भर के बहुत अच्छे ग़ज़लकार ग़ज़ल पाठ हेतु उपस्थित होते हैं।इस बार के ग़ज़ल कुंभ हरिद्वार में भी हमेशा की तरह ग़ज़ल पाठ करना बहुत सुखद अनुभव रहा।तमाम ग़ज़लकारों का बेहतरीन कलाम सुनने मिला। कई अच्छे लोगों से मुलाक़ात हुई।उनसे उनके क्षेत्रों में चल रही साहित्यिक गतिविधियों के बारे में सार्थक बातचीत हुई।यों तो तमाम साहित्यकारों से मुलाक़ात और बातचीत हुई उस अवसर पर लेकिन कुछ लोगों से मुलाक़ात ख़ास रही।
नीचे की तस्वीर में साथियों प्रदीप माहिर, राजवीर सिंह राज़ और मेरे साथ दाएं से बाएं दूसरे नंबर पर टोपी लगाए जो सज्जन दिखाई दे रहे हैं वह हैं फगवाड़ा, पंजाब से साहित्यकार मनोज फगवाड़वी जी।बहुत विनम्र प्रकृति के इंसान हैं।उनसे साहित्यिक कार्यक्रमों में मुलाक़ात के साथ-साथ कभी-कभार फ़ोन पर भी बात होती रहती है।
आपने स्वयं द्वारा संपादित काव्य संग्रह 'डाल-डाल के पंछी' की प्रति भी मुझे भेंट की।इस संकलन में कई वरिष्ठ और नवोदित रचनाकारों की रचनाएँ संकलित की गई हैं।
'डाल डाल के पंछी' में समसामयिक विषयों पर भावना प्रधान काफ़ी रचनाएँ देखने में आईं जो नव रचनकारों में छिपी काव्य प्रतिभा की ओर संकेत करती हैं। श्री मनोज फगवाड़वी जी का यह प्रयास प्रशंसनीय है।इस संकलन में मनोज फगवाड़वी जी अपनी एक ग़ज़ल में कहते हैं :
शिकवा भुला के प्यार जताना भी चाहिए,
रूठा हो गर सनम तो मनाना भी चाहिए।
मौला ने गर किया है तेरा मर्तबा बुलंद,
गिरता हुआ ग़रीब उठाना भी चाहिए।
--- मनोज फगवाड़वी
नीचे के चित्र में हम तीनों साथियों के साथ दाएं से बाईं तरफ़ को दूसरे साहित्यकार श्री हीरा लाल यादव जी हैं जो मुंबई में रहते हैं। सोशल मीडिया पर कई साहित्यिक ग्रुप्स में आपकी अच्छी ग़ज़लों के माध्यम से आपसे काफ़ी पहले से परिचय रहा है परंतु रूबरू मुलाक़ात का यह पहला अवसर था। यादव जी बहुत विनम्र व्यक्ति हैं।पहली ही मुलाक़ात में हम लोग उनसे बहुत प्रभावित हुए। श्री हीरा लाल यादव जी के कुछ अशआर यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ताकि आपको उनके श्रेष्ठ सृजन की जानकारी हो सके --
बिन तेरे कुछ मेरी ज़िन्दगानी नहीं,
ये हक़ीक़त है, कोई कहानी नहीं।
आशना ख़ुद से हूँ इसलिए साथियो,
बात करता कभी आसमानी नहीं।
-- हीरा लाल यादव हीरा
आइए एक और उम्दा शख़्सियत से आपकी मुलाक़ात कराते हैं।नीचे तस्वीर में दाईं ओर से बाएं तरफ़ तीसरे नंबर पर हैं जनाब रविन्द्र शर्मा रवि जी जो अंबाला, हरियाणा से आते हैं। शिक्षा विभाग में अच्छे पद पर कार्यरत हैं।अच्छे साहित्यकार और अभिनेता/कलाकार होने के साथ-साथ बहुत मृदु व्यवहार के स्वामी हैं।बहुत अच्छे शेर कहते हैं और अक्सर ही आपसे मेरी फ़ोन पर भी बात होती रहती है।आपके सृजन की बानगी यहाँ प्रस्तुत है :
