April 4, 2025

अलविदा मनोज कुमार 🌹🌹🙏🙏


अलविदा मनोज कुमार जी 
*********************
          (चित्र : गूगल से साभार) 

हिन्दी फ़िल्म उद्योग के एक बड़े अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार जी का आज निधन हो गया जो फ़िल्म उद्योग के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।
स्मृतिशेष मनोज कुमार जी की फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े तमाम लोगों से एक अलग बात जो प्रभावित करती है वह यह है कि उन्होंने विशुद्ध मसाला फ़िल्मों पर ज़ोर न देकर ऐसी फ़िल्मों के निर्माण को तरजीह दी जिनमें विशुद्ध मसाला फ़िल्मों से हटकर सामाजिक सरोकार भी प्रमुखता से चित्रित किए गए। ऐसा नहीं कि उनकी फ़िल्मों में बॉक्स ऑफिस मसाला नहीं होता था परंतु सामाजिक सरोकारों का पक्ष भी उनकी फ़िल्मों में शिद्दत से उभर कर आता था।उनकी देश प्रेम की भावना पर आधारित फिल्मों के कारण ही उन्हें भारत कुमार कहकर भी संबोधित किया जाने लगा था। चाहे साहित्यिक कला हो या सिनेमा की कला, सबमें सामाजिक,मानवीय और राष्ट्रीय सरोकारों की बात होनी ही चाहिए। जिसमें पहलू या उद्देश्य निहित न हों वह  कला भला किस काम की।
क्या हम स्मृतिशेष मनोज कुमार जी की शोर,उपकार,शहीद या पूरब और पश्चिम जैसी फ़िल्मों को कभी भूल सकते हैं ?
मेरी तो कक्षा 7या 8 से फ़िल्में देखने की शुरूआत ही मनोज कुमार जी की फ़िल्म 'उपकार' से ही हुई थी।

भारतीय सिनेमा जगत की महान हस्ती मनोज कुमार जी को विनम्र श्रद्धांजलि 🌹🌹🙏🙏

#Shraddhanjali #bollywood #श्रद्धांजलि #ManojKumar
अपनी इस पोस्ट का समापन मनोज कुमार जी पर फिल्माए गए फ़िल्म "पूरब और पश्चिम" के गीतकार इंदीवर द्वारा रचित तथा गायक महेंद्र कपूर जी द्वारा गाए हुए इस गाने से करता हूँ :

है प्रीत जहाँ की रीत सदा,
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ।
भारत का रहने वाला हूँ,
भारत की बात सुनाता हूँ।
(प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक)

4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 06 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

    ReplyDelete

Featured Post

सामाजिक सरोकारों की शायरी

कवि/शायर अपने आसपास जो देखता और महसूस करता है उसे ही अपने चिंतन की उड़ान और शिल्प कौशल के माध्यम से कविता या शायरी में ढालकर प्र...