April 6, 2025

उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई की सातवीं काव्य गोष्ठी संपन्न



             फेंकते हैं रोटियों को लोग कूड़ेदान में 

             *****************************

यह सर्वविदित है कि सृजनात्मक साहित्य पुरातन काल से  समाज को दिशा प्रदान करता आ रहा है।अनेक महान साहित्यकारों के साहित्यिक सृजन का अध्ययन तथा मनन करके लोगों ने अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस किए हैं।आज भी असंख्य साहित्यकार तथा साहित्यिक संस्थाएं साहित्यिक सृजन से समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करते हुए अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।इन्हीं में एक प्रमुख साहित्यिक संस्था है उत्तर प्रदेश साहित्य सभा,जिसकी साहित्यिक गतिविधियां आजकल राष्ट्रीय स्तर पर सभी का ध्यान आकृष्ट कर रही हैं।


अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने की श्रृंखला में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की रामपुर इकाई की सातवीं काव्य गोष्ठी सभा के सदस्य सुधाकर सिंह परिहार जी के रामपुर गंगापुर आवास विकास निवास पर संपन्न हुई।

सर्वप्रथम सभा की स्थानीय इकाई के पदाधिकारियों ने सभा की गतिविधियों को विस्तार देने के लिए शैक्षिक संस्थाओं यथा इंटर कॉलेज/डिग्री कॉलेज आदि में सभा की और से साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करने के विषय में मंत्रणा की जिस पर सभी ने सहमति व्यक्त की।सबकी राय थी कि ऐसा करके विद्यालयों/महाविद्यालयों में छिपी साहित्यिक प्रतिभाओं को उभारकर मंच प्रदान  किया जा सकता है।

दूसरे चरण में वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र कमल आनंद की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी का शुभारंभ हुआ जिसमें वरिष्ठ साहित्यकार शिव कुमार चन्दन मुख्य अतिथि तथा सीताराम शर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

सरस्वती वंदना से गोष्ठी के शुभारंभ के पश्चात सर्वप्रथम गोष्ठी के मेज़बान सुधाकर सिंह परिहार ने अपनी मार्मिक प्रस्तुति देते हुए कहा :



        एक चिड़िया मेरे घर के बरामदे में,

          हर वर्ष एक घोंसला बनाती है।

          पता नहीं तिनके कहां से लाती है ?

          सूखी लकड़ियां वह कैसे ढूंढ पाती है। 

सभा की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष ओंकार सिंह विवेक ने अपनी जनसरोकारों से युक्त भावपूर्ण ग़ज़ल प्रस्तुत करते हुए कहा :


       कुछ कसर कब छोड़ते हैं अन्न के अपमान में,

        फेंकते   हैं   रोटियों  को  लोग   कूड़ेदान  में।


        कितना अच्छा था वो अपना घर पुराना गाँव का,

        धूप  मुस्काती  थी  आकर  सुब्ह   ही  दालान में।


संयोजक सुरेन्द्र अश्क रामपुरी ने अपना रिवायती शेर पढ़ा :


        सूद के साथ ही उतारूंगा,

         एक बोसा उधार दे मुझको।

सचिव राजवीर सिंह राज़ ने अपने बा-कमाल तरन्नुम में पढ़ा :


          मोरी अँखियन से बहने लगा नीर,

          कजरवा   तो     धुल    गयो    रे।

उपाध्यक्ष प्रदीप माहिर ने शेर पढ़ते हुए कहा :


        रिवायत यूं भी कुछ तब्दील होगी,

         चराग़ों  की  हवा  से डील होगी।

         जफ़ा के ज़िक्र पर हम चुप रहेंगे,

           तुम्हारे हुक्म की  तामील होगी।

पतराम सिंह जी ने प्रकृति के सौंदर्य का चित्रण करते हुए कहा :



         नव प्रभात आया सजी धरा, बिछा उजास सुनहरा,

         चैत्र  हवा  में  गूंज  उठा,वंदन  मंत्र  पवित्र  गहरा।

अशफ़ाक़ रामपुरी ने तरन्नुम में पढ़ा :


      फ़ुर्क़त  में तेरी  दर्द मेरा कम  नहीं  हुआ,

       दुनिया समझ रही है मुझे ग़म नहीं हुआ।

सोहन लाल भारती जी ने पढ़ा :

