(आयोजक श्री रवि प्रकाश जी के साथ ग़ज़ल विधा पर चर्चा करते हुए कुछ चित्र)
(नीचे चित्र में:टैगोर काव्य गोष्ठी में रचना पाठ करते हुए कविगण)
टैगोर काव्य गोष्ठियों की श्रृंखला में आज बुधवार दिनांक २८ दिसंबर,२०२२ को एक और गोष्ठी राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय (टैगोर स्कूल) पीपल टोला, निकट मिस्टन गंज, रामपुर उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित की गई । कार्यक्रम में कविवर शिव कुमार चंदन, अनमोल रागिनी चुनमुन, श्रीमती नीलम गुप्ता, रवि प्रकाश , ओंकार सिंह विवेक तथा डॉक्टर अब्दुल रऊफ़ ख़ान ने काव्य-पाठ किया ।
आज के कार्यक्रम के मुख्य आकर्षणों में "गजल और हिंदी ग़ज़ल" के संबंध में श्री रवि प्रकाश द्वारा लिया गया मेरा(ओंकार सिंह विवेक )साक्षात्कार भी रहा। कार्यक्रम में मैंने न केवल हिंदी ग़ज़ल शीर्षक से अपनी कुछ चुनी हुई ग़ज़लें प्रस्तुत कीं अपितु यह भी स्पष्ट किया कि अब ग़ज़ल अप्रचलित अरबी-फा़रसी भाषा के शब्दों के दायरे से बाहर निकलकर आम बोलचाल की हिंदी भाषा के एक नए युग में प्रवेश कर रही है। कार्यक्रम में ग़ज़ल के उद्भव और विकास तथा वर्तमान हिंदी ग़ज़ल के कथ्य-स्वरूप तथा संभावनाओं आदि पर काफ़ी अच्छा विमर्श हुआ।
हिंदी ग़ज़ल में दुष्यंत कुमार और अदम गोंडवी जी से लेकर आज के हिंदी ग़ज़लकारों अंसार कंबरी,कमलेश भट्ट,चंद्रसेन विराट,हरेराम समीप और अशोक रावत जी जैसे तमाम अन्य ग़ज़लकारों के सक्रिय योगदान को लेकर काफ़ी बातें हुईं। ग़ज़ल की कई बहरों की हिंदी सनातनी छंदों से समानता पर काफ़ी रोचक विमर्श हुआ। नए साहित्यकारों और आमंत्रित सुधी श्रोताओं को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि हिंदी का गीतिका छंद और फ़ाइलातुन और फ़ाइलुन अरकान से बनी ग़ज़ल की एक बहर एक समान ही हैं। इससे दो भाषाओं के काव्य के अंतर्संबंधों का पता चलता है। निष्कर्ष रूप में हिंदी ग़ज़ल के भविष्य को लेकर सभी साहित्यकार एक सुर में आशान्वित नज़र आए।
कार्यक्रम में अवकाश प्राप्त भौतिक विज्ञान प्रवक्ता आनंद प्रकाश अग्रवाल, सत्संग-प्रेमी विनोद कुमार अग्रवाल तथा सहकारी युग प्रेस के स्वामी विवेक गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
अंत में श्री रविप्रकाश जी द्वारा सभी को को सुरुचिपूर्ण जलपान कराया गया और अगली गोष्ठी में मिलने का वादा करते हुए गोष्ठी के समापन की घोषणा की गई।
प्रस्तुतकर्ता : ओंकार सिंह विवेक
धन्यवाद आदरणीय ओंकार सिंह विवेक जी
ReplyDeleteरवि प्रकाश रामपुर 99976 15451
🌹🌹🙏🙏
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