April 26, 2022

अखिल भारतीय काव्यधारा रामपुर का लखनऊ में साहित्यिक अनुष्ठान संपन्न


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 
अखिल भारतीय काव्यधारा की गूँज ****************************
यदि जोश-जज़्बा और जुनून हो तो देश और समाज की विभिन्न माध्यमों से सेवा की जा सकती है।धनवान लोग आर्थिक या अन्य मूलभूत साधन उपलब्ध कराकर निर्धनों की  सहायता कर सकते हैं।राजनीति या सरकारी नौकरी में आकर भी साफ़ नीयत और उच्च नैतिक और चारित्रिक बल के द्वारा समाज की सेवा की जा सकती है या मज़बूत इच्छा शक्ति और दृण संकल्प के बल पर इसी प्रकार के अन्य सामाजिक परोपकार के कार्य किए जा सकते हैं। साहित्य सृजन के माध्यम से भी जनसामान्य को जागरूक करके देश और समाज की सेवा के कार्य में अपना योगदान किया जा सकता है।
हिंदी साहित्य सर्जन ,संवर्धन और पोषण के माध्यम से ज़िला रामपुर-उ0प्र0 की साहित्यिक संस्था अखिलभारतीय काव्यधारा अनेक वर्षों से समाज सेवा का कार्य कर रही है।संस्था के संस्थापक श्री जितेंद्र कमल आनंद जी अपने व अपनी टीम के अथक प्रयासों और  सहयोग से इस संस्था की साहित्यिक गतिविधियों का  सतत विस्तार कर रहे हैं।इसी कड़ी में रविवार दिनाँक 24 अप्रैल,2022 को अखिल भारतीय काव्यधारा की लखनऊ इकाई के सचिव शैलेंद्र सक्सैना जी के सद्प्रयासों के चलते लखनऊ में एक कवि सम्मेलन-पुस्तक लोकार्पण व सम्मान  समारोह का भव्य आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
संस्था-संस्थापक श्री आनंद जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा पार्षद श्री देवेंद्र सिंह यादव जीतू ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।कार्यक्रम में सरस्वती वंदना के पश्चात श्री शैलेंद्र सक्सैना द्वारा संचालित साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था सुरभि कल्चरल ग्रुप द्वारा पूर्व में आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता छात्रों को पुरस्कृत किया गया उसके पश्चात कवि संजय मल्होत्रा हमनवा के कुशल संचालन में कवि सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ हुआ जिसमें सहभागिता करने वाले कुछ प्रमुख कवियों के नाम इस प्रकार हैं:
1. श्री जितेंद्र कमल आनंद,रामपुर
2.डॉ0 गीता मिश्र गीत,हल्द्वानी-उत्तराखंड
3.अनमोल रागिनी चुनमुन,रामपुर
4.ओंकार सिंह विवेक,रामपुर
5.रामरतन यादव रतन,खटीमा-उत्तराखंड
6.संजय मल्होत्रा हमनवा,लखनऊ
7.डा रूपा पाण्डेय सत्यरूपा, लखनऊ      
8.डा श्वेता श्रीवास्तव,लखनऊ 
9.सरस्वती प्रसाद रावत, लखनऊ 
10.सुरेश कुमार राजवंशी, लखनऊ 
11.श्रीमती रुचि अरोरा,लखनऊ
12.मोहिनी मिश्रा,लखनऊ 
13.जितेंद्र पाल सिंह दीप, लखनऊ         आदि
सभी साहित्यकारों ने  सामाजिक सरोकारों से ओतप्रोत रचनाओं का पाठ करके अंत तक श्रोताओं को बाँधे रखा।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में संस्था द्वारा प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका "जब कुछ कह न सका" का  मुख्य अतिथि तथा मंचासीन साहित्यकारों द्वारा लोकार्पण किया गया।
          
कार्यक्रम केअंतिम चरण में मुख्यअतिथि पार्षद श्री देवेंद्र सिंह यादव जीतू द्वारा निम्न साहित्यकारों को उनके साहित्यिक अवदान के लिए सम्मान पत्र,प्रतीक चिन्ह तथा अंगवस्त्र प्रदान करके सम्मानित किया गया-