इक ज़ंग खाई हाथ में तलवार देखकर,
हैरां हूं दुश्मन का ये मेयार देखकर।
वो अगले मोड़ पे मिला औंधा पड़ा हुआ,
मैं दंग था जिस शख्स की रफ़्तार देखकर।
रविन्द्र "रवि"
नीचे तस्वीर में मेरे साथ आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक जनाब ख़ुर्रम नूर साहब हैं।आप नेवी से रिटायर्ड ऑफ़िसर तथा बहुत अच्छे शायर हैं।आपसे भी अक्सर ही साहित्यिक कार्यक्रमों में मुलाक़ात होती रहती है। आप जब भी मिलते हैं बहुत आत्मीयता और ज़िंदादिली के साथ मिलते हैं।हम लोगों ने कई बार एक साथ साहित्यिक मंच साझा किए हैं।
ख़ुर्रम साहब कितने अच्छे शायर हैं इस बात का अंदाज़ा आपको उनके नीचे कोट किए इन चार मिसरों से हो जाएगा जो उन्होंने अपने विभाग नेवी से अपने प्यार को दर्शाते हुए कहे हैं :
झुलसते हैं जो गर्मी में तो सर्दी याद आती है।
जवानी सरज़मीं के नाम करदी, याद आती है ।
वो कहते हैं, मेरे ऊपर तो सारे रंग फबते हैं,
मगर मुझको मेरी नेवी की वर्दी याद आती है!
--- ख़ुर्रम नूर
इतना सहमा-सहमा क्यूं है,
बात मेरी झुठलाता क्यूं है।
घटता जाता है कद उसका,
मुझको ऐसा लगता क्यूं है।
--- दर्द गढ़वाली
इस बार के ग़ज़ल कुंभ में रचनाकार साहित्यिक समूह से जुड़ी हुई एक अच्छी रचनाकार डॉo उषा झा रेणु से मुलाक़ात भी उल्लेखनीय रही।
उषा जी उच्च शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं और साहित्य की अनेक विधाओं में सृजन करती हैं। यद्यपि आप एक शिक्षक हैं परंतु ग़ज़ल विधा को लगन पूर्वक सीखने का आपका विद्यार्थी भाव भी सराहनीय है। उषा जी ने अपने ग़ज़ल संग्रह 'नदी की प्यास' की प्रति भी मुझे भेंट की, जिस पर समय निकालकर में शीघ्र ही कुछ लिखूंगा।
ऐसे उम्दा लोगों से मिलकर दिल को बहुत ख़ुशी हासिल हुई। ईश्वर इन सबको दीर्घायु प्रदान करें ताकि ये लोग यों ही अपने श्रेष्ठ सृजन से समाज को जागरूक करते रहें। अपनी पुरानी ग़ज़ल के एक शेर के साथ बात ख़त्म करता हूं :
अच्छे लोगों में जो उठना-बैठना हो जाएगा,
फिर कुशादा सोच का भी दायरा हो जाएगा।
-- ओंकार सिंह विवेक
Presented by -- Onkar Singh 'Vivek'
Poet/Content writer/Critic/Text blogger
विवेक जी, आप अच्छे शायर अच्छे बलौगर ही नहीं बहुत प्यारे इंसान भी हैं। दोस्तनवाज़ी का शुक्रिया।
ReplyDeleteमुहब्बत है आपकी🙏🙏
Deleteआप से मुलाक़ात करना जीवन का यादगार अनुभव रहा, इतनी आत्मीयता व इतना स्नेह मिलना बड़े भाग्य की बात है। आप बेहतरीन साहित्यकार तो हैं ही, उससे भी बढ़कर आप बेहतरीन इंसान हैं। सबको अपना बना लेने का हुनर आप में हैं।
ReplyDeleteबेहद शुक्रिया आपका 🙏🙏
DeleteThnks a lot
ReplyDelete🙏🙏
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