  चिड़िया चहक रही तरुवर पर,

  हुई सुबह कह रही महक भर।

  आँखें खोलो, निदिया छोड़ो,

  जाओ   निज   कारज  पर।

वरिष्ठ कवि शिवकुमार चन्दन ने भावपूर्ण अभिव्यक्ति देते हुए कहा :


      गीत स्वर गूंजे मधुर स्वर, अधर पर मृदुहास हो,

      नृत्य  करते  झूमकर तब, मधुमयी उल्लास हो।

सीता राम शर्मा ने कहा :


         इंसान, इंसान को क्या देता है ----- 

वरिष्ठ कवि जितेंद्र कमल आनंद ने अपनी प्रभावशाली अभिव्यक्ति में कहा :


         "आ रहे हैं स्वर गवाक्षों से अकल्पित" 

देर रात तक चली काव्य गोष्ठी में उपरोक्त के अतिरिक्त  जावेद रहीम,सुमन सिंह परिहार, सुधीर यादव तथा नवीन पांडे आदि भी उपस्थित रहे। गोष्ठी का संचालन राजवीर सिंह राज़ द्वारा किया गया।

(प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक 
अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई) 






April 4, 2025

अलविदा मनोज कुमार 🌹🌹🙏🙏


अलविदा मनोज कुमार जी 
*********************
          (चित्र : गूगल से साभार) 

हिन्दी फ़िल्म उद्योग के एक बड़े अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार जी का आज निधन हो गया जो फ़िल्म उद्योग के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।
स्मृतिशेष मनोज कुमार जी की फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े तमाम लोगों से एक अलग बात जो प्रभावित करती है वह यह है कि उन्होंने विशुद्ध मसाला फ़िल्मों पर ज़ोर न देकर ऐसी फ़िल्मों के निर्माण को तरजीह दी जिनमें विशुद्ध मसाला फ़िल्मों से हटकर सामाजिक सरोकार भी प्रमुखता से चित्रित किए गए। ऐसा नहीं कि उनकी फ़िल्मों में बॉक्स ऑफिस मसाला नहीं होता था परंतु सामाजिक सरोकारों का पक्ष भी उनकी फ़िल्मों में शिद्दत से उभर कर आता था।उनकी देश प्रेम की भावना पर आधारित फिल्मों के कारण ही उन्हें भारत कुमार कहकर भी संबोधित किया जाने लगा था। चाहे साहित्यिक कला हो या सिनेमा की कला, सबमें सामाजिक,मानवीय और राष्ट्रीय सरोकारों की बात होनी ही चाहिए। जिसमें पहलू या उद्देश्य निहित न हों वह  कला भला किस काम की।
क्या हम स्मृतिशेष मनोज कुमार जी की शोर,उपकार,शहीद या पूरब और पश्चिम जैसी फ़िल्मों को कभी भूल सकते हैं ?
मेरी तो कक्षा 7या 8 से फ़िल्में देखने की शुरूआत ही मनोज कुमार जी की फ़िल्म 'उपकार' से ही हुई थी।

भारतीय सिनेमा जगत की महान हस्ती मनोज कुमार जी को विनम्र श्रद्धांजलि 🌹🌹🙏🙏

#Shraddhanjali #bollywood #श्रद्धांजलि #ManojKumar
अपनी इस पोस्ट का समापन मनोज कुमार जी पर फिल्माए गए फ़िल्म "पूरब और पश्चिम" के गीतकार इंदीवर द्वारा रचित तथा गायक महेंद्र कपूर जी द्वारा गाए हुए इस गाने से करता हूँ :

है प्रीत जहाँ की रीत सदा,
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ।
भारत का रहने वाला हूँ,
भारत की बात सुनाता हूँ।
(प्रस्तुति : ओंकार सिंह विवेक)

March 28, 2025

'सदीनामा' अख़बार की मुहब्बतों का शुक्रिया

हमेशा की तरह एक बार फिर कोलकता के प्रतिष्ठित अख़बार 'सदीनामा' के संपादक मंडल, ख़ास तौर पर श्री ओमप्रकाश नूर साहब' का दिल की गहराईयों से शुक्रिया 🙏🙏कि उन्होंने मेरी ग़ज़ल को अख़बार में स्थान दिया।प्रसिद्ध शायर आदरणीय ओमप्रकाश नदीम साहब को भी उनकी बेहतरीन ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद 🌹🌹
    -- ओंकार सिंह विवेक 

