रामपुर की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था 'पल्लव काव्य मंच' द्वारा दिनांक 22-जून,2025 को माया देवी धर्मशाला रामपुर में मंच-संस्थापक स्मृति शेष डॉo के सी पाठक के जन्म शताब्दी वर्ष में एक भव्य कवि सम्मेलन,पुस्तक विमोचन एवं साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता बरेली के वरिष्ठ साहित्यकार रणधीर प्रसाद गौड़ धीर ने की तथा मुख्य अतिथि द्वय बरेली से साहित्यकार आचार्य देवेंद्र देव तथा भरतपुर, राजस्थान से कवि सोमदत्त व्यास जी रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में इगलास, अलीगढ़ से ग़ाफ़िल स्वामी जी मंच पर विराजमान रहे।
कार्यक्रम में स्थानीय साहित्यकारों के अतिरिक्त बरेली, पीलीभीत,हल्द्वानी,बदायूँ,चंदौसी, ग़ाज़ियाबाद, बिसौली, बहजोई, संभल,अलीगढ़,बाग़पत तथा भरतपुर (राजस्थान) आदि सुदूर स्थानों से आए साहित्यकारों ने सहभागिता की।
कार्यक्रम के पहले चरण में मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन तथा सरस्वती वंदना के पश्चात कवियों ने अपने सशक्त काव्य पाठ द्वारा आमंत्रित अतिथियों को बार-बार तालियाँ बजाने के लिए विवश किया।
काव्य पाठ करते हुए कवि राजवीर सिंह राज़ ने कहा:
गर्म रखते हो तुम मिज़ाज अपना,
प्यार से हम हैं गुफ़्तगू करते।
पल्लव काव्य मंच के उपाध्यक्ष ग़ज़लकार ओंकार सिंह विवेक ने अपना मार्मिक शेर पढ़ते हुए कहा :
कुछ कसर कब छोड़ते हैं अन्न के अपमान में,
फेंकते हैं रोटियों को लोग कूड़ेदान में।
ग़ाज़ियाबाद से पधारे कवि मान सिंह बघेल जी ने सस्वर सुंदर काव्य पाठ करते हुए कहा :
ख़ूब झगड़ा तो बचपन में करते रहे,
माफ़ करना बहिन माँगता हूँ क्षमा।
भूल जाना नहीं साथ अपना कभी,
याद बचपन दिलाने को कब आओगी।
पीलीभीत से पधारे कवि सत्यपाल सिंह सजग ने पर्यावरण संरक्षण पर अपनी सशक्त काव्य प्रस्तुति में कहा :
आओ धरा दुल्हन सी सजाएं,
दो पौधे कम से कम लगाएं।
संचालन कर रहे मंच के महासचिव प्रदीप माहिर ने अपनी काव्य प्रस्तुति कुछ यों दी :
आँख में कुल जहान भरता है,
तू भी ऊँची उड़ान भरता है।
पल्लव काव्य मंच के अध्यक्ष शिव कुमार चन्दन ने कहा :
हे संगीत स्वरों की देवी उर आनंद जगाती हो,
राग कला से मधुरस भरतीं वीणा सरस बजाती हो।
अलीगढ़ से पधारे कवि ग़ाफ़िल स्वामी ने अपनी दमदार प्रस्तुति देते हुए कहा :
कर न किसी की होड़ बावरे,
कल की चिंता छोड़ बावरे।
हल्द्वानी, उत्तराखंड से पधारीं कवयित्री डॉक्टर गीता मिश्रा गीत ने अपने सुंदर स्वर में काव्य पाठ करते हुए कहा :
साधु जनों का साथ मिले तो सत संगति कहलाती है,
दुर्जन संग मिले अति पीड़ा जीवन भर दहलाती है।
उपरोक्त कवियों के अतिरिक्त सोमदत्त व्यास,अतुल कुमार शर्मा, सतीश चंद्र सुधांशु, मुकेश कुमार दीक्षित, पतराम सिंह, गौरव नायक, सुमित मीत, रामप्रकाश सिंह ओज, रामसागर शर्मा, सुखपाल सिंह गौर,रणधीर प्रसाद गौड़ धीर,हिमांशु क्षोत्रिय निष्पक्ष,प्रीति गुप्ता,जावेद रहीम तथा अनमोल रागिनी आदि वरिष्ठ साहित्यकारों ने भी अपने धारदार काव्य पाठ से उपस्थित अतिथियों को बहुत प्रभावित किया।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में पहले मंच के अध्यक्ष शिव कुमार चन्दन जी के मुक्तक-गीत संग्रह 'संगम काव्य लहरी' का मंच पर उपस्थित अतिथियों द्वारा लोकार्पण संपन्न हुआ।
लोकार्पण के पश्चात पुस्तक की समीक्षा करते हुए संभल के साहित्यकार अतुल कुमार शर्मा ने कहा कि साहित्यकार चन्दन की 'संगम काव्य लहरी' ऐसे गीत और मुक्तकों का संग्रह है जिसे एक बार पढ़ना शुरू कर दो तो समाप्त किए बिना आप पुस्तक को बंद नहीं कर सकते।पुस्तक की प्रत्येक रचना दिल में उतरती चली जाती है। सामाजिक तथा पारिवारिक परिवेश तथा भक्ति एवं शृंगार के साथ प्रकृति चित्रण आदि सभी विषयों पर कभी चन्दन ने अपनी सशक्त लेखनी चलाई है। निश्चित ही उनकी यह कृति साहित्य जगत में मान पाएगी।
पुस्तक समीक्षा के बाद पल्लव काव्य मंच द्वारा साहित्यकारों को उनकी साहित्यिक सेवाओं हेतु सम्मान पत्र,उत्तरी तथा स्मृति चिह्न आदि देकर सम्मानित किया गया।