December 22, 2020

अपने माँ-बाप पर गया हूँ मैं

8 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (23-12-2020) को   "शीतल-शीतल भोर है, शीतल ही है शाम"  (चर्चा अंक-3924)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर सृजन ।

    ReplyDelete
  3. लाख तूफाँ ने रास्ता रोका
    फिर भी दरिया उतर गया हूँ मैं

    सुंदर ग़ज़ल.....

    ReplyDelete
  4. श्रेष्ठ रचना

    ReplyDelete
  5. श्रेष्ठ रचना

    ReplyDelete
  6. श्रेष्ठ रचना

    ReplyDelete

Featured Post

आज एक सामयिक नवगीत !

सुप्रभात आदरणीय मित्रो 🌹 🌹 🙏🙏 धीरे-धीरे सर्दी ने अपने तेवर दिखाने प्रारंभ कर दिए हैं। मौसम के अनुसार चिंतन ने उड़ान भरी तो एक नवगीत का स...