March 26, 2025

हर दिन कुछ नया सृजन

अभी दो दिन पहले एक छोटी  बहर की ग़ज़ल प्रस्तुत की थी।आप सभी का बहुत स्नेह प्राप्त हुआ उस पर,उसके लिए हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।अक्सर ऐसा होता है कि जब किसी एक बहर पर ज़ेहन बन जाता है तो उस पर लगातार कई ग़ज़लें हो जाती हैं। सो उसी बहर और रदीफ़- क़ाफ़ियों में चंद अशआर और हो गए जो आपकी ख़िदमत में पेश हैं :
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
***************** 
दिल ग़म  का आभारी है,
इसने  ज़ीस्त  निखारी है।

ऊँचे  लाभ  की   सोचेगा,
आख़िर  वो  व्यापारी  है।

दो  पद, दो  सौ  आवेदन,
किस  दर्जा   बे-कारी  है।

स्वाद  बताता  है  इसका,
माँ   ने   दाल  बघारी  है।

काहे   के   वो    संन्यासी, 
मन    पूरा    संसारी    है।

चख  लेता है  मीट  कभी,
वैसे       शाकाहारी     है।

उससे कुछ बचकर रहना,
वो    जो   खद्दरधारी   है।
©️ ओंकार सिंह विवेक

March 25, 2025

फिर एक नई ------

एक छोटी बहर की हल्की-फुल्की ग़ज़ल जो 
 पिछले कई दिनों से ज़ेहन में चल रही थी :
*********************************

मिलने    में    दुश्वारी   है,
वैसे     आपसदारी     है।

इसकी  टोपी उसके  सर,
क्या उसकी फ़नकारी है।

दुश्मन  दाना  है  तो क्या,
अपनी   भी   तैयारी   है।

तनहा है  सच्चा  लेकिन,
सब झूठों  पर  भारी  है।

'आलीजाह के पाँव  पड़े,
कुटिया  धन्य  हमारी  है।

पहले  क्या  थे, ये छोड़ो,
अब  उनकी  सरदारी है।

ध्यान  यक़ीनन  खींचेगा,
शे'र   अगर   मे'यारी  है।
 ©️ओंकार सिंह विवेक 

March 22, 2025

विश्व जल दिवस विशेष

नमस्कार मित्रो 🌹🌹🙏🙏

आज विश्व जल दिवस पर प्रस्तुत है मेरा एक कुंडलिया छंद। आशा है अपनी प्रतिक्रिया से अवश्य ही अवगत कराएंगे :

विश्व जल दिवस पर एक कुंडलिया छंद 
*******************************
  
  पानी   जीवन   के   लिए, है  अनुपम  वरदान।
  व्यर्थ न  इसकी बूँद  हो,रखना  है  यह ध्यान।।
  रखना  है  यह ध्यान,करें सब संचय  जल का।
  संकट हो विकराल,पता क्या है कुछ कल का।
  करता  विनय  'विवेक',छोड़ दें अब  मनमानी।
  मिलकर  करें   उपाय , बचाएँ  घटता   पानी।।   
                             ©️ ओंकार सिंह विवेक

#viralpost #trendingpost #WorldWaterDay #विश्वजलदिवस 
(चित्र:गूगल से साभार)