1: *डा गीता मिश्रा " गीत"*, हल्द्वानी ( नैनीताल) उ ख
        *काव्यधारा काव्यप्रज्ञा सम्मान* 
2: *डा रूपा पाण्डेय सत्यरूपा*, लखनऊ उ प्र 
        *काव्यधारा- काव्यप्रज्ञा सम्मान* 
3: *डा श्वेता श्रीवास्तव,* लखनऊ उ प्र 
        *काव्यधारा- काव्यप्रज्ञा सम्मान*
4: *श्री सरस्वती प्रसाद रावत*, लखनऊ उ प्र 
       *काव्यधारा महारथी सम्मान* 
5: *श्री सुरेश कुमार राजवंशी*, लखनऊ उ प्र 
      *काव्यधारा काव्यरथी सम्मान* 
6: *श्री संजय मल्होत्रा " हमनवा"* , लखनऊ उ प्र 
         *चेतना प्रवाह" सम्मान*
7: *श्री राम रतन यादव*, खटीमा, ऊधमसिंहनगर ( उ ख)
        *चेतना प्रवाह  सम्मान*
8: *श्री ओंकार सिंह " विवेक"* , रामपुर (उ प्र)
       *काव्यधारा महारथी सम्मान* 
"9; श्रीमती अनमोल रागिनी जी, रामपुर उ प्र 
     *काव्यधारा काव्यप्रज्ञा सम्मान*
9: *श्रीमती रुचि अरोरा*
अध्यापिका/ समाज सेविका (लखनऊ ) *चेतना प्रवाह सम्मान*
10: *मोहिनी मिश्रा* लखनऊ 
*चेतना प्रवाह सम्मान
    
इस कार्यक्रम की सफलता और अविस्मरणीय यादों के साथ यदि मैं कार्यक्रम के संयोजक संस्था सचिव श्री शैलेंद्र सक्सैना तथा उनकी पत्नी और अन्य परिजनों की मेज़बानी और आवभगत की चर्चा न करूँ तो यह ब्लॉग पोस्ट और वृतांत अधूरा रहेगा अतः यहाँ मैं इसका उल्लेख करना भी अपना नैतिक दायित्व समझता हूँ।

मेहमानदारी करना सबको अच्छा लगता है परंतु दिल से मेहमाननवाज़ी करने वाले व्यक्ति तथा परिवार विरले ही देखने में आते हैं।
इस कार्यक्रम में सहभागिता के अवसर पर संस्था-संस्थापक श्री आनंद जी के भतीजे श्री शैलेंद्र सक्सैना ,उनकी धर्म पत्नी तथा अन्य परिजनों ने हमारा जो स्वागत-सत्कार किया वह दिल को छू गया।निःसंदेह परिवार को ये गुण परिवार के मुखिया आनंद जी के बड़े भाई और साहित्यिक गुरु श्री वीरेंद्र सरल जी से ही प्राप्त हुए हैं जिनका सर्जन अध्यात्म और मानवीय मूल्यों का प्रबल पक्षधर रहा है।इस परिवार का मेहमान बनकर हमें यह बात शत-प्रतिशत सही लगी कि किसी का स्वागत-सत्कार करने के लिए घर में जगह का होना या न होना इतना महत्वपूर्ण नहीं होता जितना की परिजनों के दिल में जगह का  होना ।परिवार के लोगों के व्यवहार तथा उनके द्वारा की गई भोजन,जलपान की व्यवस्था में जो आत्मीयता झलकी वह शब्दों में बयान करना नामुमकिन है।रात को भोजन-व्यवस्था के उपरांत  घर के लोगों ने आत्मीयता और अपनेपन के साथ हमारे घर-परिवार के लोगों के बारे में जानने की जो उत्सुकता दिखाई उससे ऐसा लगा ही नहीं कि हम इस घर में पहली बार आए हैं।आज अपने-अपने स्वार्थ और अहम के चलते जो लोग संयुक्त परिवार की अवधारणा और व्यवस्था से ख़ुद को दूर करते जा रहे हैं उन्हें इस परिवार से प्रेरणा लेनी चाहिए।
मुझे पिछले लगभग दस वर्ष से अधिक समय से बड़े-बड़े साहित्यिक आयोजनों का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिलता रहा है। यों तो सभी छोटे या बड़े आयोजनों में मेज़बान अपनी जानकारी और सामर्थ्य के अनुसार व्यवस्था में कोई कसर नहीं छोड़ते फिर भी कभी-कभी देखने में आता है कि कुछ मूलभूत व्यवस्थाएँ न्यून रह जाती हैं जिन पर हम सब आयोजकों को ध्यान देने की ज़रूरत महसूस होती है जैसे कार्यक्रम की अवधि और उस वक़्त के मौसम आदि को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम स्थल पर सूक्ष्म/दीर्घ जलपान अथवा भोजन,वाशरूम आदि की उचित व्यवस्था पर थोड़ा और ध्यान दिया जा सकता है।
 ओंकार सिंह विवेक
 ग़ज़लकार/समीक्षक/ब्लॉगर



6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-04-2022) को चर्चा मंच      "अब गर्मी पर चढ़ी जवानी"   (चर्चा अंक 4413)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    --

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    1. अतिशय आभार मान्यवर 🙏🙏

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  2. हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें
    •••••••••‌••••••••••••••••○•• चंदन ,

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  3. Vah vah,bahut sundar aayojan ki badhai

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