February 4, 2025

वसंत पंचमी पर पल्लव काव्य मंच की काव्य गोष्ठी संपन्न


विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का प्रादुर्भाव दिवस है वसंत पंचमी।शारदे संगीत, कला, विद्या तथा ज्ञान की देवी हैं।ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा के आदेश पर सरस्वती माता ने अपनी वीणा से इस संसार को वाणी प्रदान की थी। वसंत पंचमी का पावन अवसर हमें अपनी मौलिक रचनात्मकता को उन्नत करने के लिए चिंतन को प्रेरित करता है।
पल्लव काव्य मंच की ओर से वसंत पंचमी के अवसर पर एकता विहार स्थित राजीव कुमार शर्मा के आवास पर काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी की अध्यक्षता शिवकुमार चंदन ने की,मुख्य अतिथि जावेद रहीम,विशिष्ट अतिथि कविवर ओंकार सिंह विवेक रहे।संचालन मंच के महासचिव प्रदीप राजपूत माहिर ने किया।
माँ शारदे के सम्मुख दीप जलाकर ,पुष्प और मालाओं से अर्चना की गई ।कवयित्री डाॅ०प्रीति अग्रवाल की सरस्वती वंदना से काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ हुआ।
कविवर पतराम सिंह ने काव्य पाठ  करते हुए कहा 
हे ऋतुराज वसंत सभागत सुषमा का संचार लिए ।
पीताम्बर  धारण  धरा , नव  सृजन  का सार लिए ।।

पल्लव काव्य मंच के उपाध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक ने  दोहा छंद मे माँ सरस्वती से विनय करते हुए कहा --- 
हो मेरा चिन्तन प्रखर , बढ़े निरन्तर ज्ञान ।
है  माँ  वीणा वादिनी , दो  ऐसा  वरदान ।।

युवा कवि गौरव कुमार नायक ने  काव्य पाठ करते हुए कहा ,

मैं  हिज्र और विशाल से आगे की चीज हूँ ।
यानी  किसी  ख्याल  से आगे की चीज हूँ ।।

कविवर विनोद कुमार शर्मा ने माँ शारदे की मनुहार करते हुए दोहा छंद में काव्य पाठ करते हुए कहा ।

कृपा करो माँ शारदे , दे दो मुझको ज्ञान ।
चले सदा यह  लेखनी , ऐसा दो वरदान ।।

इसी क्रम में कविवर सुमित सिंह ने कहा ,

घर का आँगन है छोटा मगर,रहने वालों का दिल है बड़ा ।
खुश्बुऐं प्यार  की  हैं  यहाँ  , नफरतों   का  बसेरा नहीं ।।

कवयित्री डाॅ० प्रीति अग्रवाल ने सनातन धर्म का आधार वेदों को बताते हुए दोहा छंद में काव्य पाठ  कुछ यों  किया -- 
वेद  सनातन  धर्म के , शाश्वत  हैं  आधार ।
इनमें ही हमको मिला ,सारे  जग  का सार ।।

कविवर सुधाकर सिंह ने काव्य पाठ करते हुए कहा ।

इस जम्हूरियत का एक दरम्यानी इन्सान हूँ ।
जो दिखता नहीं तुम्हें , वो  मैं  हिन्दुस्तान हूँ ।।

शायर अश्फाक ज़ैदी  ने कुछ इस तरह कहा ।

हमसे  मत  पूछिए  , अरमान हमारा क्या है ।
और कुछ दिन के हैं ,मेहमान हमारा क्या है ।।

कवि जावेद रहीम ने कहा ,

ग़मों का हिसाब अब जात पात  से होगा 
किस  धर्म  के  हो , इस  बात   से  होगा 
दुख और सुख  अपने  पराये  होने  लगे 
इन्तेखाबे मुहब्बत अब अदावत से होगा

कविवर  राजीव कुमार शर्मा ने कहा ,

चमन   दर  चमन  रहगुजर  है हमारी 
कभी खार  ने अपना  पीछा न छोड़ा
मुहब्बत तो की हमसे सच  है उन्होने
मगर  बन्दिशों ने  कहीं का  न छोड़ा 

कवि प्रदीप राजपूत ने कहा -- 
आगे   मत  लाचारी  रख
कुछ तो बात  हमारी रख 
अध्यक्षता कर रहे शिव कुमार चंदन ने अपना काव्य पाठ करते हुए कहा ।
ममतामयी   हे  नेहमयी  माँ ! कृपा   दृष्टि  डारो 
ज्योतिर्मय  होवें  घर - आँगन  दिव्य  दीप  बारो
झंकारो   वीणा   मनभावन , बृन्दावन   कर  दो 
गहन तमसमय जन जीवन में ,उजियारा भर दो

इस अवसर पर गोविन्द शर्मा,अशोक सक्सेना ,सीताराम शर्मा,आभा कमल सक्सेना ,डाॅ० सरोजनी शर्मा,अशोक सक्सैना आदि उपस्थित रहे ।
अन्त में काव्य गोष्ठी के आयोजक राजीव कुमार शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया ।


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