March 17, 2025

'अपनी कॉलोनी' का होली के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न

फागुन का मस्त महीना है।खेतों में सरसों फूली हुई है। बाग़ों में ख़ुशबूदार पुष्प किलोल कर रहे हैं।आम के पेड़ सुगंधित बौर से लदे हुए हैं।कहने का अर्थ यह है कि प्रकृति का यौवन पूरे शबाब पर है। ऐसे में होली के मस्त त्योहार के आगमन से सभी का मन प्रफुल्लित है और रंग खेलने को उतावला है। रंग-गुलाल की इसी ख़ुमारी में  'अपनी कॉलोनी' (निकट किड्जी स्कूल) रामपुर का होली के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय रंग उत्सव तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।
रंग वाले दिन (14मार्च,2025)प्रात: 9 बजे से 'अपनी कॉलोनी' वासियों द्वारा एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभ कामनाएं दी गईं।होली के मस्त गानों पर जमकर धमाल मचाया गया।
  इस समय मुझे प्रसिद्ध कवि नीरज गोस्वामी की यह पंक्तियाँ याद आ रही हैं :
         करें जब पांव ख़ुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,
         हिलोरें  ले रहा हो मन, समझ लेना  कि  होली है।
                                       -- नीरज गोस्वामी 
 कार्यक्रम के अंत में सभी ने मिलकर ठंडाई तथा गुझिया, खस्ता कचौड़ी आदि लज़ीज़ व्यंजनों का लुत्फ़ उठाया गया।
अगले दिन यानि 15 मार्च ,2025 को होली कार्यक्रमों के दूसरे चरण का शुभारंभ कॉलोनी की वरिष्ठ सदस्या श्रीमती दर्शन  रस्तौगी ने मां शारदे के समक्ष पुष्प अर्चन तथा दीप प्रज्ज्वलन  के द्वारा किया।
दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात कॉलोनी की महिला शक्ति द्वारा इतनी "शक्ति हमें देना दाता,मन का विश्वास कमज़ोर हो ना" ईश वंदना प्रस्तुत की गई।
.    (ईश वंदना प्रस्तुत करते हुए श्रीमती आशा भांडा,           श्रीमती पूनम गुप्ता, श्रीमती सपना अग्रवाल तथा           श्रीमती रेखा सैनी जी)

बच्चों के मन निर्विकार होते हैं यही सोचकर शायद निदा फ़ाज़ली साहब ने उनके लिए यह शेर कहा होगा-- 
          बच्चों  के छोटे  हाथों  को चाँद सितारे छूने दो,
          चार किताबें पढ़कर ये भी हम जैसे हो जाएंगे।
                                         -- निदा फ़ाज़ली 
बच्चों से ही घर-परिवार में रौनक़ होती है यही सोचकर कार्यक्रम का शुभारंभ बच्चों की प्रस्तुतियाँ से कराया गया। उन्होंने गीत, संगीत,नृत्य, कविता तथा चुटकुलों आदि से उपस्थित दर्शकों/अभिभावकों का भरपूर मनोरंजन करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

 (कॉलोनी के प्रस्तुति देने वाले बच्चे आयुषी अग्रवाल, हर्षित दिवाकर, वान्या,भव्या, अवनि, इशिका तथा ग्रंथ भांडा)
बच्चों की शानदार परफॉर्मेंस की करतल ध्वनि से प्रशंसा करते हुए उन्हें गिफ्ट्स आदि देकर प्रोत्साहित किया गया। बच्चों के प्रति इस प्रकार का gesture उन्हें भविष्य में अच्छे कलाकार बनने में मददगार हो सकता है।
नारियां ही सृष्टि और घर परिवार का आधार होती हैं। दुःख दर्द और पीड़ा सहकर घरों को जोड़े रखने वाली नारियों के लिए कवयित्री गरिमा अंजुल ने ठीक ही कहा है --- 
        सूना    है   नारी    बिना,यह   सारा  संसार।
        वह मकान को घर करे, देकर अपना प्यार।।
                               --- गरिमा अंजुल
अपनी कॉलोनी की महिला सदस्य भी कहाँ पीछे रहने वाली थीं। उन्होंने भी अपनी-अपनी धमाकेदार 
प्रस्तुतियों से कार्यक्रम की भव्यता और सफलता में चार चांद लगाए। कार्यक्रम को गति देने के लिए श्रीमती आशा भांडा ने हाऊजी कार्यक्रम का संयोजन किया जिसमें लोगों ने ख़ूब रुचि दिखाई।
श्रीमती सपना अग्रवाल तथा श्रीमती पूनम गुप्ता जी ने क्रमशः पति पत्नी के रोल करते हुए एक शानदार शानदार प्रहसन/चुटिला संवाद प्रस्तुत करके सबकी तालियां बटोरीं। श्रीमती सपना अग्रवाल ने बीच बीच में चटपटे सवाल पूछकर माहौल को ख़ुशगवार बनाए रखने में भी सहयोग किया।
श्रीमती रेखा सैनी ने भी फिल्मी गीत "इक प्यार का नग़्मा है, मौजों की रवानी है" प्रस्तुत करके दर्शकों का ध्यान खींचा :

कार्यक्रम में श्रीमती पूनम जी (Mrs Dr Vijay kumar) ने भी poetry recital  करके सबकी वाही वाही लूटी।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में सहभागिता करने वालों से तालमेल बनाकर अंतिम रूपरेखा के लिए बैठकों का आयोजन करने तथा संचालन में श्रीमती पूनम गुप्ता जी तथा श्रीमती आशा भांडा जी का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम को मूर्त रूप देने में आप दोनों का विशेष रूप से आभार प्रकट करते हैं।
पुरुष वर्ग के तो क्या ही कहने उन्होंने अपनी अपनी अभिव्यक्तियों से जहां एक और अपनी पत्नियों को प्रभावित किया वहीं पंडाल में उपस्थित लोगों को भी तालियां बजाने के लिए विवश किया।

 (ऊपर के चित्र में ☝️:प्रस्तुति देने वाले पुरुष वर्ग के सदस्य प्रवीण भांडा, ओंकार सिंह विवेक, वीर सिंह, राजीव अग्रवाल,निखिल भांडा तथा अतर सिंह जी)

कार्यक्रम का आनंद लेते हुए कॉलोनी का युवा वर्ग👇👇
कार्यक्रम में उपस्थित पुरुष वर्ग की यादगार/शानदार तस्वीर 👇👇
डॉक्टर विजय कुमार और राजीव अग्रवाल ने तो अपने दिल फ़रेब डांस से समां ही बांध दिया 

कार्यक्रम के अंतिम चरण में सबने मिलकर फूलों की होली खेली।
आर के गुप्ता जी ने बड़ी सादगी के साथ सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम समापन की घोषणा की।
सुस्वादु सहभोज के पश्चात अगले वर्ष दूने उत्साह से मिलने के प्रण के साथ सबने अपने अपने घर की राह ली।
यों तो सभी कॉलोनी वासियों के तन-मन तथा धन के सहयोग के चलते ही ऐसा शानदार कार्यक्रम हो पाया।परंतु फिर भी इस कार्यक्रम को लीड करने में प्रवीण भांडा,अंकुर रस्तौगी,के के अग्रवाल एडवोकेट तथा आर के गुप्ता जी की विशेष भूमिका के चलते उनके प्रति अतिरिक्त आभार प्रकट करना हम सबका दायित्व बनता है। इस अवसर पर कॉलोनी की सफ़ाई व्यवस्था में अपेक्षा से अधिक सहयोग करने के लिए वार्ड मेंबर अशोक सैनी की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए उन्हें सम्मानित करने का भी निश्चय किया गया।
सम्मानित मीडिया/अख़बार (दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिन्दुस्तान तथा अमृत विचार)वाले सम्मानित बंधुओं का 'अपनी कॉलोनी' रामपुर के कार्यक्रम की शानदार कवरेज करने के लिए हम दिल की गहराईयों से आभार प्रकट करते हैं :

मुझे अपनी कॉलोनी के इस शानदार कार्यक्रम के संचालन का दायित्व निर्वहन करके हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। 
काश ! सब लोग पूर्वाग्रहों से दूर रहते हुए भविष्य में भी यों ही एक दूसरे के प्रति आत्मीयता प्रदर्शित करते रहें इसी कामना के साथ इस लंबी blog post को बशीर बद्र साहब के इस शेर के साथ विराम देता हूं :
         मुसाफ़िर हैं हम भी, मुसाफ़िर हो तुम भी,
          किसी  मोड़  पर  फिर  मुलाक़ात  होगी।

प्रस्तुतकर्ता 
ओंकार सिंह विवेक 
--- साहित्यकार/समीक्षक/कंटेंट राइटर/टैक्सट ब्लॉगर 
                
        

Featured Post

उत्तर प्रदेश साहित्य सभा रामपुर इकाई की सातवीं काव्य गोष्ठी संपन्न

             फेंकते हैं रोटियों को लोग कूड़ेदान में               ***************************** यह सर्वविदित है कि सृजनात्मक साहित्य पुरातन ...